आज मैं बहुत खुश हूं...दिनेशराय द्विवेदी सर और यारों के यार बीएस पाबला जी से साक्षात मिलने का सौभाग्य मिला...और ब्लॉग पर दो गुरुदेवों... अनूप शुक्ल जी और समीर लाल जी समीर के अंतर्मन के दर्शन किए...इससे ज़्यादा मैं और क्या चाह सकता हूं ऊपर वाले से....
अनूप शुक्ल जी और समीर लाल जी समीर को लेकर मैं कितना कूपमंडूक था और न जाने क्यों टर्र टर्र कर रहा था...उसका मास्टरस्ट्रोक स्टाइल में अनूप जी और समीर जी ने जवाब दे दिया है...मेरी पिछली पोस्ट में समीर जी की टिप्पणी से सब साफ हो जाता है...
अब रही बात द्विवेदी जी और पाबला जी से मुलाकात की...ये दिन मेरे लिए ज़िंदगी की यादगार बन गया है...अजय कुमार झा जी और पाबला जी की पोस्ट से साफ हो ही गया था कि दिल्ली के लक्ष्मी नगर में कब और कहां पहुंचना है...टाइम ग्यारह बजे का था....नोएडा में घर से निकलने में ही मुझे पौने ग्यारह बज गए...मन में गाना उमड़ रहा था....आज उनसे पहली मुलाकात होगी...फिर होगा...क्या पता, क्या खबर...द्विवेदी जी और पाबला जी का तो मुझे पता था कि वो पक्का आ रहे हैं....राजीव तनेजा भाई ने भी साफ कर दिया था कि सपत्नीक आ रहे हैं...बाकी के बारे में मैं पूरे अंधेरे में था कि और कौन-कौन आ सकता है...
इसी उधेड़बुन में घर से पैदल ही नोएडा के नए नवेले मेट्रो स्टेशन पहुंचा और टिकट काउंटर पर जाकर सीधा लक्ष्मी नगर डिस्ट्रिक्ट सेंटर का टिकट मांगा...टिकट काटने वाले ने मुझे ऐसे देखा कि मैं दुनिया का आठवां अजूबा हूं...बोला... जनाब छह महीने बाद आना....मैने सोचा शायद घर में पत्नी का सताया होगा...इसलिए ऐसे बोल रहा है...मैं ताव में आता, इससे पहले ही वो बोल पड़ा...भईया अभी लक्ष्मीनगर वाले रूट पर तो मेट्रो शुरू ही नहीं हुई है....मैंने भी अपनी अज्ञानता साबित हो जाने के बावजूद चिकना घड़ा बने हुए कहा...ठीक है, ठीक है जो सबसे पास का स्टेशन है उसी का टिकट दो...उसने अक्षरधाम का टोकन थमा दिया...अक्षरधाम से ऑटो पकड़ कर मौका-ए-मुलाकात जी जी रेस्तरां पहुंच गया...
वहां अंदर घुसते ही झा जी और राजीव तनेजा जी ने पहचान लिया...उनके साथ टेबल पर मौजूद पाबला जी ने भी बिना बताए ही मेरा थोबड़ा पहचान लिया...सब ऐसे मिले जैसे मनमोहन देसाई की फिल्मों के आखिरी सीन में बिछड़े भाई मिला करते थे....इस मिला-मिली के चक्कर में मुझसे एक गुस्ताखी भी हो गई...मैं संजू भाभी (राजीव जी की पत्नीश्री) को अभिवादन नहीं कर सका...बाद में संजू जी के मुझे विश करने पर ही अपनी गलती का अहसास हुआ....
खैर झा जी का अरेंजमेंट टनाटन था...टेबल पर बैठते ही ठंडा जूस और चाइनीज़ आ गया...झा जी और तनेजा दंपति से तो फरीदाबाद ब्लॉगर मीट में पहले मिला हुआ ही था...पाबला जी से वर्चुएलिटी की दुनिया से निकलकर रियल में पहली बार मिलने की उत्सुकता ज्यादा थी...लेकिन पाबला जी ठहरे पाबला जी...पहले ही एक दो जुमले ऐसे कहे कि सारी औपचारिकता गधे के सींग की तरह गायब हो गई...
अब तक शुरू हो गई थी दिलों की महफिल...जी हां दिलों की महफिल....कोई ब्लॉगर मीट नहीं, कोई ब्लॉगर कॉन्फ्रेंस नहीं...बस दिल की बात दिल तक पहुंचाने का सिलसिला...मैं पाबला जी की यादाश्त को देखकर हैरान था...एक-एक टिप्पणी, एक-एक पोस्ट उन्हें जुबानी याद थी...आज मुझे पता चला कि पाबला जी को हर ब्लॉगर का जन्मदिन, शादी की सालगिरह कैसे याद रहती है...हंसी का दौर चल ही रहा था कि सामने से इरफान भाई (कार्टूनिस्ट) आते दिखाई दिए...उनका आना मेरे लिए सरप्राइज से कम नहीं था...खैर इरफान जी ने आते ही बड़ी गर्मजोशी से मुलाकात की...कहीं से लगा ही नहीं कि मैं देश के सर्वश्रेष्ठ कार्टूनिस्टों में से एक से रू-ब-रू हो रहा हूं...बिल्कुल सीधे और हमारे-आपके जैसे ही ब्लॉगर...
ये सब चल ही रहा था कि झा जी के चेहरे से थोड़ी परेशानी झलकने लगी थी...उन्हें चिंता थी कि दिनेशराय द्विवेदी सर अभी तक नहीं पहुंचे थे...द्विवेदी जी को फरीदाबाद के पास बल्लभगढ़ से आना था...कहीं जाम न लगा हो या ठीक से रास्ता पता भी हो या नहीं...एक घंटे बाद द्विवेदी जी का फोन आ गया...झा जी की जान में जान आई...द्विवेदी जी रेस्तरां के बाहर तक आ गए थे...झा जी उन्हें बाहर जाकर ले आए...द्विवेदी जी बड़ी आत्मीयता के साथ सबसे मिले...अभी तक फोटो में ही देखा था...द्विवेदी जी से आशीर्वाद लिया...फिर शुरू हुआ बातों का दौर...द्विवेदी जी ने एक से बढ़कर एक संस्मरण सुनाए....किस तरह वो कभी अकेले दम पर अखबार निकाला करते थे...इरफान भाई ने कार्टून विद्या पर कुछ दिलचस्प बातें बताईं...बीच-बीच में गुदगुदाने वाली फुलझड़िया भी चलती रहीं...
संजू तनेजा जी अकेली महिला थीं...इसलिए वो बोर न हो बीच-बीच में सब उनसे भी बतियाने की कोशिश कर रहे थे...संजू जी के बारे में मुझे जानकारी मिली कि वो खुद भी यदा-कदा ब्लॉगिंग करती हैं...खैर बहुत ही सपोर्टिंग...उन्होंने कहीं भी अहसास नहीं होने दिया कि वो असहज महसूस कर रही हैं...
इस बीच टेबल पर खाना भी लग चुका था...पापड़, अचार, चटनी, रायता, दाल, मटर पनीर, कोफ्ता, दम आलू, चावल...सब कुछ इतना लजीज कि देखते ही मुंह में पानी आ जाए...स्वीट डिश में रसगुल्ला....बाकी द्विवेदी जी भी जेब में ढ़ेर सारी कैंडी लाए हुए थे....जिस प्यार से उन्होंने खिलाई, उसके आगे दुनिया की बढ़िया से बढ़िया स्वीट डिश भी मात खा जाए....खाने के साथ भी बातों का दौर चल रहा था...हर एक के पास बताने के लिए इतना कुछ...इस सब के बीच पाबलाजी का कैमरा बिना रूके लगातार फ्लैश चमका रहा था (फोटो आपको पाबला जी, झा जी और द्विवेदी जी की पोस्ट पर देखने को मिलेंगे)......थोड़ी देर बाद काफी भी आ गई...
इस तरह बातों-बातों में कब पांच घंटे गुजर गए...पता ही नहीं चला..खैर विदा होने का टाइम हो गया....इस बीच झा जी ने जानकारी दी कि अपने महफूज़ अली भाई जल्दी ही बड़े पैमाने पर लखनऊ में ब्लॉगर मीट का आयोजन करने जा रहे हैं...वहीं मिलने के वादे के साथ सबने विदाई ली...इरफान भाई का घर मेरे से ज़्यादा दूर नहीं है...इसलिए उन्होंने मुझे अपनी कार से ही छोड़ दिया...लेकिन घर लौटते समय मैं सोच रहा था कि मेजबान हम थे या पाबला जी...और शायद यही पाबला जी की शख्सीयत का सबसे शानदार पहलू है...
स्लॉग ओवर
झा जी को आइडिया था कि पंद्रह-बीस ब्लागर भाई तो दिल की महफिल में जुटेंगे ही...इसलिए उन्होंने अरेंजमेंट भी उसी हिसाब से कराया हुआ था...प्रेस के भी तीन-चार रिपोर्टरों ने आना था (और वो आए भी)...अब जुम्मा-जुम्मा हम सिर्फ सात-आठ लोग...झा जी को फिक्र थी कि प्रेस वाले आएंगे तो उनके जेहन में यही होगा कि ब्लॉगर्स की कोई मीटिंग हो रही है...आजकल वैसे हिंदी प्रेस वाले ब्लॉगिंग को स्टाइल स्टेटमेंट मानकर काफी भाव देने लगे हैं...मैंने झा जी की दुविधा को भांप कर बिन मांगे आइडिया दिया...जैसे ही प्रेस वाले आए चढ़ जाइएगा...ये कोई टाइम है आने का...कई ब्लॉगर बेचारे आपका इंतज़ार कर-करके चले गए...
खुशदीप भाई, पहले पता होता तो हम भी पहुँच जाते. इतने पास और इतने दूर वाली बात हो गई ये तो.
जवाब देंहटाएंवैसे शायद नहीं भी आ पाते क्योंकि सुबह से ही राष्ट्रिय कवि संगम के वार्षिक सम्मलेन में गए हुए थे.
खैर फिर सही.
और हाँ, हमारा अता पता कविसंगम. कॉम पर मिल जायेगा.
जवाब देंहटाएंवाह ! चकल्लस की पहली रपट. पढ़ कर अच्छा लगा. मैं तो हिम्मत ही नहीं जुटा पाता. द्वारका से लक्ष्मीनगर जाना यूं लगता है कि कोई कहे भई हरियाणा से उत्तर प्रदेश चलोगे (?)..दिल्ली होते हुए.
जवाब देंहटाएंआपकी रिपोर्ट बहुत बेहतरीन है, वाकई बहुत अच्छा था। श्री द्विवेदी जी बहुत अच्छे व्यक्ति है एक दो बार फोन उनसे बात हुई, वकाई उनसे बात करने के बाद अपना पन जैसा मिला, आप पाबला जी से मिले उनके बारे में आपने बताया, कभी हम भी मिलेगे/बात करेगे।
जवाब देंहटाएंबढिया...विस्तृत रिपोर्ट
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपके द्वारा दिलो से रूबरू होने का समाचार जानकर
.
आपका अन्दाज निराला है
मै भी पहुँचना चाह रहा था पर क्या करूँ कहते है न कि 'दाने - दाने पर ---' अरे नही नही 'व्यक्ति - व्यक्ति पर लिखा है मिलने वाले का नाम' तो मै नही पहुच पाया क्योकि आंशिक रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
आंशिक चोट आयी है पर उससे बडी चोट आप सब से न मिलने का रहा.
bhai saheb aapse milkar kusi hui. main bhi to aaya tha.
जवाब देंहटाएंये क्या बात हुई. मैंने लक्ष्मीNagar छोडा और आप लोग वहीँ जम गए.
जवाब देंहटाएंखैर तनेजा दम्पति और झा जी से 'फरीदाबाद साहित्य शिल्पी' मौके
पर मिल चूका हूँ. खुशदीप की पिछले २ महीने की प्रोग्रेस ब्लॉग पर देख ही रहा हूँ.
हाँ द्विवेदी जी और पाबला जी तो बेमिसाल हैं. सभी दिल से सम्मान करते हैं.
यूँ ही दिल से दिल मिलाते चलो. हिंदी ब्लोगिंग दिन पर दिन समृद्ध
होता रहे.
जय हिंद.
Yeh reporting bahut achchi lagi..... mera bhi aap logon se milne ka bada man hai.... kal hamare yahan academic conference hai.... nahi to main zaroor aaata....dilli....
जवाब देंहटाएंPabla ji se milne ke liye main bahut hi aatur hoon....
JAI HIND
JAI HINDI
JAI BHARAT...
खुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंआपने ऐसे लिखा है की बस हम तो वहीँ पहुँच गए ....
बस यही कहेंगे लकी हैं आप...
भाई हमें तो पता ही एक बजे के लगभग चला जब ललित जी ने फ़ोन पर बताया पहले पता चल जाता तो जरुर आते | द्विवेदी जी का बल्भ्गढ़ होने का पता पहले होता तो उनके साथ ही हम भी फरीदाबाद से पहुँच जाते |
जवाब देंहटाएंअजी खुश दीप भाई इतनी तारीफ़ करोगे तो हम भी सब काम धाम छोड कर जल्द ही महफ़ुज भाई की मिंटिंग मै पहुच जाये गे, ज्यादा मत ललचाओ, आप ने बहुत सुंदर लिखा अब बस चित्रो का इंतजार है, सभी को हमारा प्यार भरा सलाम पहुचे.
जवाब देंहटाएंकभी हम भी किसी ब्लांग मिटिंग मै आयेगे??? भगवान जाने दिल तो बहुत है
वर्मा जी,
जवाब देंहटाएंपहले ये बताइए आप पूरी तरह स्वस्थ हैं न...चोट ज़्यादा तो नहीं आई...दुर्घटना के वक्त और तो कोई साथ नहीं था...
कृपया अपना ध्यान रखिए...ऊपर वाले ने चाहा तो फिर किसी ऐसी दिलों की महफिल में आपसे रू-ब-रू होने का सौभाग्य मिलेगा...आपने रिपोर्ट को सराहा...आभार...
जय हिंद...
विनीत उत्पल भाई,
जवाब देंहटाएंआपको लेकर मैं थोड़ा कन्फ्यूजन में मारा गया...मैं रिपोर्ट लिखते वक्त यही नहीं तय कर पाया कि आप ब्लॉगर की हैसियत से आए थे या प्रेस के मेहमान थे....ईसी के चलते आपका नाम छूट गया...क्या करूं रिपोर्ट जल्दी डालने के चक्कर में ऐसी गफलत कर बैठता हूं...उम्मीद है आप मेरी इस गुस्ताखी को नज़रअंदाज कर देंगे...आइंदा ऐसी गलती कभी नहीं होगी...
जय हिंद...
खुशदीप जी
जवाब देंहटाएंआभार
, ज्यादा चोट नही आयी हाँ हाथ के ज्वाइंट मे थोडी प्राब्लम आयी है, पर डाँक्टर ने कहा है कोई खास बात नही है जल्द नार्मल हो जायेगा.
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जवाब देंहटाएंराज जी,
जवाब देंहटाएंआप फिक्र मत कीजिए...आपका जब भी भारत आने का प्रोग्राम हो बस थोड़ा पहले हुक्म कर दीजिएगा...उसी वक्त
सब आप से मिलने के लिए लाइन लगाकर हाजिर हो जाएंगे...ताबड़तोड़ रख दी जाएगी दिलों की महफिल...और नहीं तो कहिए अगली फ्लाइट पकड़ कर सब जर्मनी आ जाते हैं...
जय हिंद...
दराल की दिल्ली वाले डॉ टी एस दराल सर,
जवाब देंहटाएंदिल्ली के ब्लागरों के असली शहंशाह होने के बावजूद आपने कवि सम्मेलन को तरजीह दी...इसकी सज़ा आपको मिलेगी...बराबर मिलेगी...अगली महफिल में आपको ढेर सारे...टीचर्स...लाने होंगे...
जय हिंद...
maine miss kar diya
जवाब देंहटाएंbahut achchi report
kabhi mouka laga to aap sabse milna hoga
khushdeep aapse khaas tour par
aapne sameer ji ki kahani ka gud arth aise samjha aapse milne ki ichchca jagrat ho gayi
sahagal saheb, pahle main hun fir kuch aur. blag main apne man ke liye likhta hun to pahle to bloggar hi hua na. koi bat nahi. aksar bhuul ho jaya karti hain.
जवाब देंहटाएंवाह...दोनों महानुभावों दिल्ली दिल्ली निकलने से पहले बात हो गई थी। आपकी रिपोर्ट ने हाल बता दिया।
जवाब देंहटाएंअजय झा तो हैं ही स्नेही।
बढ़िया रिपोर्ट
वाह ये बढिया रिपोर्टिंग रही आज की आज. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वर्मा जी सहमत .........चाहते हुए भी आ ना पाया !
जवाब देंहटाएंहम तो समझे कि वीडियो-शिडियो होगा, चर्चा और कौंटर चर्चा चलेगी, चिंगारियां उडेगी........पर यह क्या बलदिया की तरह, आया खाया-पिया और चल दिया :)
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया पढ कर्।द्विवेदी जी से मिलो तो सच मे ऐसा लगता है कि परिवार के किसी बड़े का आशिर्वाद मिल गया हो।पाब्ला जी तो है ही हरदिल अज़ीज़ और फ़िर आप खुशदिल उस पर हर बात मे हंसी ठठा करते झा जी तो फ़िर तो दिलो का मिलना ही होगा ना।पाब्ला जी ने कहा ज़रुर था चलो घूम आते हैं दिल्ली से लेकिन शायद अपने नसीब मे अभी अच्छे आप इरफ़ान,राजीव तनेजा जी,अजय झा जी से मिलना लिखा नही था।देखते हैं फ़िर कभी।लखनऊ के बारे मे ज़रूर मह्फ़ूज़ भाई से बात हुई है देखें जाने मिलता है या नही,वैसे इच्छा तो बहुत है।
जवाब देंहटाएंवर्मा जी सहमत .........चाहते हुए भी आ ना पाया !
जवाब देंहटाएंहाय हुसैन हम न हुए की तर्ज़ पर कह रहा हूँ कि भिलाई मे "मुक्तिबोध फिल्म एवं कला उत्सव की व्यस्तता के कारण मै पाबला जी के संग दिल्ली नही जा सका लेकिन मैने अपनी मोहब्बत पाबला जी की जेबों मे भरकर भेज दी थी अब पाबला जी 18 को वापस लौटने वाले है देखिये अपनी जेबों मे क्या भरकर लाते हैं ।
जवाब देंहटाएंये तो बहुत बढ़िया रहा-ब्लॉगर मीट की चटपट रिपोर्ट.अब पाबलाजी तस्वीर खींचे है तो निश्चित ही जल्दी देखने मिलेगी.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा मिलन समारोह और खास तौर पर भोज के बारे में जानकर. :)
(ये भी अच्छा रहा कि समस्त संशय दूर हुए पिछली पोस्ट से..)
अरे वो दराल साहब की टीचर्स वाली मिटिंग हमारे आने के पहले नहीं होना चाहिये... टीचर्स से हमें भी तो ज्ञान प्राप्त होगा आखिर..हा हा!! :)
जवाब देंहटाएंब्लोगर्स मीट बिना विवादों के संपन्न हुई ..मुबारक ...!!
जवाब देंहटाएंस्लोग ऑवर की तारीफ करना अब तो औपचारिकता लगने लगी है ..हमेशा की तरह लाजवाब ...!!
खुशदीप भाई, आपका स्नेहमयी हुक्म सर माथे पर.
जवाब देंहटाएंलेकिन ये बात तो सही है , बिन समीर जी, कैसे ?
चलिए तब तक आपकी मुलाकात जॉनी भाई से कराते हैं.
जेहि पर जेहि के सत्य सनेहू।
जवाब देंहटाएंसो तेहि मिलय न कछु सन्देहू॥
Khushdeep bhai, maza aa gaya,,, main bhi Nov. 24th ko bharat pahunch raha hoon.. kam se kam aapke hi darshan ho jayenge 25th ko Noida aa sakta hoon.. plz ho sake tp address ya mob.no. de dena...
जवाब देंहटाएंJai India...
दीपक,
जवाब देंहटाएंतहे दिल से स्वागत...मैंने तुम्हारी पोस्ट पर ई-मेल, मोबाइल नंबर, पता डाल दिया है...
जय हिंद...
राजीव तनेजा भाई,
जवाब देंहटाएंएक और भूल.. भाभीश्री का नाम संजू की जगह गलती से संधू लिख गया....पोस्ट में भूल सुधार दी है...वो तो भला हो पाबलाजी का जिन्होंने नई दुनिया की खबर का हवाला दिया...जिसमें ठीक नाम लिखा था...
जय हिंद...
वाह वाह खुशदीप जी बहुत बहुत बधाई इस ब्लागर मीट की शुभकामनायें ये परिवार इसी तरह प्रेम भाव से मिलता जुलता रहे।
जवाब देंहटाएंखुश हूँ आप सब की मुलाक़ात देख कर .........................................................................................................................................................................................................................................................................ये रिक्त स्थान मेरे लिए ......!!
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