आज पहली अप्रैल है...औरों को टोपी पहनाने का दिन...लेकिन जिसने भी इसे बनाया वो वाकई कमाल का बंदा होगा...कम से कम एक दिन तो दुनिया भर के मक्खनों के नाम कर दिया...तो आज की मेरी ये पोस्ट सारी मक्खन बिरादरी को समर्पित है....अब ऐसे में मक्खन के जीनियस माइंड का किस्सा ही सुना सकता हूं...
मक्खन और ढक्कन ने नई खुली खदान ( mine) में नौकरी के लिए आवेदन किया...इंटरव्यू के लिए कॉल भी आ गई...वहां पहुंचे तो देखा और भी बहुत सारे लोग इंटरव्यू देने के लिए आए हैं...थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद ढक्कन का नंबर आ गया...
इंटरव्यू लेने वाले बॉस ने ढक्कन से पूछा...क्या उसने पहले कभी ज़मीन के अंदर काम किया है...
ढक्कन ने जवाब हां में दिया...
बॉस ने फिर पूछा...ज़मीन के कितना नीचे काम किया है...
ढक्कन...आठ से दस फीट...
बॉस...यू फूल...खदानें इससे कहीं ज़्यादा गहरी होती हैं, तुम खनिक नहीं हो इसलिए बाहर का रास्ता नापो...
ढक्कन इंटरव्यू देकर बाहर निकला तो मक्खन ने पूछा कि कैसा रहा...इस पर ढक्कन ने कहा- इंटरव्यू लेने वाला बड़ा खडूस है...नौकरी देने के लिए पहले ये देखता है कि खदान में कितना घुस कर काम कर रखा है....ढक्कन ने मक्खन को सलाह दी कि तुझसे भी ये सवाल पूछे तो ज़्यादा से ज़्यादा गहराई गिनाना...शायद खुश होकर तुझे ही नौकरी मिल जाए...
मक्खन अंदर गया तो बॉस ने ढक्कन जैसे ही मक्खन से भी पूछा कि क्या कभी ज़मीन के अंदर किसी खदान में काम किया है...
मक्खन का जवाब था...साहब जी अपनी तो ज़िंदगी ही खदानों में बीती है...
बॉस...गुड, अच्छा ये बताओ कि खदान में कितना नीचे जाकर काम किया है....
मक्खन... 20,000 फीट
बॉस...20,000 फीट, इट्स क्रेडिबल...ग्रेट जॉब...
वैसे ज़मीन के अंदर इतनी गहराई में कौन सी लाइट का तुम इस्तेमाल करते थे...
मक्खन....ओ साहब जी, लाइट की मुझे ज़रूरत ही कहां थी, मैं तो...
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...मैं तो नाइट शिफ्ट में नहीं डे-शिफ्ट में काम करता था...
(अब मूर्ख दिवस पर प्यार से बोलो....मक्खन महाराज की जय....)
हा हा हा कमाल है भई।
जवाब देंहटाएंजैजै मक्खनों की, जैजै ढक्कनों की।
जवाब देंहटाएंमूर्खता दिवस पर बधाइयाँ .......
जवाब देंहटाएंमक्खन महाराज की जय..
जवाब देंहटाएंमुबारक हो मख्खन और उनके गुरु खुशदीप सहगल को ...शुभकामनायें ढक्कन को भी !
जवाब देंहटाएंढक्कन ने मक्खन को क्या तरकीब सुझाई
जवाब देंहटाएंमक्कन ने इंटरव्यूअर की अच्छी वाट लगाई
प्रथम अप्रैल का दिन,हो जरा भिन्न
हँसते हँसाते करें बस हिन्न हिन्न
देशनामा पर हिन्न हिन्न करने कराने की बहुत बहुत बधाई ,खुशदीप भाई.
सब लोग मूर्ख दिवस पर खुशदीप भाई को बधाइयाँ क्यों दे रहे हैं भाई... ? मूर्ख दिवस है... उनका जनम दिन थोड़े ही है :)
जवाब देंहटाएंऐसे ही मक्खन और ढक्कन हमारे देश को अभी चला रहे हैं.....मनमोहन सिंह,प्रतिभा पाटिल व शरद पवार जैसों की वजह से इस देश के लोगों के लिए हर दिन ही अप्रेल फूल की तरह हो गया है.......जय हो हमारे देश के मक्खन और ढक्कन रुपी भाग्य विधाताओं की...
जवाब देंहटाएंमूर्ख दिवस मुबारक हो...:)
जवाब देंहटाएंसभी लोग पहली अप्रैल को इतने मज़ाक में क्यो रहे हैं । यही तो वो दिन है जिस दिन हमें गंभीर और सतर्क रहने की आवश्यक्ता होती है । पता नहीं कब कौन टोपी पहना जाए ।
जवाब देंहटाएंजय हो मक्खन और ढक्कन जी की..
जवाब देंहटाएंभैया हम भी डे-शिफ्ट में ही काम करते हैं। आप मक्खन को हमेशा साथ ही रखा करो, बुद्धि को हमेशा बल मिलता रहेगा। आज हम सब लोगों का दिन है तो एक दूसरे को बधाई।
जवाब देंहटाएंमूर्खता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। फर्स्ट अप्रैल की शुभकामनायें|
जवाब देंहटाएंjai baba banaras....
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएं।
हा हा हा…………आज का बादशाह तो मक्खन ही है।
जवाब देंहटाएंमक्खन महाराज की जय .............
जवाब देंहटाएंसही बात है खदानों में दिन में ही काम करना चाहिए कितनी बिजली बचेगी |
जवाब देंहटाएंहमको नहीं पता था की इस दिन की भी शुभकामनाये दूसरो को दिया जाता है :)
बस जी ! मक्खन महाराज की जय.
जवाब देंहटाएंजय मक्खन महाराज।
जवाब देंहटाएंहा हा,
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर तो लोग जरूर कहेंगे कि मक्खन महाराज की जय, लेकिन यदि यही पोस्ट मैं लिखूँ तो ये बेनामी लोग पता है क्या कहेंगे ?
मक्खन महारज की..........फ़लानी की फ़लानी!! हा हा!!
और ये सब आप लोगों की ही मेहरबानी से है।
जाने दीजिये यहाँ तो दिन्नू दादा (आदरणीय दिनेशराय जी) तक ढक्कनों की जय जयकार करते हैं। हा हा।
हा हा.....क्या बात है..
जवाब देंहटाएंपर मैं तो नाइट शिफ्ट में खदानों में काम करता हूं। आंखें बंद करके काम करता हूं और खोद खोद कर खदानों में से विचार बाहर लाता हूं फिर अपने ब्लॉग पर सजाता हूं। कोई शक ?
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