धीरू भाई, हिंदी मेरा गौरव ही नहीं मेरी रोज़ी-रोटी का प्रबंध करने वाली मां भी है...भला मां से कोई नाराज़ कैसे हो सकता है...मेरी किसी से व्यक्तिगत नाराज़गी नहीं है...मेरा विरोध सैद्धांतिक है...
so khushdeep now you will understand why i always made it a point to point out what happened to be wrong
people including you always felt i was wrong but the system is wrong and when/if one is right one should not not hesitate in saying that the system was wrong
whether someone is in your support or not its important to be make a decision and wait for the repercussion because
all the decisions are right at the point when they are taken but its the repercussions that ultimately prove if the decision was right or not
आपको देख कर खुशी हुई, मैं भी दो बार यूँ ही बिलबिलाया था.... टँकी पर चढ़ने की घोषणा तो नहीं की, पर आदरणीय द्विवेदी ने आगाह कर दिया था, सो बचा रहा । फिलहाल आपको देख कर और जो सँदेश देना चाहा है, उसे समझ कर खुश हूँ । यदि आप नेट पर सक्रिय हैं, और नेट पर अपना योगदान भी दे रहे हैं, तो क्या यह बेहतर नहीं है हम अपने मातृभाषा का प्रयोग करके इसके डाटाबेस को समृद्ध करें ?
खुशदीप भाई,मै तो समझता था कि दुनिया का सब से मुर्ख आदमी मे ही हुं, अंहकारी भी जो बडे से बडे लाभ को भी ठोकर मार देता हे, लेकिन अपनी आदत, अपने असूलो से नही हटता , लेकिन मेरे जैसे सर फ़िरे हे इस दुनिया मे बहुत, यह इस विडियो देख कर समझ आ गया , ओर इशारा भी समझ गया...स्वागत हे आप का
आदरणीय खुशदीप जी, शुक्र है मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं पंजाबी है और आपकी भी । हम लोग हिंदी के उपासक है , हिंदी हमारी जान है हमारी शान है औऱ हिंदी पर हमको मान है । हमें गर्व है कि किसी जन्मजात हिंदीभाषी के मुकाबले हमारी हिंदी कहीं कम नहीं है । ऐसे में हिंदी से नाराजगी बिल्कुल वैसी ही लगती है जैसे भगवान के सामने खड़े होकर उसे भला-बुरा कहना कि जाओं न तूं सा़डा रब ते न असी तेरे बंदे, जिस जन्नत दा तू गुमान करता है हमने उसमें जाना ही नहीं । अब गुस्सा खत्म करो और नींबू-पानी पियो और हमेशा की तरह जयहिंद का जयघोष कीजिए ।
खुशदीप भाई आपकी पोस्ट देख दिल में खुशी छाई आपने हम सब में ये उम्मीद जगाई कि आप हमारे बीच रह हमारी खबर लेंगें भाई आपके आने से आपके दुश्मनों की मर जायेगी ताई शानदार पोस्टें लिख कर सबको चकित करना भाई.
अब जल्दी से आ जाईये मेरी नई पोस्ट पर मेरी खबर लेने के लिए. वर्ना फिर मै नाराज हों जाऊँगा और लिखना छोड़ दूँगा.
There can't be any attitude without a decision.
जवाब देंहटाएंसही है...तबीयत कैसी है महाराज?
जवाब देंहटाएंnever show your anger on MOTHER , MOTHER TONGUE and MOTHER LAND
जवाब देंहटाएंसही है लेकिन-
जवाब देंहटाएंछोडो भी ये गुस्सा ज़रा , हंस के दिखाओ ।
मक्खन बहुत परेशान है... द्विवेदी जी के यहां है, वापस ले आइये...
जवाब देंहटाएंछोडो भी ये गुस्सा ज़रा , हंस के दिखाओ ।
जवाब देंहटाएंwithout attitude there cannot be a decision ...
जवाब देंहटाएंसहगल साहब आप बेशक यूँ ही अंग्रेजी में ब्लॉग्गिंग करा करें चलेगा पर ब्लॉग्गिंग जारी रहे.
जवाब देंहटाएंएक जोर की जय हिंद !
तो मक्खन को सेलेरी कितना दोगे डिस्कस कर लें। वैसे धीरू सिंह जी का कमेण्ट बड़ा अच्छा लग रहा है।
जवाब देंहटाएंaap ka muskarana ...........
जवाब देंहटाएंतबीयत कैसी है........
jai baba banaras.....
मक्खन के बिना कुछ अच्छा नही लगता\ गुस्सा शान्त हुया? जल्दी से मखन से मुलाकात करवाओ।ाशीर्वाद। बहुत खुश हूँ-----
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंउम्मीद है अब आप पर्याप्त स्वस्थ होंगे । शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंधीरू भाई,
जवाब देंहटाएंहिंदी मेरा गौरव ही नहीं मेरी रोज़ी-रोटी का प्रबंध करने वाली मां भी है...भला मां से कोई नाराज़ कैसे हो सकता है...मेरी किसी से व्यक्तिगत नाराज़गी नहीं है...मेरा विरोध सैद्धांतिक है...
जय हिंद...
अरे वाह!!!!!! खुशदीप भाई मान गए!!!!! हो हो हो... हु हु हु.... यस... यस.. यस...
जवाब देंहटाएंधरना ख़त्म.... संतरे का रस पिलाने खुशदीप भाई आने वाले हैं...
भाई हो तो ऐसा!!!!!!
खुशदीप सहगल की बग़ावत
यह दृश्य सच में छू गया था फिल्म में। कृत्रिमताओं से बाहर आकर सहज ही जीना होगा।
जवाब देंहटाएंso khushdeep now you will understand why i always made it a point to point out what happened to be wrong
जवाब देंहटाएंpeople including you always felt i was wrong but the system is wrong and when/if one is right one should not not hesitate in saying that the system was wrong
whether someone is in your support or not its important to be make a decision and wait for the repercussion because
all the decisions are right at the point when they are taken but its the repercussions that ultimately prove if the decision was right or not
हमने तो कभी माना ही नहीं कि आप चले गए ।
जवाब देंहटाएंफिर भी मुबारकबाद ।
Change the attitude of your decision:))
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआपको देख कर खुशी हुई, मैं भी दो बार यूँ ही बिलबिलाया था.... टँकी पर चढ़ने की घोषणा तो नहीं की, पर आदरणीय द्विवेदी ने आगाह कर दिया था, सो बचा रहा । फिलहाल आपको देख कर और जो सँदेश देना चाहा है, उसे समझ कर खुश हूँ । यदि आप नेट पर सक्रिय हैं, और नेट पर अपना योगदान भी दे रहे हैं, तो क्या यह बेहतर नहीं है हम अपने मातृभाषा का प्रयोग करके इसके डाटाबेस को समृद्ध करें ?
अगली पोस्ट????
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई,मै तो समझता था कि दुनिया का सब से मुर्ख आदमी मे ही हुं, अंहकारी भी जो बडे से बडे लाभ को भी ठोकर मार देता हे, लेकिन अपनी आदत, अपने असूलो से नही हटता , लेकिन मेरे जैसे सर फ़िरे हे इस दुनिया मे बहुत, यह इस विडियो देख कर समझ आ गया , ओर इशारा भी समझ गया...स्वागत हे आप का
जवाब देंहटाएंआ भी जाओ खुशदीप जी..
जवाब देंहटाएंआदरणीय खुशदीप जी, शुक्र है मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं पंजाबी है और आपकी भी । हम लोग हिंदी के उपासक है , हिंदी हमारी जान है हमारी शान है औऱ हिंदी पर हमको मान है । हमें गर्व है कि किसी जन्मजात हिंदीभाषी के मुकाबले हमारी हिंदी कहीं कम नहीं है । ऐसे में हिंदी से नाराजगी बिल्कुल वैसी ही लगती है जैसे भगवान के सामने खड़े होकर उसे भला-बुरा कहना कि जाओं न तूं सा़डा रब ते न असी तेरे बंदे, जिस जन्नत दा तू गुमान करता है हमने उसमें जाना ही नहीं । अब गुस्सा खत्म करो और नींबू-पानी पियो और हमेशा की तरह जयहिंद का जयघोष कीजिए ।
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट देख दिल में खुशी छाई
आपने हम सब में ये उम्मीद जगाई
कि आप हमारे बीच रह हमारी खबर लेंगें भाई
आपके आने से आपके दुश्मनों की मर जायेगी ताई शानदार पोस्टें लिख कर सबको चकित करना भाई.
अब जल्दी से आ जाईये मेरी नई पोस्ट पर
मेरी खबर लेने के लिए.
वर्ना फिर मै नाराज हों जाऊँगा और लिखना
छोड़ दूँगा.