ऐसा कौन सा घर होगा जहां बर्तन न खड़कते हो...प्यार के साथ थोड़ी तकरार भी उतनी ज़रूरी होती है जितनी कि खाने में थोड़ा मिर्च मसाला...खैर पहले तकरार और फिर मनुहार ये भी गृहस्थी का एक रंग है...आपने पोएटिक जस्टिस की बात तो सुनी होगी...आज जानिए पति-पत्नी की पोएटिक फाइट की तरंग...
पत्नी-
तुम्हारा नाम रेत पर लिखा, वो धुल गया,
नाम हवा पर लिखा, वो उड़ गया,
फिर दिल पर लिखा,
मुझे हार्ट-अटैक आ गया...
पति-
भगवान ने मुझे भूखा देखा, पिज्जा बनाया,
प्यासा देखा, पेप्सी को भिजवाया,
अंधेरे में बैठे देखा, ट्यूब का प्रकाश कराया,
चिंतामुक्त देखा, तुम्हे मेरे पीछे लगाया...
पत्नी-
ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार,
तुम्हे जानना चाहिए अपना आधार,
एक बार जान लिया बरखुदार,
फिर मेंटल हॉस्पिटल में ही होगा उद्धार...
पति-
बारिश ने सब कुछ निखेरा,
जैसे प्रकृति का उजला बसेरा,
इंद्र की सुंदरता का सब पर डेरा,
रूप ने तुम से ही क्यों मुंह फेरा,
आखिर क्या कसूर था मेरा...
पत्नी-
रोज़ेस आर रेड, वायलट्स आर ब्लू,
तुम जैसे मंकीज़ के लिए बना है ज़ू,
डोंट बी एंग्री, विल फाइंड मी देअर टू,
बट पिंजरे के बाहर, लाफिंग एट यू...
स्लॉग गीत
अब पत्नी जी को खुश करने के लिए ये गीत भी गा दीजिए...
तुम रूठी रहो, मैं मनाता रहूं...
(आस का पंछी, 1961)
खुशदीप भाई, क्या बात है .....भाभी जी नाराज़ तो नहीं है आजकल ??
जवाब देंहटाएंरोज़ेस आर रेड, वायलट्स आर ब्लू,
जवाब देंहटाएंतुम जैसे मंकीज़ के लिए बना है ज़ू,
डोंट बी एंग्री, विल फाइंड मी देअर टू,
बट पिंजरे के बाहर, लाफिंग एट यू...
-हा हा!! कवि कवियत्रि पति पत्नी हों तो यह तो होना ही है. :)
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।
काव्य प्रयोजन (भाग-७)कला कला के लिए, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
वाह वाह-खुशदीप भाई,गजब कर दिया।
बेहतरीन लेखन के बधाई
356 दिन
ब्लाग4वार्ता पर-पधारें
दूर से लगती थी तुम कमाल की चीज़,
जवाब देंहटाएंरसगुल्ला, रस मलाई, गुलाब जामुन लजीज,
शायद इसलिए शादी के बाद,
हो गयी मुझको diabetes ..
jondis हुआ , या आया बुखार
टूटा हाथ, या टूटा परिवार,
नौकरी गयी, या installment वाली कार,
हर वक़्त में तुम थी साथ....
मैं दीया हूँ और तुम बाती हो,
लगने लगा है मुझे अब ऐसा की,
मेरा सारा बुरा वक़्त तुम ही लाती हो !
@मजाल जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे, एक दुखियारे का दर्द दूसरा दुखियारा ही जान सकता है...
जय हिंद...
khush deep jee
जवाब देंहटाएंaayaa thaapost baanchee
mazaa aa gayaa
रोज़ेस आर रेड, वायलट्स आर ब्लू,
जवाब देंहटाएंतुम जैसे मंकीज़ के लिए बना है ज़ू,
majedar hai yad karne layak shayd kabhi kam aa jaye ye to kisi ke lie bhi kah sakte hai
दुखियारे ये गीत सुनाओ न अपनी पत्नि को मान जायेगी । वैसे भी औरत तो प्यार का एक शब्द सुन कर ही मान जाती है। खुश रहो । आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है।
जवाब देंहटाएंheloo its great
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई,घर की बात सब को नही बताते जी, पति पत्नी मै छोटे मोटे झगडे तो चलते ही रहते है, वेसे दोस्तो मै दुख बंट कर दिल हल्का भी हो जाता है:) खुश रहो जी:)
जवाब देंहटाएं"मेंटल हॉस्पिटल में ही होगा उद्धार..."
जवाब देंहटाएंयहॊ तो हाता परिणाम - सच्चा प्यार :)
ha ha ha ha........ mazedar likha hai aapne.
जवाब देंहटाएंअच्छे हथकंडे बता रहे है भाईसाब ,
जवाब देंहटाएंपहले छेड़ो जी भर कर फिर जब रूठ जाए तो माना लो ......बिगड़ देंगे आप तो बाकियों को भी :)
बहुत दिल से लिखा है भाई... कोई खास वजह?? :):)
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
सही है वैसे एक से बढ़कर एक कविताएँ हैं, और अगर घर में कवि परिवार हो तो ऐसा ही होगा।
जवाब देंहटाएंएक कव्वाली याद आती है -
इश्क में हम तुम्हें क्या बतायें,
किस कदर चोट खाये हुए हैं..
अच्छा लगा। पहली बार आपके के यहाँ पधार रहा हूँ।
जवाब देंहटाएंहमें हँसाकर आप हमें यहाँ फ़िर आने के लिए मजबूर कर रहे हैं
जाते जाते एक पुराना चुट्कुला पेश कर रहा हूँ।
पति ने कहा:
The grass is green
The rose is red.
I am yours
Till you are dead.
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शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ, बेंगळूरु
अरे! आप तो छुपे रुस्तम निकले। मेरा मतलब कवि!
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