आज महफूज़ मियां पर मज़ेदार पोस्ट लिखने का मूड था...मकसद यही था कि गेयर बदल कर फिर स्लॉग ओवरिया माहौल बनाऊं...लेकिन इसे आज टाल दिया...दरअसल पिछले दो महीने से मैं एक चीज़ महसूस कर रहा हूं...शायद आपको भी हुई हो...लगता है ब्लॉगवुड किसी बुरी नज़र के साये में है...हो सकता है ये महज़ मेरा वहम हो...
इस बुरे दौर की शुरुआत महाराष्ट्र के दौरे पर पाबला जी की मारूति वैन के जल कर ख़ाक होने से हुई...फिर महफूज़ पर गोली चली...ये इत्तेफ़ाक है या कुछ और, लेकिन पाबला जी को इन दोनों घटनाओं का पहले ही आभास हो गया था...इसी दौरान मिथिलेश दुबे के डेंगू से ग्रस्त रहने की खबर भी अरविंद मिश्रा जी ने अपनी एक पोस्ट के माध्यम से दी...ऊपर वाले का शुक्र है कि महफूज़ और मिथिलेश दोनों तेज़ी से स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं और जल्दी ही चंगे होकर पोस्ट लिखेंगे...
इन दो महीनों में अगर सबसे ज़्यादा किसी को भुगतना पड़ा है तो वो पाबला जी ही हैं...महाराष्ट्र के हादसे से अभी उभरे भी नहीं थे कि बेटे का भिलाई में बाइक से एक्सीडेंट हो गया...बेटा हॉस्पिटल में है कि पाबला जी की माता जी को ब्रेन हैमरेज हो गया...ये पोस्ट लिखी ही थी कि दिनेश राय द्विवेदी सर की पोस्ट से पता चला कि पाबला जी की माता जी हरभजन कौर जी का १८ नवंबर की अपराह्नन स्वर्गवास हो गया...ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दे... पाबला जी बड़े जीवट के साथ इस मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं...ईश्वर से प्रार्थना है कि बेटे को शीघ्र स्वस्थ करे...पाबला जी से जब भी फोन पर बात करता हूं, गजब का धैर्य उनमें दिखाई देता है...वाहे गुरू ऐसा ही हौसला बनाए रखने की आगे भी पाबला जी को शक्ति देता रहे...
इधर दिल्ली में राजीव कुमार तनेजा भाई की माताजी का हॉस्पिटल में इलाज़ चल रहा है...राजीव भाई और संजू भाभी पूरे जी-जान से माताजी की सेवा में जुटे हुए हैं...ऐसे बेटे-बहू हर मां-बाप को मिलें...इसके अलावा पिछले दिनों ही अलबेला खत्री जी को भी गुड़गांव आकर अपने भ्राताश्री के हार्ट की सर्जरी करानी पड़ी...आशा है अलबेला जी के भाई अब पूरी तरह स्वस्थ होंगे...उधर, कनाडा में अदा जी के बाबा जी को भी अचानक तबीयत खराब होने के चलते आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा...ऊपर वाले से यही दुआ है कि बाबा जी को शीघ्र स्वस्थ करे और अदा जी के परिवार को इस कठिन वक्त में संबल दे...
कल दीपक मशाल ने गज़ल के शहंशाह महावीर शर्मा जी के लंदन में देहावसान की ख़बर दी...महावीर जी जैसे मनीषी को पूरे ब्लॉगवुड की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि...मेरे सिर से पापा का साया ठीक दीवाली वाले दिन उठ गया...नौ दिन बाद 14 नवंबर को डॉ टी एस दराल को इसी स्थिति का सामना करना पड़ा और दुनिया को खुशियां बांटने वाले सीनियर दराल सर ने दुनिया से विदाई ली...
खुशदीप जी
जवाब देंहटाएंकुछ दिन ब्लॉग से बाहर रहा तो एक साथ कितनी पीड़ाएं एक साथ मिल रही हैं ..मैं तो हतप्रभ हूँ भाई !
अभियो आपकी पोस्ट पूरी पढ़ी भी नहीं थी की पाबला जी की माताजी के देहांत का समाचार भी वज्रपात की तरह टूट पड़ा है
सतनाम श्री वाहेगुरु !
मित्रो संघर्षों एवम बेहद कठिनाईओं भरा रहा यह वर्ष बी एस पाबला जी के लिये. आज दिनांक 18 नवम्बर 2010 को उनकी सत्तर वर्षीया मातुश्री का दु:खद निधन ब्रेन-हेमरेज से हो गया. मातुश्री को अंतिम बिदाई रामनगर मुक्ति धाम भिलाई में 19 नवम्बर 2010 को प्रात: 11:00 बजे दी जावेगी.
जवाब देंहटाएंब्लाग जगत की ओर से मातुश्री के आकस्मिक निधन पर गहन शोक संवेदनाएं . वाहे गुरु से पूज्य पिता श्री पाबला जी एवम बी०एस पाबला परिवार को गहन दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना है
खुशदीप भाई,
जवाब देंहटाएंबेहद दुखद समाचार मिल रहे है आजकल !
कुछ समझ नहीं आता कि यह क्या हो रहा है ....एक के बाद एक सब ऐसे ही समाचार मिल रहे है !!!!
पूज्या माता जी को हार्दिक भावभीनी श्रद्धाजलि !!
भगवान् से यही विनती है कि परिवार में सब को इस दारुण दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें !
ॐ शांति शांति शांति !!
सहगल जी के पिता का जाना और 9 साल पहले की एक घटना
जवाब देंहटाएं(सर, हो सके तो इसे कमेंट से बाहर कहीं पोस्ट के रूप में लगा दें।
प्रमोद राय )
नौकरी-पेशे के साथ-साथ घर परिवार की जिम्मेदारियों और रोजमर्रा के रिश्तों को निभाना सहगल जी बखूबी जानते हैं। आपके पिताजी के निधन की खबर सुनकर अचानक मेरी यादाश्त करीब एक दशक पहले चली गई है। बात उन दिनों की है, जब सहगल जी अमर उजाला मेरठ से नोएडा भेजे गए थे और मैं उनके अंडर में ट्रेनी सब एडिटर के रूप में काम कर रहा था। तब भी काम, अनुशासन और व्यवहार कौशल के चलते दफ्तर में सहगल जी की काफी इज्जत होती थी। पारिवारिक जिम्मेदारियों या अन्य विवशताओं से तब वह रोजाना मेरठ से नोएडा आते जाते थे। वक्त पर दफ्तर आने और टाइम मैनेजमेंट के चलते लोग कहते थे कि वे घड़ी की नोक पर चलते हैं। ...मुझे वो दिन याद है, जब घड़ी की नोक पर चलने वाला यह शख्स एक दिन घंटो देरी से आया। फिर लगातार दो तीन दिन देरी से। हो सकता है कि उन्होंने बॉस को वजह बता दी हो, लेकिन सहकर्मियों में यह एक असामान्य बात थी। इस दौरान सहगल जी के चेहरे पर तनाव और चिंता की लकीरें साफ नजर आती थीं। अचानक एक दिन फोन आया और सहगल जी बॉस को बताकर जल्दी जल्दी दफ्तर से जाने लगे। जाते जाते वे कुछ यूं बुदबुदाए ..काम हो गया यार। कुछ दिन बाद पता चला कि वे पिता की गंभीर बीमारी और शायद पीठ या रीढ़ के ऑपरेशन को लेकर परेशान थे। वे पिता को हर हाल में बेहतरीन चिकित्सा सुविधा दिलाना चाहते थे। लेकिन हालात के तकाजे पर उनकी पहुंच छोटी पड़ रही थी। शायद ऑपरेशन की दरकार जल्द से जल्द थी, इसलिए सहगल जी इस दिशा में हर प्रयास कर रहे थे। डेस्क से जुड़े रहने के कारण प्रशासनिक हलके में उनकी कोई खास पहचान नहीं थी और अखबारी प्रभाव बेअसर था। उन्होंने सीधे या किसी के माध्यम से ब्यूरो के किसी शीर्ष व्यक्ति मदद की गुजारिश की। पता नहीं, ये पिता के प्रति बेटे के समपर्ण भाव का असर था या सहगल जी के अनवरत प्रयासों का, कुछ ही दिन बाद ब्यूरो से उन महोदय का फोन आ गया कि आपके पिताजी का ऑपरेशन जल्द हो जाएगा, आप उन्हें मेरठ से दिल्ली लाने का इंतजाम करें। तब राहत की एक लंबी सांस लेते हुए पहली बार सहगल जी ने अपने पिता और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में हमें बताया था। उन्होंने बताया था कि कैसे पिता ने देश के बंटवारे के बाद भारत आकर सब कुछ नए सिरे से शुरू किया था और बच्चों की जिंदगियां बसाई थीं। ...
.यह बात यहां कहते थोड़ी अटपटी लग रही है, पर जरूरी है। उनके पिताजी की हालत उसी समय इतनी गंभीर थी कि आराम करने में भी तकलीफ होती थी और सहगल जी यह उम्मीद कर रहे थे कि ऑपरेशन के बाद कम से कम वह सुकून से बिस्तर पर तो लेट ही सकेंगे। करीब 10 साल बाद उनके निधन की खबर सुनकर सबसे पहले मेरे दिमाग में यह बात आ रही है कि अगर वह इतने दिनों तक हमारे बीच थे तो इसमें कोई शक नहीं कि ईश्वरीय कृपा के अलावा बच्चों की सेवा का सबसे बड़ा योगदान रहा होगा। ....
जम्प कट
इसी बीच एक दिन मेरे पिताजी की तबीयत खराब होने की खबर आई। मै्ं अफरा तफरी में दफ्तर से छुट्टी लेकर इलाहाबाद गया। दो तीन दिन बाद दफ्तर लौटा तो सभी ने खैरीयत पूछी। मैंने कहा अब तबीयत बिल्कुल ठीक है। सहगल जी ने पूछा, क्या हुआ था। मैंने कहा, कुछ खास नहीं, एज रिलेटेड प्रॉबल्म्स हैं। पिताजी बुजुर्ग हैं, बीच बीच में बीमार पड़ जाते हैं। उन्होंने पूछा कितनी उम्र है, मैंने कहा, यही कोई 65। सहगल जी की बड़ी आंखे पूरे फॉर्म में नजर आईं। बोले-कमाल की बात करते हो यार, यह भी कोई उम्र है। तुम्हें ऐसे नहीं बोलना चाहिए। यही बात तुम दूसरे तरीके से भी कह सकते थे। फिर आदत के मुताबिक उन्होंने मसले को पॉजिटिव टोन देते हुए कहा, इस उम्र में तो लोग राजनीति में करियर शुरू करते हैं। खैर.. उनका आशय यह था कि हमें अपनी मेहनत, कमाई और समर्पण के आखिरी छोर तक मां-बाप के बारे में सोचना चाहिए।
और हां..
भतीजे के सर्वे में मदद का आग्रह कहीं न कहीं उसी पारिवरिक और सांस्कारिक भावना से जुड़ा है, जिसकी डोर में पिताजी ने कभी पूरे परिवार को बांधा होगा।
... प्रमोद राय
हमारे मित्रों के साथ जो दुखद घटित हुआ उसका अफ़सोस है, मेरी माता जी का भी देहांत इसी वर्ष हुआ. लेकिन दुखों को भूल के सुखों को याद करते हुए नए साल की तैयारी करना शुरू कर दें.
जवाब देंहटाएंशोकसंतप्त पाबला जी की इस दुखद घडी में हमारी सम्वेदनाएं।
जवाब देंहटाएंब्लोगवूड के इन बंधुओ की तनावपूर्ण घडी में हम सभी साथ है।
बाकी तो जीवन उसे फ़िर सम्हल कर आगे बढना है।
मेरी तरफ से माताजी को श्रधांजलि, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रमोद,
जवाब देंहटाएंतुमने बीता वक्त फिल्म की रील की तरह फिर याद दिला दिया....प्रमोद बहुत ही मेहनती, लगनशील और समर्पित शख्स है और इस वक्त टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप में ऊंची पोस्ट पर है...मैंने उसे जब भी काम को लेकर कोई बात बताई, उसने बड़े अच्छे ढंग से उसे ग्रास्प किया और अंजाम दिया...ईश्वर उसे सफलता के ऊंचे से ऊंचे सोपान तक ले जाए...
जय हिंद...
उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें .
जवाब देंहटाएंमेरा मानना है कि बुरी नजर नहीं
जवाब देंहटाएंयह नियति चक्र है
जिसकी गति अत्यंत विचित्र है।
वाकई बहुत ही दुखद है
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा… एक साथ इतने दुर्योग?
जवाब देंहटाएंओह्ह... पाबला जी के दुःख को बहुत अच्छी तरह महसूस कर रही हूँ...
जवाब देंहटाएंमाता जी के चरणों में मैं श्रद्धा-सुमन अर्पित करती हूँ...
दाराल साहब ! आपके दुःख की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं...मेरी प्रार्थना आपके समस्त परिवार के साथ है...
खुशदीप जी ....आपकी बात सचमुच विचारणीय है...क्या सचमुच ब्लॉग जगत पर दुखों की बदली छाई है..?
मेरे बाबा फिलहाल तो ठीक हैं...लेकिन मन हमेशा आशंकित रहता है...
ईश्वर की शांति हमारे प्रियजनों पर बनी रहे....
आमीन..!!
मन दुखी है..
जवाब देंहटाएंखुशनसीब होते हैं वे लोंग जिन्हें माँ बाप की सेवा करने का अवसर मिलता है और वे करते भी हैं ..
जवाब देंहटाएंवरना तो खाट में बीमार पड़े बुजुर्गों की दुर्दशा भी खूब देखी है ...
ईश्वर सबको स्वस्थ और मस्त रखे..और वे दूसरों की जिंदगी में भी खुशियों की वजह बने ..!
जिस प्रकार से दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता है उसी प्रकार से अच्छा समय के बाद खराब समय और खराब समय के बाद अच्छा समय भी आता है। खराब समय को धीरज के साथ बिताने में ही भलाई है।
जवाब देंहटाएंरहिमन चुप व्है बैठिए देख दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं बनत न लगिहैं देर॥
खुशदीप जी, परिवार बढ़ रहा है तो अच्छी-बुरी खबरों का भी साया बना रहेगा। लेकिन परिवार की हौसला अफजाई के कारण सभी को सांत्वना भी मिलती है। बस ऐसे ही हम एक-दूसरे की भावनाओं के साथ जुड़े रहें।
जवाब देंहटाएंपरीक्षा की घडी है और इस घडी में हमें धैर्य से काम लेना होगा...
जवाब देंहटाएंनीरज
वक्त हमेशा एक सा नही रहता…………बस भगवान से यही प्रार्थना है कि सब पर दया दृष्टि बनाये रखे और हौसला प्रदान करे।
जवाब देंहटाएंइन घटनाओं दुर्घटनाओं की वजह से अच्छा नहीं लग रहा है।
जवाब देंहटाएंपाबला जी की माता जी की आत्मा को विनम्र ज्ञद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंhar raat ke baad ek naye din ki suruaat hoti hai.
जवाब देंहटाएंham sab logo ko sabra se kaam lena chahiya .
kal hamari bhee pappi ek truck ne lee thee.
ham to theel thaak hai lakin gadi ko dent aa gaya .
matajee ko bhavbheenee shrudhanjalee .......
जवाब देंहटाएंshubhkamnae.............
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखुदा से उम्मीद करते हैं कि खुशिया लौट आएं और परीक्षा की यह घड़ियाँ समाप्त हो!
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम
एक और दुखद खबर आई है एक दुर्घटना के बारे में, बहुत बुरा लग रहा है। मोहन वशिष्ठ जी का 3 साल का बच्चा जलने की वजह से इमरजेंसी में है। कैसे सांत्वना दूं। परमात्मा बच्चे को जल्द स्वस्थ करे।
जवाब देंहटाएंmohankaman.blogspot.com
सारी सूचनाएं दुखद है
जवाब देंहटाएंईश्वर से सब ठीक करने की गुजारिश है
अल्लाह सभी ब्लॉगर बंधुओं को जल्द अज़ जल्द सेहतयाब करे ताकि उनकी अंगुलियाँ फिर से किबोर्ड पर दौड़ने लगे .
जवाब देंहटाएंdabirnews.blogspot.com
ओह !
जवाब देंहटाएंक्या कहें..यही जीवन है..सब देखना, सुनना और झेलना होता है.
जवाब देंहटाएंदिवंगत आत्माओं को शान्ति की प्रार्थना.
सब ठीक हो आगे यही कामना है.
ईश्वर से प्रार्थना है पाबला जी की माताजी की आत्मा को शान्ति प्रदान करे .
जवाब देंहटाएंसबके जीवन में जैसा जैसा घटित होना है वैसे वैसे घटित हो रहा है । आज पाबला जी की माता जी को दोपहर में अंतिम विदाई दी । मन वैसे ही बहुत भारी है ।
जवाब देंहटाएंsach me bahut dukhad samachar hai blogjagat me aaj kal..bhagwaan jaldi se blogwood ko aise dukhad daur se nikale...shubhkamnayen..
जवाब देंहटाएंओह ! सब कुछ मन दुखी करने वाला है
जवाब देंहटाएंइश्वर से प्रार्थना है सब ठीक हो जाएं
दिवंगत आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि .....परिवारजनों का धैर्य और हिम्मत बनी रहे .
सबको जल्द से जल्द दुखो से निजात मिले, सहने की शक्ति दे।
जवाब देंहटाएं