सूखे में आमरस...खुशदीप


बहुत हुई आंख-मिचौली, खेलूंगी मैं रस की होली...​​
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कैटरीना कैफ़ की ये एड  देखकर आपका मन भी आम या आमरस के लिए मचलने लगा है तो ख़बरदार....

​राज  ठाकरे की आप पर नज़र हो सकती है...महाराष्ट्र में आमरस (Mango-pulp) का आनंद लेना बड़ा महंगा हो सकता है...उत्तर भारतीयों पर आंखें तरेरते रहने​ वाले राज  ठाकरे के शब्दबाणों का रुख़ अब जैन समुदाय की तरफ़ हुआ  है...दरअसल, मुंबई में भगवान महावीर की मूर्ति लगने के 200 साल पूरे हो ने के उपलक्ष्य में इस समुदाय के एक धनी व्यक्ति ने शहर के सभी जैनियों के घर आमरस और पूरियां भिजवाने की व्यवस्था की...



राज ठाकरे को जैन समुदाय की यह बात खटक गई और इससे बहुत नाराज हैं...राज ठाकरे का कहना है कि जैन समुदाय के लोग आमरस-पूरी का भोज कैसे दे सकते हैं, जबकि महाराष्ट्र के बड़े हिस्से में लोग सूखे की मार झेल रहे हैं...उन्होंने धमकी दी है कि अगर उन्हें कोई भी शख्स आमरस-पूरी बांटते हुए दिखा तो उसके खिलाफ कड़ा ऐक्शन लिया जाएगा...मजे की बात यह है कि एमएनएस इस बात को समझा पाने में असमर्थ है कि राज ठाकरे का यह फतवा राज्य में सूखा पीड़ित लोगों को राहत कैसे पहुंचा पाएगा...

महाराष्ट्र के कुछ  हिस्सों में पिछले 40 साल  का सबसे भीषण  सूखा पड़ा है...सूखे पर राजनीति सिर्फ  राज  ठाकरे ही नहीं कर रहे...केंद्रीय  राहत  पैकेज के ऐलान  को लेकर कांग्रेस  और एनसीपी ​में  श्रेय लेने की  होड़  मची  हुई है...मज़े की बात  है कि अभी तक  केंद्रीय पैकेज  का  ऐलान  भी नहीं हुआ है...शिवसेना की ओर से आरोप लगाया जाने लगा है कि एनसीपी मुखिया और कृषि मंत्री शरद पवार केंद्रीय मदद का बड़ा हिस्सा अपने इलाकों में ले जाना चाहते हैं...लेकिन  इसी शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष  उद्धव  ठाकरे ठाणे एक  लाइब्रेरी का विमोचन  करने जाते हैं, तो उनके स्वागत  के लिए वहां की महानगरपालिका सड़कों की धुलाई  के लिए  हज़ारों लीटर पानी बर्बाद कर देती है...

ख़ैर हमें क्या...बहुत हुई आंख-मिचौली, हम तो चले रस की होली खेलने यानी स्लाइस  पीने...

(नवभारत  टाइम्स के इनपुट  के साथ )


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पोस्ट वही जो लफ़ड़े करवाये..डॉ अमर

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7 टिप्पणियाँ
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  1. आम खाते हैं ....
    अच्छा है हम दिल्ली में हैं !

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    1. गुठलियों के दामों का भी ख्याल रखना सतीश भाई...​
      ​​
      ​जय हिंद...

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  2. ईश्वर करे कि सूखा पीड़ितों और अन्य संबद्ध पीड़ितों को राहत मिले..

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  3. क्यों न ये पूरा आमरस ठाकरे साब सूखा पीड़ितों तक पहुंचा दें?

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