पैसा क्या वाकई खुदा है...खुशदीप

पैसा खुदा तो नहीं, पर खुदा की कसम खुदा से कम भी नहीं...

ये अनमोल वचन जिस महापुरुष के मुखारबिंदु से निकले थे उनका नाम है दिलीप सिंह जूदेव...एनडीए सरकार में पर्यावरण और वन राज्य मंत्री रह चुके हैं...छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब मन में बरसों से संजो रखा है..


दिलीप सिंह जूदेव

२००३ में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में कैमरे पर रिश्वत लेते हुए धरे गए थे...रिश्वत देने वाले से वादा कर रहे थे नकद नारायण के बदले एक ऑस्ट्रेलियाई खनन कंपनी को फायदा पहुंचाने का...

क्या वाकई पैसा खुदा से कम नहीं है...आज अनूप शुक्ल जी की फुरसतिया पोस्ट पढ़ते हुए अचानक ही इस प्रकरण का ध्यान आ गया...अनूप जी ने लिखा है-

"पत्नी और बच्चा बिग बाजार में पैसे बरबाद करने गये हैं। मैं बाहर इंतजार कर रहा हूं। आते-जाते लोगों को देखता हूं। मॉल में लोग कितने खुश-खुश से लगते हैं। खुबसूरत, चहकते,महकते, बेपरवाह, बिन्दास। कभी-कभी लगता है कि अपना सारा देश एक बहुत बड़ा मॉल होता। सबको यहां बुलाकर शामिल कर लिया जाता। सारी गरीबी,दुख, कष्ट दूर हो जाते। देश क्या दुनिया के बारे में भी ऐसा ही लगता है। लेकिन इत्ता बड़ा मॉल बनने में बहुत समय लगेगा। न जाने कित्ते साल। न जाने कित्ते दशक। न कित्ती शताब्दियां। कभी-कभी हिसाब लगाता हूं कि आज के ही दिन दुनिया की सारी सम्पत्ति सब लोगों में बराबर-बराबर बांट दी जाये तो कित्ता पड़ेगा हरेक के हिस्से में। हमारी कित्ती कम हो जायेगी। यह खाम ख्याली है। लेकिन सोचते हैं अक्सर। सोचना ससुर अपने आप में खाम ख्याली है। ख्याल जब आते हैं मन में तो उनकी जामा तलासी नहीं होती। मन मॉल बनने से बचा हुआ है।"

पैसे को लेकर खालिस भारतीयों के खालिस ख्यालों की बात छोड़िए...बात करते हैं दुनिया के दो सबसे अमीर आदमियों की....पहले दूसरे नंबर को लेकर इन्हीं दोनों में उलटा-पलटी होती रहती है...वारेन बफ़ेट और बिल गेट्स...



बिल गेट्स और वारेन बफ़ेट



पहले बात वारेन बफ़ेट की...वारेन का फ़लसफ़ा रहा है कि

"आदमी ने पैसे को बनाया है, पैसे ने आदमी को नहीं...जैसे आप सादा हैं, वैसे ही अपना जीवन सादा रखें...जो दूसरे आप से कहते हैं, वो ज़रूरी नहीं कि आप करें...दूसरों की सुनिए...करिए वही जो आपको अच्छा लगता है...सबसे खुश लोग वो नहीं हैं जिनके पास ऐशो-आराम की सारी चीज़ें मौजूद हैं, खुश वो हैं जो अपने पास हैं, उसी का शुक्रिया करते हुए जीवन का आनंद लेते हैं..."

अब बिल गेट्स का दर्शन भी समझ लीजिए...माइक्रोसॉफ्ट...के संस्थापक महोदय खुद तो इतना पैसा देख चुके हैं कि अब उसके इस्तेमाल की उपयोगिता ही भूल चुके हैं...अपनी फाउंडेशन के ज़रिए भारत समेत दुनिया भर में चैरिटी के कामों में करोड़ों डॉलर खपा रहे हैं...लेकिन पैसे के बारे में उनकी सोच कितनी प्रैक्टीकल है ये उनके इस कथन से ही साफ हो जाता है...

"हमेशा याद रखिए...पैसा ही जीवन में सब कुछ नहीं है...लेकिन पहले ये सुनिश्चित कर लीजिए कि आपने पर्याप्त पैसा कमा लिया है...उसके बाद ही ये नानसेंस (बेतुकी बात) सोचिए..."



स्लॉग चिंतन

पहली सूरत...

आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, जब आपके पास कुछ भी नहीं होता...

दूसरी सूरत...

आप दूसरों के बारे में क्या सोचते हैं, जब आपके पास सब कुछ होता है...

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17 टिप्पणियाँ
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  1. हम तो अभी दोनों ही सूरतो से दूर है सो सोच ही नहीं रहे ! ;-)
    वैसे सोचने वालो के लिए बढ़िया मसाला दिया है आपने !
    जय हिंद !

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  2. क्या भैया इंहा तो आपने हमारे कुमार साहेब का फ़ोटो लगा दिया।
    का गलत कहा था उनने?

    पैसा खुदा से कम नहीं-एक दमदार सच है।

    जब पैसा नहीं रहता तो खुदा ही याद आते हैं।
    पैसा आते ही खुदा को भूल जाते हैं।


    कल हमारी पोस्ट पर जरुर आईएगा
    नहीं तो 36 टिप्पणी का पेनाल्टी लगने वाला है।:)

    जय हिंद

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  3. इन्फोसिस के संस्थापक महोदय-- बिल गेट्स?? ये कब से?

    जरा ठीक कर लो उपर.

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  4. गुरुदेव,
    गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया...थकान और नींद की पिनक में कई बार हो जाता है ऐसा भी...माइक्रोसॉफ्ट इन्फोसिस बन जाती है...भारतीयता हुलारें मार ही लेती है...

    जय हिंद...

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  5. "हमेशा याद रखिए...पैसा ही जीवन में सब कुछ नहीं है...लेकिन पहले ये सुनिश्चित कर लीजिए कि आपने पर्याप्त पैसा कमा लिया है...उसके बाद ही ये नानसेंस (बेतुकी बात) सोचिए..."

    व्यवहारिक ज्ञान तो यही कहता है ...बस आपका ईमान ही गवारा ना करे अनुचित तरीके से धन संग्रह का तो बात और है ...!

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  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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  7. अनूप भाई का चिंतन सार्थक होवे, हम इंतजार कर रहे हैं अपने हिस्‍से में आने वाले पैसा का.

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  8. संसार में पैसे से बढ़कर भी बहुत सी चीजें हैं पर मुश्किल यही है कि वे भी पैसे से ही मिलती हैं।

    जैसे कि विद्या को धन से बढ़कर माना जाता है पर विद्या प्राप्त करने के लिये भी धन की ही आवश्यकता होती है।

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  9. "हमेशा याद रखिए...पैसा ही जीवन में सब कुछ नहीं है...लेकिन पहले ये सुनिश्चित कर लीजिए कि आपने पर्याप्त पैसा कमा लिया है...उसके बाद ही ये नानसेंस (बेतुकी बात) सोचिए..."
    kya kiya jaye ek aam aadmi ka sara jivan hi paryapt paisa kamane me hi nikal jata hai eslie ye betuki bate to wo kabhi soch hi nahi pata .

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  10. "…पहले ये सुनिश्चित कर लीजिए कि आपने पर्याप्त पैसा कमा लिया है..."

    और यह "सुनिश्चित करने" में ही सारा जीवन निकल जाता है… बिल गेट्स क्या जानें… :)

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  11. अभी ९९ के फ़ेर में हूं जब १०० पूरे हो जायेंगे तब इस बारे मे बात करुंगा

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  12. बेशक पैसा सबसे बड़ी चीज़ नहीं...लेकिन बहुत बड़ी चीज़ तो है ही...
    जिसके पास नहीं है पैसा उसका जग में जीवन कैसा ...सुना तो है ये भी...
    लेकिन ग़लत तरीके से पैसा न कभी कमाया है और न ही कभी कमाएंगे...
    फिर चाहे सारी उम्र निकल जाए और मौका ही न आये कभी बेतुकी बात करने का.....
    परवा इल्ले...
    हाँ नहीं तो..!!

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  13. बच्चों की पढ़ाई के कारण नगर में बसे परंतु खेती के कारण बारम्बार गांव की ओर भागना पड़ता है। यह देखकर मन प्रसन्न है कि जो काम मैं करना चाहता था वह चल रहा है। भंडाफोड़ कार्यक्रम मूलतः स्वामी दयानंद जी का ही अभियान है। इसमें मेरी ओर से सदैव सहयोग रहेगा। कामदर्शी की पोल मैंने अपने ब्लॉग पर खोल ही दी है। अनवर को मैं आरंभ से ही छकाता थकाता आ रहा हूं। http://rajeev2004.blogspot.com/2010/04/5-headed-snake-found-in-kukke.html

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  14. सबसे खुश लोग वो नहीं हैं जिनके पास ऐशो-आराम की सारी चीज़ें मौजूद हैं, खुश वो हैं जो अपने पास हैं, उसी का शुक्रिया करते हुए जीवन का आनंद लेते हैं..."

    बहुत ही उत्तम विचार इसी को अपनाने का पुरजोड़ प्रयास करना चाहिए क्योकि ..

    गरीब वह नहीं जिसके पास कम है बल्कि धनवान होते हुए भी जिसकी इक्षा कम नहीं हुयी ,वह सबसे अधिक गरीब है ...

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  15. किसकी सुनु। इन दोनो की या कबीर की।

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