जी हां, आज 93 मिनट में मैंने 275 साल पहले के काल को जिया..आप कह रहे होंगे कि क्या लंबी छोड़ने बैठ गया हूं...या मैं भी भूतकाल और आज के बीच झूलता हुआ भविष्यवक्ता बनने की राह पर चल निकला हूं...ऐसा कुछ भी नहीं है... भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की कड़वाहट का 63 साल का इतिहास है...लेकिन मैं 63 साल की नहीं 275 साल की दुश्मनी की बात कर रहा हूं...स्पेन और पुर्तगाल भी भारत-पाकिस्तान की तरह यूरोप में दो पड़ोसी मुल्क है...और इनकी दुश्मनी का इतिहास 275 साल पुराना है..कल एक बार फिर स्पेन और पुर्तगाल आमने-सामने थे...वर्ल्ड कप फुटबॉल में सुपर एट में पहुंचने के लिए सब कुछ झोंक देने के इरादे के साथ....
मैं फुटबॉल का बहुत ज़्यादा प्रशंसक नहीं हूं...लेकिन जब भी वर्ल्ड कप आता है कुछ दिग्गज टीमों के मैच देखने की कोशिश ज़रूर करता हूं...खास तौर पर ब्राज़ील, अर्जेंटीना, जर्मनी, इटली, इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल जैसी टीमों मे किन्हीं दो को भिड़ते देखने से ज़्यादा रोमांचकारी कुछ नहीं होता...आज स्पेन और पुर्तगाल की टक्कर हुई तो मुझे खेल से ज़्यादा ऐतिहासिक और राजनीतिक नज़रिये से भी इसका इंतज़ार था...सच पूछो तो पुर्तगाल के औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी इतिहास की वजह से मैं यही चाहता था कि स्पेन इस महायुद्ध में विजयी हो...लेकिन स्पेन की राह में चट्टान बन कर अड़ा था पुर्तगाल का सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो...
साउथ अफ्रीका के केपटाउन में ग्रीन प्वाइंट स्टेडियम में पुर्तगाल और स्पेन के बीच फुटबॉल का महायुद्ध शुरू हुआ...ये भी इतेफ़ाक ही है कि वर्ल्ड कप में पहले कभी इन दो पड़ोसी मुल्कों की टक्कर नहीं हुई थी...वर्ल्ड में इस वक्त यूरोपियन चैंपियन स्पेन की रैंकिंग नंबर दो और पुर्तगाल की नंबर तीन है......इतिहास गवाह है कि स्पेन और पुर्तगाल का भूगोल एक सरीखा होने के बावजूद दोनों देशों का मिज़ाज हमेशा अलग रहा...18वीं और 19वीं सदी की बात करें तो स्पेन के मुकाबले छोटा होने के बावजूद पुर्तगाल साम्राज्यवादी रहा...पुर्तगाल ने जमकर अफ्रीका, साउथ अमेरिका और एशिया में अपने उपनिवेश बनाये...इसके उलट स्पेन हमेशा उसी में खुश रहा जो उसके पास था...लेकिन स्पेन ने अपनी ज़मीन की हिफ़ाज़त के लिए कभी कोई कसर नहीं छोड़ी...
स्पेन और पुर्तगाल 275 साल पहले भी भिड़े थे...मसला साउथ अमेरिका में बांडा ओरिएंटल में वर्चस्व को लेकर था...ब्राज़ील की सीमा पर बांडा ओरिएंटल वही जगह है जिसे आज हम उरूग्वे देश के तौर पर जानते हैं...पंद्रहवीं सदी की एक संधि के तहत बांडा ओरिएंटल पर स्पेन का अधिकार था...लेकिन पुर्तगाल ने यहां उपनिवेश के तौर पर स्क्रेमेंटो कॉलोनी बना कर उसके आसपास का इलाका घेरना शुरू कर दिया...स्पेन ने पुर्तगाल की इस बेज़ा हरकत पर अंकुश लगाने के लिए अपनी सेनाओं को भेजा...दिलचस्प बात ये है कि इसमें चार हज़ार भारतीय मूल के लड़ाके भी थे...लेकिन दो साल तक युद्ध चलने के बावजूद पुर्तगाल ने स्पेन को छकाए रखा...आखिरकार फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन और नीदरलैंड के दखल के बाद युद्ध बंद हुआ...इसके बाद दोनों देशों में शत्रुता का माहौल करीब दो सदी तक चलता रहा...
17 मार्च 1939 को स्पेन और पुर्तगाल के बीच एक दूसरे पर पहले आक्रमण न करने की संधि हुई...तब से इतिहास-भूगोल को लेकर दोनों देशों के बीच कभी तलवारें नहीं खिंची...लेकिन 29 जून 2010 को केपटाउन के ग्रीन प्वाइंट स्टेडियम में स्पेन और पुर्तगाल के योद्धा फिर आमने-सामने थे...लेकिन निहत्थे...फुटबॉल को पूरी ताकत के साथ दूसरे के डिफेंस को चीरते हुए गोल में टांगने के लिए...आज दोनों के बीच समझौता कराने वाली कोई तीसरी शक्ति मौजूद नहीं थी...लड़ाई आर या पार की थी...स्पेन के स्ट्राइकर्स और मिडफील्डर्स के हर तीर का जवाब देने का सबसे ज़्यादा भार पुर्तगाल के फुटबॉल गॉड रोनाल्डो के मज़बूत कंधों पर था...लेकिन स्पेन के स्ट्राइकर डेविड विला कुछ और ही ठान कर मैदान में उतरे थे...
स्पेन ने खास तौर पर रोनाल्डो को मार्क करने की रणनीति बना रखी थी...दोनों टीमों ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया...आखिर मैच के दूसरे हॉफ में स्पेन के डेविड विला के रिबाउंड किक ने पुर्तगाल के वर्ल्ड कप के सुपर 8 में आने के सपने को चकनाचूर कर दिया...स्पेन 1-0 से जीता...इस महायुद्ध ने जहां स्पेन और पुर्तगाल के लोगों को उन्हीं लम्हों का अहसास करा दिया, जिन्हें उन्होंने दुश्मनी के इतिहास में सिर्फ किताबों में ही जिया था...एक बात और साफ हुई कि खेल के मैदान में जीत देशों का भूगोल तय नही करता...
बहुत बढ़िया ...........९३ मिनट में २७५ साल .....क्या कहने!
जवाब देंहटाएंफुटबॉल का मैच ना हुआ टाइम मशीन हो गयी !
इसी बहाने इतिहास पर भी नजर पड़ गई...कल का मैच बड़ा रोमांचकारी था.
जवाब देंहटाएंहम ने तो फुटबाल मैच देख नही था..पर आपने एक बढ़िया जानकरी दी..वर्तमान की भी और इतिहास की भी...धन्यवाद भैया
जवाब देंहटाएंमैच रोमांचक था। पर बीच में टेलीफोन?
जवाब देंहटाएंरोचक प्रसंग ...इस बारे में पहले पता ना था
जवाब देंहटाएंखेल के मैदान में जीत देशों का भूगोल तय नही करता. शानदार प्रस्तुति, इतिहास के पन्नों को समेटती हुई।
जवाब देंहटाएंपुर्तगाल की तो पुरानी आदत है कब्ज़ा करने की । हमारे गोवा को भी तो बड़ी मुश्किल से छोड़ कर गए थे ।
जवाब देंहटाएंफ़ुटबाल का तो हमें भी शौक नहीं लेकिन भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैच को कभी नहीं छोड़ते ।
हिस्ट्री का ज्ञान बढ़ा दिया ।
आज कल मै तकरीबन सभी मेच देख रहा हुं, इस मेच मै स्पेन शुरु से ही छाया रहा, ओर यहां देखने वालो को पहले ही पता होता है कि अब कोन जीतेगा, अगला मेच जो रोमांच पुर्ण होगा वो है जर्मनी को अर्जन्टीना का, जिस मै हार होगी जर्मनी की अगर इमान दारी से देखा जाये तो लेकिन जर्मनी हमेशा गलत खेल कर, रो पीट कर जीत हांसिल करता है.... इस बार देखे? ओर अन्त मै भिडेगे दो शेर ब्राजील ओर अर्जन्टाईना ओर इस बार अर्जनटाईना का पलडा भारी लगता है होने को कुछ भी हो जाये..आज ओर कल आराम का दिन है
जवाब देंहटाएंआप का लेख बहुत अच्छा लगा
kitne multi tasking ho sir.........ab footbaal tak pahuch gaye.......main to Argentine ka prashanshak hoon.........koi usko aaj jeeta de:)
जवाब देंहटाएंkhush dip ji hm aapki baat se puri trh sehmt hen. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंअहा, शीर्षक नें तो चमका ही दिया था.
जवाब देंहटाएंएतिहासिक पोस्ट, आभार :)