अदा जी ने अपनी ताजा पोस्ट पर मेरी पसंद का गीत सुनाया और साथ ही ये फरमाइश भी कर डाली कि मैं भी कोई गीत सुनाऊं...उन्हें न जाने कैसे इल्म हो गया कि मैं गाता भी हूंगा...जहेनसीब मेरे कि अदा जी ने एक ज़र्रे को ताड़ पर चढ़ा दिया...
http://swapnamanjusha.blogspot.com/2009/10/blog-post_22.html
शायद अदा जी ने ये तो नहीं समझ लिया कि मेरे नाम के साथ सहगल जुड़ा है इसलिए मैं कहीं मरहूम कुंदन लाल सहगल साहब का कोई वशंज ही न हूं...वही के एल सहगल साहब जिनकी आवाज़ की नकल मुहम्मद रफ़ी, मुकेश और किशोर कुमार भी कभी न कभी कर चुके हैं...खैर मेरा सहगल साहब से दूर-दूर का भी कोई रिश्ता नहीं है...रही बात गाने की तो...
रोजी रोटी की फिक्र ने गालिब निकम्मा बना दिया,
वरना गवैये थे हम भी कभी काम के...
अब कुछ सुनाने का हुक्म हुआ है तो नाफरमानी तो नहीं की जा सकती...सुना तो नहीं सकता, हां अपना सबसे पसंदीदा गीत यहां आपसे ज़रूर शेयर कर रहा हूं...
http://www.hummaa.com/music/song/Raakh+Ke+Dher+Ne/9319
कोई गेसू, कोई आंचल हमें आवाज़ न दे,
अब किसी आंख का काजल हमें आवाज़ न दे...
हम हैं खामोश तो खामोश ही रहने दो हमें,
कोई आहट, कोई हलचल हमें आवाज़ न दे...
हमने तन्हाई को महबूब बना रखा है,
राख़ के ढेर में शोलों को दबा रखा है...
फिर पुकारा है मुहब्बत ने हमें क्या कीजे,
दी सदा हुस्न की जन्नत ने हमें क्या कीजे...
जिस के साए से भी अक्सर हमें डर लगता था,
छू लिया आखिर उसी हसरत ने क्या कीजे...
हमने जज़्बात के दामन को बचा रखा है,
राख़ के ढेर में शोलों को दबा रखा है...
रास आए न कभी प्यार के हालात हमें,
दिल के इस खेल मे हर बार हुई मात हमें...
क्या करेंगे कहा जाएंगे किधर जाएंगे,
दे गई जब भी दग़ा ये मुलाकात हमें...
बस इसी सोच ने हमें दीवाना बना रखा है,
राख़ के ढेर में शोलों को दबा रखा है...
(फिल्म- एक बार कहो 1980, आवाज़- जगजीत सिंह, गीतकार- महेंद्र देहलवी, संगीत- भप्पी लहरी)
लिंक वगैरहा देने के मामले में अनाड़ी हूं...इसलिए अगर इस गीत को न सुना हो तो इस लिंक पर जाकर सुनिएगा ज़रूर...
स्लॉग ओवर
भारतीय सिनेमा के गीत-संगीत की तरक्की का सफ़र...
के एल सहगल के...गम दिए मुस्तकिल...से शुरू हुआ था...
और बाबा सहगल के...रैप...तक पहुंच गया...
्बहुत सुंदर, लिखा आप ने, लेकिन गीत नही सुन पाया, मै बचपन से ही के एल सहगल साहब के गीतो का अशिक रहा हुं, जब आप के यहा नही चला तो अपनी सीडी मै से सुना, अजी एक नही फ़िर तो पुरी सीडी ही सुन कर टिपण्णी देने आया हुं
जवाब देंहटाएंbahut sundar Khushdeep Bhai.... Shukriya
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी छोटी सी प्रार्थना को इतना मान दे दिया....!!
मैं निःशब्द हो गयी हूँ....!!
लेकिन खुश हूँ कि पाठकों को एक बहुत ही सुन्दर कृति पढने और सुनने को मिल रही है. मैंने खुद इसे पहली बार सुना है, और मन्त्र-मुग्ध हूँ...
आप से संपर्क का और कोई रास्ता नहीं है इसलिए एक धृष्टता कर रही हूँ..इस गीत का mp3 कोड मेरे पास उपलब्ध है...इसे इसी टिपण्णी बॉक्स में पेस्ट कर रही हूँ अगर आप चाहें तो इसे अपने टेक्स्ट बॉक्स में डाल सकते हैं....पाठकगण इसे सुन भी पायेंगे.....
अगली बार आप अपनी आवाज़ में कुछ सुनाने की चेष्टा कीजियेगा...बहुत ख़ुशी होगी...
धन्यवाद...
masfi chahungi Khushdeep ji,
जवाब देंहटाएंmain code is tareeke se aapko nahi bhej paayi..comment box accept nahi karta hai.
हमें नहीं पता था कि आप भी पान पराग...ऊप्स!...सॉरी गानों के शौकीन हैँ
जवाब देंहटाएंबढिया गीत सुनवाने के लिए धन्यवाद...
आपका स्लॉग ओवर हमारे संगीत के अर्श से फर्श तक पहुँचने की कहानी कह रहा है
are malik main Jai Hind kahna bhool gaya, wapas ana pada...
जवाब देंहटाएंJai Hind
बड़े भाई,
जवाब देंहटाएंएक काम करते हैं, समीर जी का नाम भी सैम जी कर देते हैं. :)
very nice!!!!achha laga...
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी हम अदा जी का शुक्रिया अदा करते हैं कि उनकी वजह से एक बेमिसाल गीत हमें सुनने को मिला।
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी एक आध दिन कभी नेट से सूर रहूँ तो आते ही ापका एक नया अंदाज़ सामने आता है तो अब गायक भी हो ये अदा जी से पता चला। आज न सही एक दिन जरूर आपकी आवाज़ भी सुन लेंगे। दो शब्दों के स्लाग ओवेर मे संगीत की लम्बी दास्तां लिख दी बहुत खूब गागर मे सागर। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी वाला लिंक काम नहीं कर पा रहा है अतः आप इस गीत को निम्न लिंक में जाकर न केवल सुन बल्कि डाउनलोड भी कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंhttp://www.mp3hungama.com/music/index.php?action=album&id=3683
इस गीत चर्चा से मेरी भी कुछ सुनने की इच्छा हो आई है। बहुत दिनों से स्पीकर बोल ही नहीं रहे थे। कल से ही उन की आवाज वापस आई है। बेटे ने बताया कि हमने दीवाली की सफाई के बाद स्पीकर का प्लग गलत छेद में घुसेड़ रखा था। चलिए मैं भी कुछ सुनता हूँ।
जवाब देंहटाएंAaapne jo sammaan Adaji ko diya hai...... usse main gadgad ho ho gaya.........
जवाब देंहटाएंAAP bahut achche hain.....
JAI HIND
के डी सहगल जी, अब कुछ गा कर सुना ही दीजिये.
जवाब देंहटाएंकब तक यूँ ही लिख लिख कर टरकाते रहेंगे?
अब तो सुनने का मूड बन चूका है.
वैसे कई दिन से घर का कोम्प्यूटर झटके मार मार कर चल रहा था, इसलिए लिखने में दिक्कत हो रही थी.
वाह.. वाह.. खुशदीप जी, बेहतर प्रस्तुति....... अदा जी को साधुवाद..
जवाब देंहटाएंअदाजी की फरमाइश पर पेश आपका यह गीत बहुत ही सुन्दर है ...अदा के साथ आपका भी बहुत आभार ...स्लोग ओवर तो हमेशा ही लाजवाब होता है ...!!
जवाब देंहटाएंहमने तन्हाई को महबूब बना रखा है,
जवाब देंहटाएंराख़ के ढेर में शोलों को दबा रखा है...
ये शे'र लाजवाब लगा .....!!
मैं तो यही समझ रही थी आप सहगल साहब के वंशज ही हैं .....मेरे पापा सहगल साहब के बहुत बड़े फैन थे ...वे गाते भी उन्हीं की तरह हैं ...और ये गीत ..." गम दिए मुस..." उनका पसंदीदा गीत है ...खैर आपकी टिप्पणियाँ यत्र - तत्र पढ़ती रहती हूँ और मुस्कुराती रहती हूँ ...काफी दिलचस्प जो होती हैं .....!!
आपका पुराने गाने के प्रति लगाव मैं शुरू से ही देख रहा हूँ... एक जिक्र याद आ रहा है... "और नहीं बस और नहीं!" हाँ तो क्या ख्याल है अपनी आवाज़ में आये-हाए यह जालिम ज़माना सुनाने का... रिकॉर्ड कर के डाल दीजिये अगली पोस्ट पर... :)
जवाब देंहटाएंKhushdeep ji,
जवाब देंहटाएंHum bhi ada ji ke mureed hain. Jab unhone kaha hai to bas suna hi dijiye 'Aapke anurodh par main ye geet sunata hun'
agali posr ab to aap bana hi daaliye. intezaar rahega,,,,,
Khushdeep ji,
जवाब देंहटाएंHum bhi ada ji ke mureed hain. Jab unhone kaha hai to bas suna hi dijiye 'Aapke anurodh par main ye geet sunata hun'
agali posr ab to aap bana hi daaliye. intezaar rahega,,,,,
खुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके पोस्ट पर आया हूँ ब्लॉग वाणी से.
आपकी पसंद पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. सुन नहीं पाया हूँ.
अदा जी को जो सम्मान आपने दिया है, उसके लिए दिल से शुक्रिया. ये भी अच्छा लगा जान कर आप गाते हैं, संगीत से इतना प्रेम है आपको, और आपने स्वीकार भी किया है आप गाते हैं. बस अब गा ही दीजियेगा, बहुत ख़ुशी होगी.
सागर जी का कहा मान लीजिये और हम सब को अनुग्रहित कीजिये !
जवाब देंहटाएंआप की आवाज में गीत सुनने का इन्तजार....
स्लॉग ओवर - लाजवाब !!!!!!
जय हिंद !
खुशदीप भाई आपने इसी बहाने हम सबको भी ऐसी नज्म पढाई धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकहाँ हो बन्धु?..आपकी नई पोस्ट के इंतज़ार में अब तक जाग रहा हूँ
जवाब देंहटाएंbahut hi accha hai aur usse bhi acchi hai jagjit singh ki gayaki (as usual!!)..
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