जय हिंद, जय हिंद की सेना...खुशदीप

हम सब भारत के नागरिक हैं...64 साल के आज़ाद देश भारत के नागरिक...हमारी हज़ार ख्वाहिशें हैं...लेकिन फौजी की एक ही ख्वाहिश होती है...जानते हैं क्या...दुश्मन को छठी का दूध याद दिला कर घर सही सलामत लौटना...हम आज़ाद हवा में सांस ले रहे हैं...हमारी आज़ादी बरकरार है...किसकी बदौलत...सिर्फ देश के इन रणबांकुरों के दम पर...15 अगस्त देश के साथ हम सबके लिए बहुत अहम है...इस तारीख से अपना फायदा ढ़ूंढने की कोशिश किसी को नहीं करनी चाहिेए...न किसी राजनीतिक दल को और न ही किसी मूवमेंट को...इस दिन बत्तियां बुझाने का संदेश देना, मेरे विचार से सही नहीं है...किसी का कद कितना भी बड़ा क्यों न हो, लेकिन देश के फौजियों से ऊंचा नहीं हो सकता...



भ्रष्टाचार पर बेशक हम सरकार से हर दिन लड़ें लेकिन 15 अगस्त जैसे पवित्र राष्ट्रीय पर्व को राजनीति से दूर ही रहने दें...बर्फ से लदी चोटी पर खड़े अपने निगहेबान किसी फौजी को याद कीजिए...याद कीजिए देश के शहीदों को, कवि प्रदीप के इन अमर बोलों के साथ...



ऐ मेरे वतन के लोगो!
तुम खूब लगा लो नारा !
ये शुभदिन है हम सबका!
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर!
वीरों ने है प्राण गँवाए!


कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आए,
ऐ मेरे वतन के लोगो!
ज़रा आँख में भरलो पानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी!
ज़रा याद करो क़ुरबानी...


जब घायल हुआ हिमालय!
खतरे में पड़ी आज़ादी!
जब तक थी साँस लड़े वो!
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा!
सो गये अमर बलिदानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी!
ज़रा याद करो क़ुरबानी...


जब देश में थी दीवाली!
वो खेल रहे थे होली!
जब हम बैठे थे घरों में!
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने!
थी धन्य वो उनकी जवानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी!
ज़रा याद करो क़ुरबानी...


कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पे मरनेवाला!
हर वीर था भारतवासी
जो ख़ून गिरा पर्वत पर!
वो ख़ून था हिंदुस्तानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी!
ज़रा याद करो क़ुरबानी...


थी खून से लथपथ काया!
फिर भी बन्दूक उठाके!
दस-दस को एक ने मारा!
फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त समय आया तो!
कह गये के अब मरते हैं!
ख़ुश रहना देश के प्यारो
अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने!
क्या लोग थे वो अभिमानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी!
ज़रा याद करो क़ुरबानी...


तुम भूल न जाओ उनको!
इसलिये कही ये कहानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी!
ज़रा याद करो क़ुरबानी...


जय हिन्द। जय हिन्द की सेना,
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द...

सी रामचंद्र के संगीतबद्ध इस गीत को पहली बार लता मंगेशकर ने 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान पर गाया था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू समेत सभी की आंखों से गंगा-जमुना की तरह आंसुओं की धारा बह उठी थी...इस गाने से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने एक पैसा भी फीस नहीं ली थी...कवि प्रदीप ने गाने की रायल्टी से मिलने वाली सारी रकम वार विडोज़ फंड को देने का ऐलान किया था...

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23 टिप्पणियाँ
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  1. bhaaijaan jab desh hi bhrashtachar kaa gulaam rahegaa to fir aazaadi ke jshn kaa kyaa .....akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. बेहतरीन सन्देश देता यह गीत वाकई एक गौरव गान है जो शहीदों को ना भूलने की प्रेरणा देता है !
    शुभकामनायें !

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  3. भ्रष्टाचार पर बेशक हम सरकार से हर दिन लड़ें लेकिन 15 अगस्त जैसे पवित्र राष्ट्रीय पर्व को राजनीति से दूर ही रहने दें...

    आपकी यह रचना देखी जा रही है ब्लॉगर्स मीट वीकली में .
    हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार को
    ब्लॉगर्स मीट वीकली 4 में आप सादर आमंत्रित हैं।
    बेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के लिए अपने विचार आपस में साझा कर सकें।

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  4. bhrastachar se ladna, raajneeti ko 15 august se door rakhna samajh nahi aaya. ham buddhivihino ko anwar ji kuchh roshni dikhayenge..

    15 August par sena ka abhinandan karna hi chahiye, jo veer sainik hamesha jaan ki baaji lagaye khade rahte hain, bawajood iske ki sarkaaren unki shahadat ko bhool jaati hain..

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  5. एक गौरव गान है जो शहीदों को ना भूलने की प्रेरणा देता है !जय हिंद .....

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  6. जय हिन्द, जय हिन्द की सेना...

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  8. यह गीत एक अलग सी अनुभूति सिहरन जगाता है ...
    वीर शहीदों को नमन !

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  9. स्वतंत्रता दिवस पर सार्थक लेख ।

    हमारी स्वतंत्रता में हमारे ज़वानों और शहीदों का अहम योगदान है । उन्हें शत शत नमन ।
    जयहिंद ।

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  10. देश का जवान तो आज भी अंधेरों में सीमाओं पर लड़ रहा है। मानवतावादी आतंकवादियों को बचाने के लिए उनपर अंगुलियां उठाते हैं। लेकिन मुठ्ठीभर नेताओं के लिए आजादी नहीं है, सारी जनता के लिए आजादी होनी चाहिए। यदि आज जनता को लोकतंत्र तानाशाही में बदलता दिखायी दे रहा है तो उसे अधिकार है अपनी अभिव्‍यक्ति करने का।

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  11. स्वतंत्रता दिवस की शुभकानाएं



    नीरज

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  12. आजादी जो बस नाम की है सिर्फ कहने के लिए है अंग्रजो से आजाद होने के बाद हम जो दुबारा गुलाम हो गये उसका क्या ,देश की सीमा पर खड़ा जवान तो खुद भ्रष्टाचार के कारण कई बार परेशान हो चूका है | मुझे तो नहीं लगता की वाकई देश की आजादी का जश्न मानने जैसा कुछ है | आज भी देश में लोग भूखे मर रहे है तो दूसरी तरफ अनाज सड़ रहा है देश में आज भी कई इलाके लालटेन युग में जी रहे है फिर भी जश्न किसके लिए आप के और हमारे लिए एक बार पूरे देश की नजर से देखीये तो पता चलेगा की जश्न मानने जैसा कोई है ही नहीं |

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  13. हां देश के वीर जवानों और शहीदों की आत्माओं के लिए निश्चय ही देश की आज़ादी पर्व को हमारा भी सलाम

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  14. स्वतंत्रता दिवस पर सार्थक लेख………कोटि कोटि नमन उन रणबांकुरों को……साथ ही स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई……

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  15. bohot khub, sach mei kisi ka darja kitna hi bada kyun na ho par in fauji bhaiyo se bada nahi h

    JAI HIND

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