इस पोस्ट में आपको ओरिगेमी के मास्टर वोन पार्क की बेजोड़ प्रतिभा से रू-ब-रू करवाता हूं...मनी-फोल्डर के नाम से मशहूर इन महाशय का कैनवास अमेरिका का एक डॉलर का नोट है...इस एक नोट को फोल्ड दे दे कर ये महाशय क्या-क्या बना सकते हैं, आप खुद ही देखिए...हां एक बात और बताता चलूं कि इन जनाब ने अपना घर एक ऐसे ट्रक को बनाया हुआ है जो कूड़ा उठाने के काम आता है...वोन पार्क के आशियाने की सैर कल की पोस्ट में कराउंगा, आज बस उनके हाथ का हुनर देखिए...
मछली
तितली
ड्रैगन
केकड़ा
जैकेट
टॉयलेट सीट
पेंगुइन
बैटल टैंक
जेट
स्लॉग ओवर
शराबी टुन होकर अपनी किस्मत को कोस रहा था....
पहली खाली बोतल गुस्से में दे ज़मीन पर मारी...साथ ही बोला...तेरी वजह से मेरी नौकरी गई...
दूसरी खाली बोतल भी दे मारी...बोला...तेरी वजह से बीवी मुझे छोड़ कर चली गई...
तीसरी भरी हुई बोतल हाथ आ गई...उसे ज़मीन पर मारते-मारते रुक गया...फिर गले से लगाकर बोला...एक तू ही तो है जो मेरा हर दुख में साथ देती है...
नोट से तो कमाल कर ही दिया मगर देखो तीसरी बोतल ही काम आई. :)
जवाब देंहटाएंkamaal ki kala ka pradarshan hai..waah...
जवाब देंहटाएंbotal ki baat botal waale jaane ..
kyun Sameer ji :)
ये जापानी क्या जाने कला।
जवाब देंहटाएंहमारे यहां सरकारी बाबूओं के हाथ में नोट देकर देखो. क्या क्या कलाकारी दिखा देते हैं।
बरसों से अड़ी फाइल बिना तेल मोबाइल ऑयल के रॉकेट की रफ्तार को मात देने लगती है।
जापानी के हाथ में आकर नोट पर कारीगिरी दिखती है।
हमारी दिल्ली में एक ही नोट होने पर भी हाथ काट देने की कलाकारी दिखाते देर नहीं लगती।
हमारे यहां नोट पर नहीं. नोट के बल पर कलाकारी दिखाई जाती है।
नाम लिखने की जरुरत नहीं थी.........कलाकार की कलाकारी समझ में आ रही है ------क्या बनाया .............तीसरी बोतल का असर लग रहा है......वरना ऐसी गलती.... वो भी आप से...हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट!
जवाब देंहटाएंतीसरी वाली बोतल आखिर काम आ ही गयी
जवाब देंहटाएंकमाल है भाई
खुशदीप भाई बहुत गैरहाजरी लग रही है।
कहां हो?
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता में
भूली बिसरी बात पुरानी,
याद आई है एक कहानी
Ha HA HA !!!!!!!!!!!! Tisari Botale- Bade Kam Ki Cheej.
जवाब देंहटाएंLekin sachmmuch Japani kala hai mashoor
वाकई अद्भुत है ये कला
जवाब देंहटाएंकमाल की कलाकारी है. शुक्र है कि मास्टर वोन हिन्दुस्तानी नोट के साथ ऐसा कुछ नहीं करते है वर्ना हमारे यहाँ कई तथाकथित राष्ट्रभक्त इसे कला न समझ कर देश की मुद्रा का अपमान की नज़र से देखते और नौटंकी करने में लग जाते.
जवाब देंहटाएंवैसे "बोलेतोबिन्दास" जी ने स्पष्ट कर दिया है कि देश में सरकारी बाबु नोट से कैसी कैसी कमाल की कलाकारी कर लेती है.
स्लोग ओवर हमेशा की तरह बेमिसाल है.
अद्भुत कला तो ये है ही .. कलाकार के प्रतिभा का भी क्या कहना .. शराबियों की बातें भी निराली होती हैं !!
जवाब देंहटाएंअद्भुत कला ...!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन जानकारी खुशदीप जी, वाकई अद्भुत कला है.
जवाब देंहटाएंओरिगेमी के विषय में कहीं बहुत पहले पढ़ा था, आपने याद ताजा कर दिया।
जवाब देंहटाएंवैसे अपने प्रायमरी स्कूल के दिनों में हम भी कागज को मात्र फोल्ड कर कर के चिड़िया बनाया करते थे और एक पेंसिल (स्लेट वाली) के बदले में दूसरे सहपाठियों को दिया करते थै।
यहाँ भावेश जी कि टिप्पणी के बारे में लिखना चाह रही हूँ कि किसी भी देश की मुद्रा के साथ छेड़खानी करना या उसे नुकसान पहुंचाना अपराध है। अमेरिका में भी है। एक बार मैं एक दुकान पर खड़ी थी, वहाँ एक विदेशी महिला आयी और उसने दुकानदार को एक गन्दा सा नोट दिया। दुकानदार ने लेने से इन्कार कर दिया तब उस महिला ने उसे बुरी तरह लताड़ दिया और कहा कि अपने देश की करेंसी के प्रति आदर नहीं है? झक मारकर उसे लेना पड़ा, इसलिए हर बात में राष्ट्रभक्ति की बात कर के और उसका मजाक उडाकर ही इस देश का यह हाल हुआ है।
जवाब देंहटाएंअद्बुत कलाकारी....
जवाब देंहटाएंविश्वास नहीं होता कि नोट को बिना काटे-चिपकाये यह बनाया गया है, वाकई अदभुत कलाकारी है।
जवाब देंहटाएंडालर के नोट से "कमोड सीट" बनाना वामपंथियों को बड़ा सुकून देगा… हा हा हा हा हा…
बेहद उम्दा पोस्ट .........खुशदीप भाई !
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कलाकारी नोट की भी और बोतल की भी।
जवाब देंहटाएंतीसरी बोतल मै अभी जान थी... बहुत सुंदर, व्रेसे शराबी कभी भी भरी हुयी बोतल को टुटने नही देता... चाहे खुद टुट जाये
जवाब देंहटाएंअद्भुत !
जवाब देंहटाएंकाश नोटों से हम भी खेल लेते ।
अब तो तीसरी का ही सहारा है।
भैया...मैं अब थोडा फ्री हो गया हूँ... सॉरी फोर डिले...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
एक तस्वीर हमारे यहाँ के दूल्हो की भी दे देते ..वैसे 1000 वाले नोट की तस्वीर सब पर भारी होती ।
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