“हर पुरुष की ज़िप पर ताला लगा दिया जाए और चाभी घर
पर छोड़ दी जाए, बस यही आदेश देना बाकी रह गया है”...दिल्ली हाईकोर्ट
ने शुक्रवार को ये बेशक लाइटर टोन में कहा, लेकिन उसका आशय यही था कि पुरुषों की सार्वजनिक जगहों पर पेशाब करने की बुरी आदत को लेकर वो भी ज़्यादा कुछ नही कर
सकता...दिल्ली हाईकोर्ट से एक याचिका में प्रशासनिक अधिकारियों को ये सुनिश्चित
करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि दीवारों को लोग गंदा ना करें...जस्टिस
प्रदीप नद्राजोग और जस्टिस दीपा मेहता की बेंच ने याचिका को खारिज़ करते हुए कहा
कि अदालत इस तरह के निर्देश नहीं दे सकती...”सार्वजनिक स्थलों पर
पेशाब करने की समस्या को कही ओर सुलझाया जाना चाहिए...अदालत ऐसा आदमी नहीं बना सकती जो
घर से बाहर निकले और अपनी ज़िप पर ताला लगाए रखे”... अदालत
ने कहा कि कुछ घरों के बाहर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां लगा दी जाती
हैं, लेकिन फिर भी लोग दीवारों को गंदा करने से बाज़ नहीं आते...अदालत ने कहा कि
वो उम्मीद करते हैं कि “पुरुष जो अनंत कलाकार की महानतम रचना है, वो अपने
स्वामी (रचनाकार) के आगे अपनी गुप्तता
(प्राइवीज़) को बेनक़ाब नहीं करेंगे और सड़कों पर पेशाब नहीं करेंगे”...याचिकाकर्ता मनोज शर्मा ने याचिका में मांग की
थी कि एक आवासीय परिसर के बाहर की दीवार से देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने का
आदेश दिया जाए...ये तस्वीरें सिर्फ इसी उद्देश्य से लगाई गईं कि लोग दीवारों को
गंदा ना करें...अदालत ने कहा कि वो ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों को ये
तस्वीरें हटाने का निर्देश नहीं दे सकती...अदालत ने ये भी कहा कि पुरुष तब भी ऐसी हरकत करना नहीं छोड़ते जब दीवार पर लिखा होता है- “देखो गधा (या
कुत्ता) पेशाब कर रहा है”…
ख़बर आपने पढ़ ली...परेशानी
सच में कितनी मुश्किल है...अदालत भी कुछ कर पाने में खुद को असहाय पा रही है...दिल्ली हाईकोर्ट ने बेशक लाइटर टोन में ज़िप पर ताले की बात
कही...लेकिन मैं सोच रहा हूं कि अगर सच में ही ऐसा होने की नौबत कभी आई तो
क्या-क्या बदल जाएगा...लेकिन उद्देश्य तभी पूरा होगा जब ज़िप के साथ पैंट की बेल्ट पर भी लॉक लगा
कर उसकी चाभी भी घर में ही रखी जाए...
फायदे-
1. शहर भर की दीवारें, सड़कें और गलियां गंदी होने
से बच जाएंगी...
2. बेल्ट और जिप लॉक का नया धंधा फलेगा-फूलेगा यानि
नया रोज़गार सृजन होगा...
3. पुरुषों को लघु-शंका के लिए कई बार घर की दौड़
लगानी होगी, इससे वो फिट रहेंगे...
4. घर ज़्यादा दूर है तो ऑटो-टैक्सी वालों का भला
होगा...बस या मेट्रो से घर गए तो सरकार का राजस्व बढ़ेगा...
और सबसे अहम-
5.बेवफ़ाई की भी कोई संभावना ही नहीं
रहेगी...
नुकसान-
नुकसान तो मुझे एक
ही दिखता है, पुरुषों को कई बार काम छोड़कर घर जाना पड़ सकता है...यानि सीधे-सीधे Work-Hours का नुकसान...
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वाकई गजब का आईडिया है पर अगर पहले प्रयोग कुत्तों पर कर लिया जाये तो कैसा रहेगा ?
जवाब देंहटाएंपेशाब बोतल फिटिंग सर्विस संपर्क करें। ऐसे बोर्ड देखने को मिलेंगे।
जवाब देंहटाएंसुझाव तो आपने लाजवाब दिए हैं लेकिन इनपर अमल होना बहुत मुश्किल है। हां ये जरूर है कि घर जाने का बहाना मिल सकता है, यानि कामचोरी में बढ़ोत्तरी।
जवाब देंहटाएंताला कहां कहां लगवाओगे दादा
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