महंगाई के दौर में एक रुपये में भरपेट बढ़िया खाना...सबक लें महंगाई के नाम पर संसद में हंगामा मचाने वाले नेता...सबक ले लाखों टन अनाज गोदामों में सड़ा देने वाली सरकार...लुधियाना का एक रुपये वाला होटल...एनआरई कर रहे हैं सच्ची देशसेवा...14 साल से निस्वार्थ चल रहा है होटल...
महंगाई के नाम पर सांसद शोर मचाते रहे और देश की जनता तमाशा देखती रही। वो बेचारी और कर भी क्या सकती है। सांसद खाए-पिए-अघाए हैं। सिर्फ नारों में ही दम लगा सकते हैं। यही दम वो वाकई आम आदमी की परेशानियां दूर करने में लगाएं तो देश की तस्वीर ही न पलट जाए। ऐसी कौन सी सुविधा नहीं है जो हमारे माननीय सांसदों को नहीं मिलती । मुफ्त हवाई यात्राएं, ट्रेन के एसी फर्स्ट क्लास में जितना चाहे मुफ्त सफर। संसद चलने पर हाजिरी के रजिस्टर पर दस्तखत कर देने से ही रोज़ का एक हज़ार का भत्ता पक्का। नारे लगाते थक गए और रिलेक्स करने का मूड आ गया तो संसद की हाउस कैंटीन है ही। यहां बढ़िया और लज़ीज़ खाना इतना सस्ता मिलता है कि सस्ते से सस्ता ढाबा भी मात खा जाए। महंगाई के दौर में सांसदों के लिए खाना इतना सस्ता कैसे। अरे भई, हर साल करोड़ों की सब्सिडी जो मिलती है। ये सब्सिडी भी सांसदों के खाते से नहीं, हम और आप टैक्स देने वालों की जेब से ही जाती है। अब महंगाई डायन देश के लोगों को खाय जा रही है तो सांसद महोदयों की भला से।
कॉमनवेल्थ गेम्स पर सरकार 35,000 करोड़ खर्च कर सकती है लेकिन देश में रोज़ भूखे पेट सोने वाले करोड़ों लोगों को राहत देने के लिए कुछ नहीं कर सकती। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित गाजेबाजे के साथ 15 रुपये की थाली में लोगों को बढ़िया खाना देने का वादा करती हैं, लेकिन योजना का एक दिन में ही दम निकल जाता है।
लेकिन सरकार सारा तामझाम होने के बावजूद जो नहीं कर सकती, वो लुधियाना में बिना किसी शोर-शराबे के कुछ लोग करके दिखा रहे हैं। लुधियाना में किसी से पूछो, आपको एक रुपये वाले होटल के नाम से मशहूर ब्रह्म भोग का पता बता देगा।
महंगाई के इस दौर में भी यहां लोगों को एक रुपये में बढ़िया क्वालिटी का खाना भरपेट खिलाया जाता है। रोटी, चावल, दाल, सब्ज़ी, सलाद सब कुछ एक रुपये में। एक रुपया भी सिर्फ इसलिए लिया जाता है कोई ये महसूस न करे कि वो मुफ्त में खाना खा रहा है। इसीलिए माहौल भी पूरा होटल का ही रखा जाता है। पहली बार में सुनने पर आपको भी यक़ीन नहीं आ रहा होगा। लेकिन ये सोलह आने सच है। दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक ये साधना पिछले 14 साल से बिना किसी रुकावट के चलते आ रही है।
महंगाई कहां की कहां पहुंच गई। लेकिन इस होटल की थाली में न तो खाने की चीज़ कम हुईं और न ही क्वालिटी से कोई समझौता किया गया। और सबसे बड़ी बात किसी को ये भी नहीं पता कि समाज की ऐसी सच्ची सेवा कौन कर रहा है। बरसों से यहां खाना खाने वाले लोगों को भी नहीं पता कि अन्नपूर्णा के नाम को जीवंत करने वाले कौन लोग है। बस इतना ही पता चलता है कि कुछ एनआरआई ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के ज़रिए लुधियाना के कुछ लोगों का ही सहयोग लेकर इस होटल को चला रहे हैं।
कृष्णा लुधियाना की एक फैक्ट्री में नाइट शिफ्ट में काम करता है। कृष्णा के मुताबिक सबसे बड़ी बात है कि यहां पूरी इज्ज़त और आदर भाव के साथ लोगों को खाना खिलाया जाता है। लोगों के लिए बस एक शर्त है कि वो खाना खाने आएं तो उनके नाखून कटे हों और हाथ साफ कर ही वो खाने की टेबल पर बैठें। बर्तनों को साफ़ करने का भी यहां बड़ा हाइजिनिक और आधुनिक इंतज़ाम है।
देश के सांसदों को भी इस होटल में लाकर एक बार सामूहिक भोजन कराया जाना चाहिए...शायद तभी उनकी कुछ गैरत जागे...सांसद इस होटल का प्रबंधन देखकर सोचने को मजबूर हों कि जब ये निस्वार्थ भाव से 14 साल से समाज की सच्ची सेवा कर रहे हैं तो देश की सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती...देश में क्यों ऐसा सिस्टम है कि लाखों टन अनाज गोदामों में सड़ रहा है और देश के करोड़ों लोगों को रोज़ भूखे पेट सोना पड़ता है...वाकई सांसद महान हैं...मेरा भारत महान है...
एक सार्थक पोस्ट ....ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के इस प्रयास को नमन करता हूँ ! आपका आभार इस पोस्ट के लिए !
जवाब देंहटाएंजय हिंद !
गजब का काम हो रहा है यहां तो।
जवाब देंहटाएंपहली बार देख और सुना आपके माध्यम से।
नेताओं की आँख इससे सबक लेकर नहीं खुलने वाली।
अच्छी पोस्ट
badi acchi post likhi aapne..
जवाब देंहटाएंye to kamaal hai vaise..
inke prayas ko mera shat shat naman..
@ ललित शर्मा
जवाब देंहटाएंनेताओं की आंख
नहीं होती
अगर होती तो
वो नहीं होता
जो होता है
सबके सामने।
खुशदीप भाई ने
खुश कर दिया
पर सीएम हमारी
सोच रही होंगी
उनको दिल्ली कैसे लाऊं ?
हमारे सांसद खाने के लिए चुनाव लड़ते है खिलाने के लिए नहीं !!
जवाब देंहटाएंइसलिए उनसे उम्मीद करने का कोई फायदा नहीं
अच्छे लोगों की भी दुनिया में कोई कमी नहीं .. बहुत अच्छी पोस्ट !!
जवाब देंहटाएंऐसे लुच्चे सांसदों को संसद भेजने की गलती कौन करता है। विचार करें
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट !!!
जवाब देंहटाएंआप ने तो देश के सब से बड़े तीर्थ से परिचित करवा दिया।
जवाब देंहटाएंBahut hi acchi aur sarthak post hai wakai ye prayas natmasatak hone ke kabil hai ....Dhanywaad!!
जवाब देंहटाएंदेश के सांसदों को भी इस होटल में लाकर एक बार सामूहिक भोजन कराया जाना चाहिए...शायद तभी उनकी कुछ गैरत जागे
जवाब देंहटाएं...
कुछ नहीं होगा खुशदीप भाई,
वे बेशर्म यहां भी दो-चार नारे लगा देंगे और मुंह पोंछ कर चले जायेंगे।
देश के सांसदों को तो छोडिये देश के दो व्यक्ति का अंतरात्मा भी जग जाय तो इस देश का भला हो जाय वो दो व्यक्ति हैं मनमोहन सिंह जी और प्रतिभा पाटिल जी ,लेकिन दुःख तो इस बात का ज्यादा है की ये दोनों भी स्वार्थ और पदों के मोह में कुछ भी नहीं कर रहें हैं ...? अच्छे लोगों की कमी नहीं है लेकिन उसे सहयोग करने वालों की बहुत कमी है ...सरकारी स्तर पर तो ऐसे कार्यों को हतोत्साहित किया जा रहा है ...
जवाब देंहटाएंवाकई आश्चर्यजनक है… कौन हैं यह सज्जन, पता किया जाना चाहिये।
जवाब देंहटाएंआश्चर्यजनक इसलिये भी है, क्योंकि इसमें कहीं कोई साधु-संत-आश्रम या भण्डारा जुड़ा हुआ नहीं है। उज्जैन में इस प्रकार के कई अन्नक्षेत्र चलते हैं, लेकिन वहाँ आश्रमों की अखाड़ेबाजी और दानदाताओं की झाँकीबाजी भी रहती है। इसमें बुराई सिर्फ़ इतनी है कि यहाँ उज्जैन के तमाम भिखारी, नशेड़ी, बेघर लोग खाना खाने आ जाते हैं जो दिन भर इधर-उधर घूम-घूम कर कभी भीख मांग कर, कभी कबाड़ एकत्रित करके, कभी छोटी-मोटी उठाईगिरी करके आराम से 100-50 रुपये कमा लेते हैं, पर इन लोगों को मुफ़्त का या बेहद कम दामों पर खाना मिल जाने से, इनका बचा हुआ पैसा दारु-सट्टे में खर्च होता है।
कमाल की खबर लाये हो यार ! इसे पढ़ कर लगता है हम अपने पर गर्व कर सकते हैं ! इस होटल के आयोजकों को शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंइस जानकारी ने तो आश्चर्य में डाल दिया!
जवाब देंहटाएंधन्य हैं वे लोग जो माता अन्नपूर्णा के नाम को आज भी सार्थक रखे हुए हैं!
बेहद प्रेरणादायी जानकारी
जवाब देंहटाएंट्रस्ट और कार्यकर्ताओं को प्रणाम
sahi kaha aapne, aisa hi kuchh Sirdi me bhi hota hai !!
जवाब देंहटाएंwow ....achchha laga dekh kar.
जवाब देंहटाएंअविश्वसनीय किन्तु सच !
जवाब देंहटाएं"देश के सांसदों को भी इस होटल में लाकर एक बार सामूहिक भोजन कराया जाना चाहिए.."
जवाब देंहटाएंजिन्हें मुफ़्त का भोजन मिल रहा है, उन्हें एक रुपया भी भारी लगेगा मित्र :)
खुशदीप जी, डी.एंड बी चैरीटेबल ट्र्स्ट में खाने की ये एक रूपया कीमत बहुत पहले हुआ करती थी....अब लगभग साल भर से इसे पूरी तरह से मुफ्त कर दिया गया है.....ये ट्र्स्ट 3 लोगों (जिनमें 1 एनआरआई और 2 जालंधर पंजाब के व्यवसायी) के निजि सहयोग से चल रहा है....ओर एक बात लुधियाना से 15 किलोमीटर दूर दोराहा में इस ट्र्स्ट के द्वारा एक शानदार, पूरी तरह सुविधासम्पन्न वृ्द्धाश्रम चलाया जा रहा है...आप विश्वास नहीं करेंगें कि वहाँ रहने वाले प्रत्येक बुजुर्ग के लिए अलग से एक कमरा, जिसमें सभी सुविधाएं और उनकी देखभाल, सेवा सुश्रुणा के लिए हरेक को अलग से एक नौकर की डयूटी लगाई गई है..जिसका काम सुबह शाम उन्हे सैर इत्यादि के लिए ले जाना, उचित समय पर उनके कपडे, भोजन इत्यादि का प्रबन्ध करना, कमरे की सफाई इत्यादि..वगैरह वगैरह..
जवाब देंहटाएंतीसरी बात, प्रत्येक नवरात्र की अष्टमी तिथि को शहर भर से एकत्रित की गई 1100 गरीब कन्यायों का पूजन कर, प्रत्येक को 1100 रूपए शगुन, 5 बर्तन देकर उनका आशीर्वाद लेकर विदा किया जाता है...हमारे निवास स्थान के बिल्कुल सामने होने के चलते 10-12 साल तो हमें देखते हुए हो चुके हैं..... इतना सेवाभाव वो भी बिना किसी प्रचार/प्रशंसा की अभिलाषा रखे, आज के जमाने में मिलना मुश्किल है....
एक बात जो लिखना भूल गया था, वो ये कि साफ सफाई, स्वच्छता का इतना विशेष ध्यान रखा जाता है कि आप देखकर चकित रह जाएंगें....भोजन से पहले सबके नाखून चैक कर, साबुत इत्यादि से अच्छी तरह से हाथ धोकर मेज कुर्सी पर बैठाकर पूरे सम्मानपूर्वक भोजन कराया जाता है...किसी लंगर की तरह नहीं कि सबको पंक्तियों में बिठा दिया और खाने वाले भी लगे कौव्वा रौर मचाने....चपाती, दाल, सब्जी, चावल, सलाद, रायता तथा मिष्ठान(खीर/अईसक्रीम/हलवा इत्यादि)....खाने वाला भी पूरी तरह से होटल जैसे भोजन का आनन्द और अनुभूति प्राप्त करता है...
जवाब देंहटाएंऐसा भी होता है.......
जवाब देंहटाएंआश्चर्य.
आश्चर्यजनक !
जवाब देंहटाएंseems to be too good to be true .
इंसान ओर हेवानो मै आप् ने फ़र्क बता दिया, यह अन्नपुर्णा बहुत अच्छा काम कर रहे है, बिना किसी लालच के बिना किसी दिखावे मै, ओर हमारे सांसद...... हे राम
जवाब देंहटाएंGreat Post,
जवाब देंहटाएंKabhi idhar bhi aaiye- www.taarkeshwargiri.blogspot.com
बेहद कमाल की जानकारी दी है आपने. नेताओ को छोडो क्योंकि वो तो कभी सुधरने वाली कौम नहीं है, अगर हर शहर में ही ऐसे कुछ सच्चे और निस्वार्थ समाजसेवक हो जाए तो भी देश का बहुत भला हो सकता है.
जवाब देंहटाएंड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के इस प्रयास के लिए साधुवाद/ नमन!!
जवाब देंहटाएंमान गये.....बहुत बढ़िया, स्वर्गिक
जवाब देंहटाएंऐसे ट्रस्ट से हमें मैनेजमेंट सीखना चहिये, किस तरीके से ये इस दिव्य कार्य को करते हैं और जनता आहार योजना में ये मैनेजमेंट का तरीका लगाया जाना चहिये
ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के इस प्रयास के लिए साधुवाद
ऐसा भी होता है.......
जवाब देंहटाएंआश्चर्य.
NICE POST.
जवाब देंहटाएंबड़ा ही सुन्दर कार्य है। मेरा नमन।
जवाब देंहटाएंगजब का काम
जवाब देंहटाएंसूना तो कई बार था किन्तु आपके द्वारा दिए गए चित्रमय विवरण से ही विश्वास हो पाया.
ड्रीम एंड ब्यूटी चैरिटेबल ट्रस्ट के इस प्रयास को नमन
यह काम किसी नेता का तो नही हो सकता .. ।
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