...ताकि फिर कोई उंगली न उठाए

ब्लॉगवाणी के विराम लेने से पहले आपने गौर किया होगा कि ब्लॉगवाणी के साइड लिंक्स में ये सूचनाएं चलती रहती थीं कि ब्लॉगवाणी को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं...मैं उम्मीद करता हूं कि ब्लॉगवाणी ने शायद इसी उद्देश्य से ब्रेक लिया हो..
जो हो रहा है, वो हमारे बस का नहीं है...जो हमारे बस का ही नहीं तो उस पर मलाल कैसा...कहते हैं हर मुश्किल घड़ी में कोई न कोई अच्छाई छिपी होती है...शायद ये सब वैसे ही सफाई के लिए हो रहा हो, जैसे दीवाली से पहले हम अपने घरों की सफाई करते हैं...वैसे आपने गौर किया हो तो पिछले एक-दो हफ्ते में मुझे ऐसा महसूस हुआ था कि बिना किसी पूर्व सूचना के ब्लॉगवाणी दिखना बंद हो गया था...कुछ घंटे बाद ही ब्लॉगवाणी फिर शुरू हो गया...इस बार लगता है मध्यांतर कुछ घंटों का नहीं कुछ दिनों का है...उम्मीद पर दुनिया कायम है...
वैसे आजकल बिना मांगे सुझाव देने का ज़माना नहीं है फिर भी एग्रीगेटर को किस तरह सर्वग्राह्य बनाया जा सकता है जिससे फिर कोई उस पर ऊंगली उठाने की जुर्रत ही न कर सके...मेरे कुछ सुझाव हैं...ये सिर्फ सुझाव हैं, ढूंढने वाले इनसे भी कोई अन्य मतलब न निकालने लगें...ये ठीक वैसे ही जैसे चुनाव के दौरान चुनाव आयोग हर उम्मीदवार को समान स्तर का प्ले-फील्ड देने की कोशिश करता है...और अगर कोई फाउल करने की कोशिश करता है तो उसके लिए दंड का भी प्रावधान होता है...
सुझाव नंबर 1...
पसंद, ज़्यादा पढ़े गए और अधिक टिप्पणियां सार्वजनिक तौर पर दिखाने वाले कॉलम ही पूरी तरह बंद कर दिए जाएं...ऐसा इंतज़ाम किया जाए कि सिर्फ ब्लॉगर विशेष को ही पता रहे कि उसकी पोस्ट को कितनी बार पढ़ा गया या कितनों ने उसे पसंद किया...
सुझाव नंबर 2
इन सब कॉलम की जगह एक ऐसा कॉलम बनाया जाए जहां 100 पोस्ट (संख्या कुछ और भी रखी जा सकती है) के शीर्षक और उसे लिखने वाले ब्लॉगर का नाम प्रदर्शित हो...इस कॉलम में रोटेशन के आधार पर हर घंटे बाद दूसरी पोस्ट के शीर्षक और ब्लॉगर के नाम आते रहें...ये क्रम बिना किसी भेदभाव के अपने आप बदलता रहे...जैसे-जैसे नई पोस्ट आती जाए, उन्हें रोटेशन कॉलम में डाला जाता रहे...इस तरह किसी भी पोस्ट को कम से कम एक हफ्ते तक कॉलम में रखा जाए और हफ्ता पूरा होते ही हटा दिया जाए...इससे नई पोस्ट लिखने वालों के लिए भी लगातार जगह खाली होती रहेगी...
सुझाव नंबर 3
हर ब्लॉगर के लिए नई पोस्ट डालने के लिए समय-सीमा निर्धारित की जाए...जैसे दो पोस्टों के बीच कम से कम दो या तीन दिन का अंतराल अवश्य हो...
सुझाव नंबर 4
किसी दूसरे ब्लॉगर का नाम लेकर पोस्ट लिखने पर पाबंदी हो...अगर किसी को दूसरे की पोस्ट विशेष से शिकायत हो तो वो जाकर उसी पोस्ट पर कमेंट के रूप में अपनी बात कहे...अगर मोडरेशन के ज़रिए उसकी बात नहीं छपने दी जाती तो फिर एग्रीगेटर द्वारा प्रदत्त शिकायतनामा जैसे किसी दैनिक कॉमन में जाकर अपनी बात रखे...
सुझाव नंबर 5
अगर कोई ब्लॉगर किसी दूसरे ब्लॉगर का नाम लेकर व्यंग्य या कोई और रचना लिखना चाहता है तो पहले वो उस ब्लॉगर विशेष से ई-मेल या फोन के ज़रिए पूर्व अनुमति ले...इस मामले में पूरी पोस्ट का ड्राफ्ट पोस्ट करने से पहले दूसरे ब्लॉगर को दिखाना ज़रूरी हो...
बस अपने दिल मे जो घुमड़ रहा था, वो यहां उकेर दिया...आगे सभी ब्लॉगर भाई ज्ञानी-ध्यानी है...जो ठीक समझें वो इस पोस्ट पर अपनी बात कह सकते हैं...

स्लॉग ओवर
मक्खन और मक्खनी माल में शॉपिंग करने गए हुए थे...वहां मक्खनी बार-बार मक्खन से कहती जा रही थी...ऐ जी सुनते हो ये भी ले लो...ऐ जी ज़रा इसका रेट पूछना है...ऐ जी ज़रा ट्राली लाना...ऐ जी ज़रा सब्ज़ियां-फल तुलवाना...ऐ जी बिल की लाइन में खड़े हो जाओ नहीं तो देर लगेगी...मक्खन ये सब सुनते-सुनते उकता गया...झल्ला कर बोला...ये क्या ऐ जी, ऐ जी लगा रखी है...बात-बात पर ऐ जी, ऐ जी...मक्खनी बोली...तो फिर क्या हर बार तुम्हें... अबे गधे (Abe Gadhe) सुनना ज़्यादा अच्छा लगेगा...

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13 टिप्पणियाँ
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  1. पहले विजयादशमी की शुभकामनाएँ ले लो.

    अब :सुझाव पढ़े:

    सुझाव ३, ४ और ५ एग्रीगेटर के कार्य क्षेत्र में नहीं आते.

    सुझाव ३ और ५ स्व-विवेक के पालन की बात है, यह तो हमें खुद ही पालन करना होगा.

    सुझाव ४ के लिए तो आज ही एक ब्लॉग खोल दें-वैसे नाम उसका मैं बता सकता हूँ: ’अखाड़ा’ या ’नूरी कुश्ति’ या ’दंगल’ टाईप ही रखना..हा हा!!

    ब्लॉगवाणी से उनके फैसले पर पुनर्विचार का तुम्हारे मंच से भी निवेदन!!


    -स्लॉगओवर पढ़ते ही पत्नी को चमका लिया है कि आज से ए जी बंद-डार्लिंग कहा करो. :)

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  2. ब्लागवाणी के न रहने से एग्रीगेटर की कमी खल रही है। ब्लागवाणी के कर्ता शायद यही महसूस कराना चाहते हों!

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  3. समीर जी की बात से पूर्णत्या सहमत...

    स्लॉग ओवर मज़ेदार रहा

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  4. आपने बहुत बढ़िया और बिल्कुल सही लिखा है ! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!

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  5. सबसे पहले

    गम छोड़ के मनाओ रंगरेली ...

    बधाई कि ब्लॉगवाणी फिर शुरू हो चुकी है!

    धन्यवाद ब्लॉगवाणी!!!

    फिर विजयादशमी की आप तथा सभी ब्लॉगर मित्रों को (बासी) शुभकामनाएँ!

    अब इस पोस्ट की टिप्पणीः

    खुशदीप जी, आपके सुझाव नं. 1 से मैं सहमत नहीं हूँ। आज अधिक पसंद किए गये और आज अधिक पढ़े गए ही हो हिन्दी ब्लॉगिंग की लोकप्रियता का मानदंड है। हाँ, इनमें सुधार किया जा सकता है और सुधार की घोषणा भी हो चुकी है।

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  6. लो जी ब्लागवाणी फ़िर से शुरु. बधाई सभी को.

    रामराम.

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  7. स्लॉग-ओवर पर :
    मेरी पत्नी मुझे कुछ भी कहे, मखणी के नाम से इसे सार्वज़निक करने का अधिकार आपको नहीं है !

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  8. ख़ुशदीप भाई आपकी पोस्ट से नज़र नहीं हटती, बाकी नज़ारे हम क्या जानें :)
    पसँद और नापसँद की जगह पर ब्लागवाणी स्टार रेटिंग विज़ेट के विषय में सोचा जा सकता है , जो कि केवल ब्लागवाणी पर पँजीकृत ई-मेल आई.डी. डालने से ही सक्रिय हो सके । पाठकों की पसँदगी जानते रहना आवश्यक है, इससे स्वयँ के लेखन को दिशा तो मिलेगी ही, साथ ही ब्लागिंग के स्तर में भी सुधार आयेगा ।
    अलबत्ता इसे बढ़ाने / बढ़वाने के प्रयास में आप जैसे मित्रों की सहायता लेनी होगी और मोबाइल का बिल बढ़ जायेगा । ऊँची रेटिंग की कुछ कीमत तो किसी के
    गल्ले में जाये कि नहीं ? या यह भी भाई लोगों को गवारा नहीं ? अपनी फोन लाइन खुली रखना, नम्बर मेरे पास नहीं है, तो क्या ? इतना तो जानम समझा ही करो !

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  9. समीर जी की बात से सहमत हूँ ब्लागवाणी के वापिस आने से बहुत खुशी हुय़ी बधाई और शुभकामनायें हँ ये मखनी कौन है कहीं ---- स्लागओवर के जरिये अपनी बात तो नहीं कह रहे? शुभकामनायें

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  10. ब्लॉगवाणी की वापसी अति सुखद है.

    मैथिलीजी और सिरिलजी का हार्दिक आभार.

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  11. आपके पहले सुझाव से सहमत हूँ. समीर लाल जी की बात भी सही है.
    एक सुझाव मेरा भी, की अनाम ब्लोगों और टिप्पणियों का बहिष्कार होना चाहिए. ये खामख्वाह माहौल खराब करती हैं.
    ब्लोग्वानी के पुनार्गमन पर बधाई.

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