एकता कपूर-संजय गुप्ता की प्रोड्यूस की गई नई फिल्म 'शूटआउट एट वडाला' के प्रमोशन के लिए इसकी स्टारकास्ट पिछले दिनों दिल्ली-नोएडा में थी...इसी दौरान दिल्ली समेत पूरे देश को पांच साल की बच्ची के साथ हैवानियत की वारदात ने उद्वेलित कर रखा था...
'शूट आउट एट वडाला' में पुलिस ऑफिसर बने अनिल कपूर ने इस वारदात पर कहा-
"मैं समझता हूं, देश में ऐसा कोई नहीं होगा जो इसकी भर्त्सना नहीं करेगा...मैं समझता हूं ये पूरी तरह शर्मनाक और अस्वीकार्य है...पुलिस को इसके लिए जवाबदेह होना चाहिए...सरकार जिस पर लोगों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है, उसे जवाबदेह होना चाहिए.."
फिल्म में डॉन बने जॉन अब्राहम ने कहा कि बलात्कारियों को फांसी से कम सज़ा नहीं मिलनी चाहिए...जॉन ने ऐसी घटनाओं के लिए परवरिश और शिक्षा की ख़ामियों को भी दोष दिया...
फिल्म के ही एक और पात्र और प्रोड्यूसर एकता कपूर के छोटे भाई तुषार कपूर ने भी घटना को शर्मनाक बताते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की मांग की...
ये तो रहा हमारी फिल्म इंडस्ट्री का देश के हालात और समाज के नैतिक पतन पर चिंतित होने का चेहरा...
लेकिन इसी इंडस्ट्री से इस बात का कोई जवाब नहीं देता कि इनकी खुद की कारगुज़ारियों का समाज पर कितना बुरा असर पड़ता है...
अब जिस फिल्म की स्टारकास्ट की बात की गई है,...उसकी असलियत भी सुन लीजिए...गैंगस्टर्स की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में तीन-तीन आइटम सॉन्ग्स रखे गए...इन्हें प्रियंका चोपड़ा, सोफी चौधरी और सनी लिओन पर फिल्माया गया है...पोर्न स्टार रही सनी लिओन पर इस फिल्म में जो आइटम सॉन्ग फिल्माया गया है, ज़रा उसके मुखड़े पर गौर फ़रमा लीजिए...
दिल! तेरा ले लेगी,
जान! तेरी ले लेगी,
ईमान तेरा ले लेगी,
ओ लैला तेरी... ओ लैला तेरी...
ओ लैला तेरी ले लेगी...
तू लिख के ले ले ...
इस गाने का प्रोमो बना कर टीवी चैनल्स पर भी रिलीज़ कर दिया गया....यू ट्यूब पर इस गाने को लाखों लोग देख चुके हैं...लेकिन गाने के इन अश्लील बोलों पर सेंसर बोर्ड का ध्यान दिलाया गया तो उसने गाने के प्रोमो को टीवी पर प्राइम टाइम में दिखाने पर बैन लगा दिया...साथ ही फिल्म बनाने वालों से कहा कि अगर उन्हें फिल्म में गाने को इन्हीं बोलों के साथ रखना है तो फिल्म को 'ओनली फॉर एडल्ट्स' सर्टिफिकेट मिलेगा...लेकिन टीवी पर प्रोमो दिखाना है तो इसके बोलों को बदलना होगा...फिल्म निर्माता ने सिर्फ़ टीवी के लिए गाने के बोलों को बदल कर अब कर दिया है...
ओ लैला तुझे लुट लेगी,
तू लिख के ले ले...
लेकिन सेंसर बोर्ड की भी ये कैसी सख्ती...टीवी पर जितना गाने का प्रमोशन किया जाना था किया जा चुका...यू ट्यूब पर इसे कोई भी अब भी देख सकता है...फिल्म 26 अप्रैल को रिलीज़ होगी तो उसमें भी विवादित बोलों वाला गाना ही होगा...यानि सेंसर बोर्ड ने जो भी कार्रवाई की वो सिर्फ दिखावे की ही की...
अब ज़रा सोचिए...फिल्म रिलीज़ होगी...इसके बेहूदा गाने को शोहदे किस्म के लोग गली-सड़कों पर गाते घूमेंगे...इससे समाज पर कितना अच्छा असर पड़ेगा?...अनिल कपूर साहब आप पुलिस और सरकार की जवाबदेही तय करने की बात कर रहे हैं...ज़रा अपनी बिरादरी की जवाबदेही पर भी कुछ बोल दीजिए... उसी ब़ॉलीवुड की जवाबदेही पर, जो खुद को आईना दिखाने पर एकसुर में अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई देने लगता है...ये भी दलील दी जाती है फिल्में समाज का ही आईना होती है...लेकिन कभी ये भी सोच लीजिए कि लौंडिया पटाएंगे मिसकॉल से, बबली बदमाश है, लैला तेरी ले लेगी...जैसे गानों से आप खुद भी समाज का कैसा भला कर रहे हैं....खास तौर पर उन युवा लड़कों का, जिनकी शिक्षा या रहन-सहन का स्तर ऐसा नहीं है जो भले-बुरे की तमीज़ कर सकें...
नागरिकों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी जितनी पुलिस और सरकार की है, उतनी ही समाज के हर वर्ग की है...खास तौर पर फिल्मों से जुड़े उन नुमाइंदों की, जिनमें युवा वर्ग अपना अक्स ढूंढता रहता है...उनके जैसे दिखने-बनने की कोशिश करता है...
दरिंदों की दिल्ली या दाग़दार दिल्ली के बैनर लेकर सरकार और पुलिस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले भी इस और ज़रा ध्यान दे...वो क्यों नहीं ऐसी बेहूदा फिल्में और गाने बनाने वालों का विरोध करते...क्यों नही उनका बॉयकॉट कर देते...
जो लोग ऐसी फिल्में देखने जाते हैं, उनसे भी गांधीगिरी के ज़रिए ऐसी फिल्मों को बढ़ावा ना देने की अपील क्यों नहीं की जाती...
ऐसे फिल्मकारों से मेरा भी कहना है...
ओ जनता तुम्हे, ओ जनता तुम्हे,
सड़कों पर कूट देगी,
तुम लिख के ले लो...
यह एक गीत ही क्या ,अनगिनत हैं . पता नहीं लोगो की रुचियों को और अभिनेत्रियों के विवेक को क्या ग्रहण लगा है जो हर प्रकार के गाने पर नृत्य करने को अपनी खुशनसीबी समझते हुए इसे पुरस्कार मानती है !
जवाब देंहटाएंफ़िल्मों के ऐसे एक-से-एक फूहड़,अश्लील और ,सस्ते गाने बड़ी जल्दी फैलते हैं.हमें याद है पिता या भाइयों के सामने प्रेम के गीत सुनने की हिम्मत भी हममें नहीं थी और अब अपने छोटे-छोटे नासमझ बच्चों के मुँह से भद्दे गाने सुनने में लोगों को मजा आता है. समाज में बेशर्मी और विकृतियाँ फैलने का एक कारण यह भी हैं.इनके भआषागत मनमाने प्रयोग भी सबकी ज़बान पर चढ़ जाते हैं.इस सब पर नियंत्रण होना चाहिये!
जवाब देंहटाएंसिनेमा वाले समझते हैं कि देश में युवाओं की बहुतायत है और उनमें से ज्यादातर ऐसे ही जोड़-तोड़ वाले गाने पसंद करते हैं।
जवाब देंहटाएंतनिक इन्हें भी अपना उत्तरदायित्य दिखायी पड़े।
जवाब देंहटाएंवैसे हमें तो यहीं आकर पता चला नहीं तो अपने को तो पता ही नहीं चलता है कि हो क्या रहा है ना टीवी और ना यूट्यूब.. वैसे जनता के कंधे पर जिम्मेदारी है अब ...
जवाब देंहटाएंसबसे उपर तो सिर्फ बेचने का गणित ही चलता है. बाकि के इफेक्ट्स पर ही तो समाज, सरकार, प्रशासन सबकी जिम्मेदारी बनती है ।
जवाब देंहटाएंaesi film naa daekhiyae naa kisi ko daekhnae ko kahiyae
जवाब देंहटाएंinki to yae roji roti haen kyun haen , kyuki hamaraa smaaj wo khaane kaa aadi haen jo bhi "paros" diyaa gyaa haen
jis din ham sab nagntaa ko daekhna band kardaegae us din yae sab khud baa khud band ho jayegaa
किसी के पेट पर लात मारने-मरवाने से लात मजबूत होने का मुगालता नहीं पालना चाहिए।
जवाब देंहटाएंlo khusdeep ji khud hi is film ko apne blog par promote kar rahe hai..
जवाब देंहटाएंlogo se keh rahe hai ki utube par is gane ko dekho...
jai baba banaras.....
फिर तो एक गलती हो गई कौशल जी,
हटाएंमुझे यहां गाने का लिंक भी देना चाहिए था...पाठकों को आसानी रहती...
जय हिंद...
पर उपदेश कुशल बहुतेरे - पुरानी कहावत है जो यहां बिल्कुल खरी उतरती दिखाई दे रही है । बयान देते समय इन कलाकारों नें अपने सामाजिक दायित्व को दिखाने की भरपूर कोशिश की लेकिन फिल्म में गाने के बोलों ने उनके बयानों को बेअसर कर दिया है । खूब याद आते हैं व्ही शांताराम, गुरूदत्त ..
जवाब देंहटाएंपता नहीं हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है ।दुःख होता है ये देख कर कि आज बाजारवाद हमारे समाज की दशा और दिशा तय कर रहा है ।
जवाब देंहटाएंफूहड़ता की हर सीमा पार कर गए हैं आजकल की फिल्म्स के संवाद और गीत. और तुर्रा यह कि हमारा काम है हम तो बस अपना काम करते हैं. हद्द है.
जवाब देंहटाएंbollywood pata nahi kya kya karwayega...
जवाब देंहटाएंविकास गुप्ता जी जिसे मौका मिलेगा वह छोड़ेगा क्योंकर
जवाब देंहटाएंइनका तो वो हाल है कि -- पैसा फेंको और कुछ भी बुलवा/ करवा लो। इससे पहले शूट आउट एट लोखंडवाला में एक गाना था -- ऐ गनपत -- इससे ज्यादा बेहूदा और अश्लील गाना कोई हो नहीं सकता। लेकिन धड़ल्ले से ऍफ़ एम् पर चलता था। अफ़सोस किसी ने उफ्फ तक नहीं की।
जवाब देंहटाएंकुटना चाहिए...
जवाब देंहटाएंकूट संदेश
जवाब देंहटाएंहम कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी का हनन हो जाएगा। आज सिनेमा समाज निर्माण की जवाबदेही नहीं लेता है, उसका मकसद केवल पैसा कमाना है। फिर चाहे वह पैसा कैसे भी नंगे नाच कराकर ही क्यों ना मिले। उनकी तरफदारी करने वाले मीडिया में बहुतेरे बैठे हैं जो चीख-चीखकर दुनिया को सर पर उठा लेते हैं कि ये लोग अभिव्यक्ति की आजादी छीन रहे हैं।
जवाब देंहटाएंKuchh Nahin Ho sakta, hum log hi picture hall main mast hokar is gaane ka aanand lenge,
जवाब देंहटाएंChhichhore Geetkaaron ke Dimag ki Gandi Upaj Hain is Tarah ke geet
क्या बोलें भाई? कूट काटकर नक्की करना चाहिये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
घेर चपेट कर मामला निपटा देना चाहियें तुरंत |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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बेहद ओछी और बकवास फिल्म बनाई जिसमें फूहड़ डायलॉग्स और गलियों के सिवा कुछ नहीं है | साथ ही पोर्न कलाकार और अन्य आइटम गाने भी बेहद बेशर्मी से शूट किये गए हैं | मेरे हिसाब से इस फिल्म को एक भी स्टार नहीं मिलना चाहियें |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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मैं बस इस पृष्ठ पर ठोकर खाई और कहना है - वाह। साइट वास्तव में अच्छी है और अद्यतित है।
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