अलविदा शहरयार साहब...खुशदीप


अख़लाक़ मोहम्मद ख़ान उर्फ़ शहरयार​
16 जून 1936-13 फरवरी 2012


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13 टिप्पणियाँ
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  1. दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूढ़े...

    विनम्र श्रद्धांजलि..

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  2. अलविदा- विनम्र श्रद्धांजलि.

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  3. नायाब शायर शहरयार को,हमसे जुदा किया,
    खुदा को भी किसी फ़रिश्ते की तलाश थी !

    हार्दिक श्रद्धांजलि

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  4. कल यार मरा और आज शहरयार
    जाना है ख़ुद भी एक दिन यार


    ...बस मालिक हमें अपने बंदे के रूप में स्वीकार कर ले,
    हमें ऐसा बनकर जाना है इस दुनिया से।

    http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/02/age-factor.html

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  5. महान शायर को विनम्र श्रधांजलि ।

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  6. शहरयार साहब का जाना उर्दू शायरी के लिए एक बहुत बुरी खबर है...ऐसे लोग सदियों में पैदा होते हैं..

    नीरज

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  7. शहरयार साहब का जाना, उर्दू शायरी के लिए ऐसा नुक्सान है, जिसकी भरपाई नामुमकिन है.

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