क्या कहा नापसंद का चटका लगाना है...अरे कहां लगाऊं...ये चिट्ठा जगत, इंडली, ब्लॉग प्रहरी वालों ने ऑप्शन ही नहीं छोड़ रखा...यार ये तो अपुन को कहीं का नहीं छोड़ेंगे...एक वही उस्तरा तो हमारे हाथ लगा था, वो भी ब्लॉगवाणी के बैठ जाने से हाथ से चला गया...अब इन चिट्ठा जगत, इंडली और ब्लॉग प्रहरी वालों को कोई समझाए कि जल्दी से जल्दी नापसंद के चटकों का बटन एग्रीगेटर पर लगाएं...
यार इन्होंने तो बैठे-बिठाए हमारा रोज़गार ही छीन लिया...अब कैसे खेले नापसंद-नापसंद...कैसे किसी की पोस्ट को हॉट लिस्ट से बाहर कर परपीड़ा का रसास्वादन करें...अब यहां तो वही पोस्ट ऊपर जा रही है जिसे सबसे ज़्यादा टिप्पणियां मिल रही हैं...
क्या करें...हर टिप्पणी के जवाब में एक धन्यवाद की टिप्पणी ठोकना शुरू कर दें...लेकिन ब्लॉगर बिरादरी बड़ी ताड़ू है फट से ताड़ जाएगी...फाउल फाउल चिल्लाना शुरू कर देगी...फिर क्या करें यार...अभी तो कुछ मत कर...बस सब्र का घूंट पी और लंबी तान कर सो जा...घबराता क्यूं है प्यारे...कभी तो हमारा दिन भी आएगा...बस दिल पे मत ले यार...
ये ब्लॉगिंग नहीं है आसां,
बस इतना समझ लीजे...
आग का दरिया है...
बस डूब के जाना है...
ब्लॉगिंग का बुखार, दिल पे मत ले यार...खुशदीप
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मंगलवार, जून 22, 2010
ये ब्लॉगिंग नहीं है आसां,
जवाब देंहटाएंबस इतना समझ लीजिए...
आग का दरिया है...
बस डूब के जाना है...
बस डूब के ही जाना है
खुश दीप भाजी मस्त रहो जी यह चटके यह लटके ,,, नही परवाह कभी ध्यान भी नही दिया इन पर, फ़िर हमे क्या मस्त मोला है जि, हम ने कोन सा ईनाम जीतना है यहां, लेकिन फ़ोटू बहुत अच्छी धांसू है....
जवाब देंहटाएंबढ़िया...व्यंग्यात्मक पोस्ट
जवाब देंहटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंइसी बहाने तुम्हें मस्ती लेने का मौका मिल गया. :)
जवाब देंहटाएंचलो जी अब तो हरा ही हरा है। लेकिन यह फोटोवाले का नाम क्या है?
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंगधे की फोटो..?
हाँ लगायी है, तो..?
तो, कुछ लेते क्यों नहीं ?
मतलब...
मतलब, दोस्तों से कुछ टिप्पणियाँ उधार लेते क्यों नहीं ?
सुना है एक दूसरे पर टिप्पणियाँ लुटाने वाला कोई सँगठन भी बन गया है..
न हो, तो उन्हीं से मदद ले लो । जब क़र्फ़्यू खुले तो लौटा देना ।
आज लगभग 30 ब्लॉग्स पर गया, जितनी पढ़ी-टीपी होगी.. वह अलग की बात है, पर
अधिकाँश पोस्ट शोले की जया भादुड़ी जैसी सूनी माँग लिये लालटेन दिखा रहे थे..
तेरी सौं.. यह देख मेरा तो कलेज़ा चाक चाक हो गया
जवाब देंहटाएंगधे की फोटो..?
अब मुझे गुस्सा आ रहा है
आ, थोड़ी देर को गुस्सा गुस्सा खेलें
मैं पूछता हूँ, कि आपने गधे की फोटो आख़िर किससे पूछ कर लगायी ?
यह बात दीगर कि वह न घर का रहा, न घाट का..
पर यहाँ उसकी न्यूड फोटो देकर उसकी निजता का हनन क्योंकर किया ?
जवाब देंहटाएंओह...
खुशदीप सहगल.. तुझसे तो मैं बाद में निपट लूँगा..
अन्य पाठकगण कृपया क्षमा करें, क्योंकि
यह तो गधी हैं, इनका अपमान करने का मेरा कोई इरादा नहीं था !
जवाब देंहटाएंदेख, मैंनें तीन टिप्पणियाँ डाल दीं,
इस लेकर चार हुईं, अब मुझसे पाँचवीं न हो पायेगी
शायद ये देख नही पाए थे आप ......इसलिए ये एक बार देख लिजिए ...(टिप्पणी की थी )
जवाब देंहटाएंईर कहे चलो चटका लगाबे जाय,
बीर कहे चलो चटका लगाबे जाय,
राजा कहे चलो चटका लगाबे जाय,
हमहू कहे चलो चटका लगाबे जाय,
ईर लगाए पसंद चटका ,
बीर लगाए पसंद चटका ,
राजा लगाए पसंद चटका ,
हमहू लगाए नापसंद चटका ,
ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा...........ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा
अबे चुप ...........बिना नापसन्दी मिले ऊपर को चढ़ाबो!!!!!!!!!!! जरूरी है का ?????
माफ़ कीजिएगा थोड़ी कमी लगी सो पूरी करने की कोशीश की है http://kumarendra.blogspot.com/2010/06/blog-post_04.html
और अब ये आपके लिए--(लिखा उसी के लिए था पोस्ट नही किया था...तो अब आपके लिए ही सही)
ईर कहे चलो मौज ली जाए,
बीर कहे चलो मौज ली जाए,
राजा कहे चलो मौज ली जाए.
हमहू कहे चलो मौज ली जाए
ईर बने इनामी,
बीर बने सुनामी,
राजा बने गुमनामी,
हमहू बने बेनामी,
ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ....ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा
अबे चुप ........पहचान बताइबे के खुद ही ......कुल्हाड़ी मार लेबे का ?
भैय्या खुशदीप जी पसंदगी और नापसंगी का चक्कर छोडिये...आप तो बस धुँआधार लिखते रहिये ...
जवाब देंहटाएंजब तक पसन्द का चट्का चला अच्छा था
जवाब देंहटाएंनापसन्द तो सबको ना पसन्द ही है
इस बीमारी ने हमें भी घेर रखा है!
जवाब देंहटाएंबेचारा! कान खुजा रहा है।
जवाब देंहटाएंहम तो पशले ही इस मे डूब चुके हैं अब देखना ये है कि बाहर आ पायेंगे कि बीच मझदार मे डूब जायेंगे। मस्त पोस्ट शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं@ Dr Amar kumar,
जवाब देंहटाएंNice !
बड़ा सन्नाटा है भाई!!! (एके हंगल)
जवाब देंहटाएंबसन्ती - रहीम चाचा, ब्लागवाणी बन्द हो गई है…
हंगल बाबा - बसन्ती मुझे मस्जिद तक छोड़ दे, आज खुदा से पूछूंगा मुझे दो-चार ब्लागवाणी क्यों नहीं दिये नापसन्द का चटका लगाने के लिये…
लगता है आपने झोंक में, बिना शोध किए टेबल राइटिंग कर ब्लॉग पोस्ट लिख मारी. द एक्जेक्ट एक्जाम्पल ऑव क्लासिक हिन्डी ब्लॉगिंग?
जवाब देंहटाएंध्यान से देखिए. इंडली में नापसंद का बटन है. बिलकुल है. "बरी" यानी गाड़ देने का अच्छा खासा विकल्प है वहाँ पर!
आप पर तो भरोसा है, आपके प्रशंसकों से उम्मीद करता हूँ कि इस टिप्पणी को थोड़े सेंस और बहुत कुछ ह्यूमर के साथ पढ़ेंगे (समझेंगे) :)
मुझे तो आजतक पता नहीं लगा कि ये नापसन्द का चटका कैसे लगाया जाता है और मेरी कौन-कौन सी पोस्ट पर नापसन्द के चटके आये है।
जवाब देंहटाएंमैं तो गूगल रीडर का ज्यादा प्रयोग करता हूं। मेरे पसन्दीदा ब्लाग तो मिल जाते हैं।
पहले तो कुछ ब्लागरों ने ब्लागवाणी पर उल्टे-सीधे तीर चलाये। अब कुछ दिन ब्लागवाणी बीमार हो गई तो सभी परेशान हो रहे हैं जी।
बेशक अन्य एग्रीगेटर बेहतर सेवा दे सकें और देते रहें, मगर ब्लागवाणी के कार्य और योगदान की तुलना नहीं हो सकती है।
आशा है कि ब्लागवाणी जल्द स्वस्थ होकर आयेगा।
प्रणाम स्वीकार करें
सुन्दर व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंye napasand ka chatka lagane hame bhi sikha do sir..:)
जवाब देंहटाएंब्लोगवाणी के बिना कौन से काम बंद है ?
जवाब देंहटाएंकीजिये हाय हाय क्या ............रोइए जार जार क्यों ?
पसंद -नापसंद के चटकों को छोड़ दे तो ब्लोग्वानी को मिस तो किया ही जा रहा है ...
जवाब देंहटाएंये ब्लॉगिंग नहीं सचमुच आसान ...!!
कुछ भी छाप दो भैया , अब डर काहे का ।
जवाब देंहटाएंचार दिन नेट से दूर रही और पता चला...ब्लोगवाणी ही बंद है...अच्छी खिंचाई कर डाली,आपने :)
जवाब देंहटाएं:) badhiya vyang.
जवाब देंहटाएंहा हा!
जवाब देंहटाएंचंगा है ये पंगा!!
डूब गये अब कहाँ जाना है
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