कल की पोस्ट में जो ज़िक्र किया था, उस पर आने से पहले छोटा सा एक किस्सा....
एक अखबार ने जाने-माने नेता को चोर बता दिया...
अखबार पर मानहानि का मुकदमा हो गया...
अखबार के संपादक को नोटिस मिला, उसे पढ़कर वो कुर्सी से गिर गया...
मानहानि का नोटिस चोर के वकील ने भेजा था...
विदेशी बैंकों में भारत का कितना काला धन है, इस पर सटीक तौर पर कुछ कहना मुश्किल है...लेकिन अकेले स्विस बैंकों में ही भारत से 1500 अरब डॉलर यानि करीब 70 लाख करोड़ रुपये का काला धन जमा है...ये धन आज़ादी के बाद 63 साल में भारत से बाहर ले जाकर जमा कराया गया...
इस लिस्ट में दूसरा नंबर रूस का है जिसका काला धन भारत की तुलना में एक चौथाई ही बैठता है...यानि 470 अरब डॉलर...
घपलेबाज़ नेता, भ्रष्ट नौकरशाह, बेइमान उद्योगपति यानि सभी रसूखदारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी विदेश में अपनी तिजोरियां भरने में...ये काला धन देश पर कुल कर्ज़ का 13 गुना बैठता है और देश के जीडीपी का 40 फीसदी है...
औसतन हर साल सवा लाख करोड़ रुपया बाहर भेजा जा रहा है...इस काले धन में 11.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है...
अब देखिए इस काले धन को वापस लाया जाए तो देश में क्या क्या हो सकता है...
24 घंटे में देश का सारा कर्ज़ चुकता हो जाएगा...और जो पैसा बचेगा, उस पर मिलने वाले ब्याज का पैसा ही देश के कुल बजट से ज़्यादा होगा...ऐसी स्थिति में देश में सारे टैक्स हटा भी लिए जाएं तो भी सरकार मज़े में बिना किसी आर्थिक दिक्कत के चलाई जा सकती है...
देश के 45 करोड़ गरीबों (बीपीएल) में से हर एक को एक-एक लाख रुपया मिल सकता है...
ग्रामीण रोज़गार के कार्यक्रम मनरेगा पर 40,100 करोड़ रुपया खर्चती है...काला धन देश में लाने से 50 साल के लिए मनरेगा का खर्च निकल आएगा...
सरकार ने किसानों का कर्ज़ माफ़ करने पर 72,000 करोड़ रुपये खर्च किए...काले धन को देश में लाने से 28 बार किसानों का इतना ही कर्ज माफ किया जा सकता है...
किसी देश के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है, उसके संपर्क मार्ग कैसे हैं...काले धन की वापसी से देश में 2,80,000 किलोमीटर हाईवे बनाया जा सकता है...एक किलोमीटर हाईवे बनाने में करीब 7 करोड़ का खर्च आता है...
बिजली के संकट से देश के सभी बड़े राज्यों को झूझना पड़ता है...काले धन को देश में लाने से 1500 मेगावॉट के 280 पावर प्लांट लगाए जा सकते हैं...
इस पैसे को सेना पर खर्च किया जाए तो डिफेंस बजट 14 गुना हो सकता है...
चलिए सुन लिया न सब, खुश हो गए ना, अब ये हसीन ख्वाब यही छोड़िए, काला धन न देश में कभी वापस आया है और न ही आगे कभी आएगा...
आप और हम बस ये गाना गाकर दिल बहलाएं...
कोई लौटा दे हमारा लूटा हुआ धन...
क्या-क्या हो सकता है काले-धन से...खुशदीप
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सोमवार, जनवरी 17, 2011
मुझे तो नही लगता यह धन भारत वापिस आयेगा आसानी से . एक बार फ़िर से vdisलागू हो इस धन पर लगभग ४० % टेक्स लगे और इसे काले से सफ़ेद कर दिया जाये तो ही शायद यह धन भारत मे वापिस आ जाये . उसके वाद भी ना आये तो कोइ सख्त कार्यवाही हो .
जवाब देंहटाएंऔर आगे यह सब ना हो इसलिये भ्रष्टाचार को कराधान के दायरे मे ले आया जाये . इससे देश का पैसा देश मे ही रहेगा . आखिर सुधरने वाला सिस्ट्म तो कोलेप्स हो गया है . :)
काला धन बनाने और संग्रह करने के लिए वैश्विक व्यवस्था है, उस के टूटने पर ही इस धन को वापस लाना संभव है।
जवाब देंहटाएंis desh se gareebi poori tarah khtm ho jaayegi,
जवाब देंहटाएंbharat ke har aadmi ke pass kala dhan hai----------------------------------------------------------------------------------------------------
जवाब देंहटाएंइस कालेधन की रामायण कई बार पढ़ ली है लेकिन कुछ होगा इसमें संशय है। क्योंकि ये धन ना आपका है और ना मेरा है अर्थात आम जनता का नहीं है। अब किसका है? राजनेता, नौकरशाह, पत्रकार इनका है। आज देश पर किसका कब्जा है? राजनेता, नौकरशाह और पत्रकार। अब आप बताएं कि धन कैसे वापस आएगा?
जवाब देंहटाएंसच कहा..."काला धन न देश में कभी वापस आया है और न ही आगे कभी आएगा"
जवाब देंहटाएंहम सिर्फ चिंता कर सकते हैं..अफ़सोस कर सकते हैं और जल-भुन सकते हैं...बस
VDIS ने दिखा दिया कि हम निकम्मे हैं... लोग चोरी करें और सरकारी एजेंसियां कुछ न कर पायें... या तो निकम्मी हैं या वे भी संलिप्त हैं.. बस यही है.. सार... अपना हिस्सा लो और मौज करो.. यही होगा भी..
जवाब देंहटाएंVDIS की सफलता के बाद ऊपर के सभी टाप लेवल अधिकारियों को नौकरी से निकाल देना चाहिये था..
यह रिपोर्ट हमारे इमान दार अर्थ शास्त्री को पढाई जाये, लेकिन वो क्या करेगे, आनाज सारा सड गया उस का कुछ नही कर पाये तो इस का क्या कर लेगे.....
जवाब देंहटाएंभाई मै हर बार यही कहता हुं हम या हमारा देश गरीब नही, बस इन इमानदारो ने हम सब का यह हाल कर दिया हे
.
जवाब देंहटाएंहम्म !
@ भाई खुशदीप जी ! आप सच तो लिखते ही हैं लेकिन अच्छा भी लिखते हैं ।
जवाब देंहटाएंजनाब राज भाटिया जी से सहमत हूं । वे सही कहते हैं कि ये 'ईमानदारों' की ही कारस्तानी है सारी।
...लेकिन अब लोग इन ईमानदारों की मंशा को समझने लगे हैं । ये खुद से न सुधरे तो नागहानी फंस जाएंगे ।
इनका over self confidence ही इन्हें ले डूबेगा।
जो चीज़ किसी की ताक़त होती है वही चीज़ उसके विनाश का कारण भी बना करती है ।
ऐसा अक्सर देखा जाता है ।
@डॉ अनवर जमाल,
जवाब देंहटाएंमैं आपसे यही उम्मीद करता हूं कि इसी तरह आप पोस्ट के अनुरूप मुद्दों पर आगे भी अपने विचार रखेंगे...मेरा जो भी ब्लॉग जगत में थोड़ा बहुत अनुभव है, उसके आधार पर कह सकता हूं कि विवादों को जन्म देने वाले लेखन पर किसी को तात्कालिक सफलता तो मिल सकती है...लेकिन लंबी रेस में वही घोड़े टिकेंगे जो अपने लेखन में नित नया कुछ देने का प्रयास करें...
जमाल साहब ज़रा नीचे लिखी लाइन में रिक्त स्थान को अपनी सुविधा अनुसार भरने का कष्ट करें...
और भी गम हैं ज़माने में........के सिवा...
आशा है मैं अपना संदेश देने में सफल रहा हूंगा...
जय हिंद...
कौन कहता है, हम गरीब हैं।
जवाब देंहटाएं24 घंटे में देश का सारा कर्ज़ चुकता हो जाएगा...और जो पैसा बचेगा, उस पर मिलने वाले ब्याज का पैसा ही देश के कुल बजट से ज़्यादा होगा...ऐसी स्थिति में देश में सारे टैक्स हटा भी लिए जाएं तो भी सरकार मज़े में बिना किसी आर्थिक दिक्कत के चलाई जा सकती है..
जवाब देंहटाएं.
मतलब काला धन ही , ग़रीबी का कारण है.. लेकिन काला धन कमाने वालों को कौन बदलेगा?