देवी कैटरीना की स्तुति में कविराज अक्षय की रचना की संदर्भ सहित व्याख्या...खुशदीप

पढ़ाई के तरीके बदल रहे हैं...अब उन तरीकों से बच्चों को पढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है जिन्हें वो आसानी से समझ सकें...जैसे बच्चा-बच्चा और किसी को पहचानता हो या न हो लेकिन सचिन तेंदुलकर और शाहरुख़ ख़ान को ज़रूर पहचानता होगा...इसलिए अब कई सेलेब्रिटीज़ को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है...कहते हैं कविता हमारे जीवन से खत्म होती जा रही है...लेकिन धन्य है हमारा बॉलीवुड जो दिन प्रति दिन हमें न जाने कब से एक से बढ़ कर सस्वर गाई जाने वाली रचनाएं दिए  जा रहा है...अब कल्पना कीजिए इन्हीं रचनाओं को पद्य के रुप में हिंदी के पाठ्यक्रम में स्थान मिलना शुरू हो जाए तो हमारे नौनिहाल किस तरह संदर्भ सहित व्याख्या करेंगे...उसी की एक बानगी...

अध्यापक का सवाल...

संदर्भ प्रसंग सहित निम्नलिखित कालजयी रचना की व्याख्या कीजिए...


जी करदा भई जी करदा, तैनू झप्पियां पावां, जी करदा....


छात्र का उत्तर...


संदर्भ और प्रसंग...

ये पंक्तियां प्रेम के परम पुजारी संत अक्षय कुमार के ऐतिहासिक श्रव्य और दृश्य महाग्रंथ सिंह इज़ किंग की अमर रचना...जी करदा भई जी करदा, तैनू झप्पियां पावां, जी करदा....से उद्धृत की गई हैं....




व्याख्या...

इस कविता में कविराज अक्षय कुमार जब भी देवी कैटरीना को गुलाबी रंग के वस्त्रों में नृत्य का रस बिखेरते देखते हैं तो इनका चंचल मन व्याकुल हो उठता है...उनके संयम का बांध टूट जाता है और उनके मुखारबिंदु से स्वत ये अनमोल वचन निकलने लगते हैं...कविराज अक्षय किसी याचक की तरह करबद्ध होकर निवेदन करते हैं...हे, देवी कैटरीना...मेरा तैणू झप्पियां पाण नू बड़ा जी करदा ए...

यानि...हे देवी कैटरीना, तुझे आलिंगनबद्ध करने को मेरा बड़ा मन करता है...






निष्कर्ष...

ये रचना हमारे कविराज संत अक्षय कुमार जी की घोर अधीरता और कामुक प्रवृत्ति की ओर बड़े प्रभावशाली ढंग से इंगित करती है...साथ ही देवी कैटरीना के अप्रतिम सौंदर्य से भी परिचय कराती है...


ये तो रहा एक छात्र का उत्तर...अगर ब्लॉगर बिरादरी में से कोई इस रचना पर और प्रकाश डालना चाहे या कोई और महान व्याख्या करना चाहे तो टिप्पणी बॉक्स में उनका स्वागत है...मेरा व्यक्तिगत अनुरोध विशेष तौर पर परम पूज्य श्री श्री 1008 बी एस पाबला जी महाराज से है कि वे अवश्य इस रचना पर अपने अनमोल विचारों से हमें सराबोर करें...


अंत में सभी ब्लॉगरगण से अनुरोध है कि इस कालजयी रचना का स्वयं कविराज अक्षय कुमार और देवी कैटरीना के ज़रिए रसास्वादन करे और आनंद के सागर में गोते लगाएं...

स्लॉग गीत

जी करदा भई जी करदा, तैनू झप्पियां पावां, जी करदा....

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35 टिप्पणियाँ
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  1. प्रस्तुत रचना खुशदीप ड्रामा कंपनी की एक पोस्ट से उद्धृत की गयी हैं...इस आलेख में लेखक ऐसी-वैसी बातें पढ़ा कर लोगों को ऐसा-वैसा बनाने की नाकाम चेष्टा कर रहे हैं...लेकिन हम भी ऐसी-वैसी नहीं है जो ऐसा-वैसा पढ़ कर ऐसे-वैसे हो जायेंगे...
    हम तो लेखक की ऐसी-वैसी बातें पढ़कर उनकी ही ऐसी-तैसी कर देंगे......हाँ नहीं तो...
    जानदार, शानदार, होशियार, बरखुरदार....हवालदार, जमादार, मजूमदार .....खबरदार ..!!!
    'अदा' ड्रामा कंपनी....

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  2. जय हो आप की और ड्रामा कंपनियों की। हम अगले शो के इंतजार में हैं।

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  3. गुरुदेव...बहुत ही बढ़िया एवम सटीक व्याख्या आपने खुद ही कर दी है...इससे आगे कुछ लिखना सूर्य को दिए की रौशनी दिखाने के समान होगा....

    हास्य एवं व्यंग्य से सराबोर बहुत ही बढ़िया पोस्ट ....

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  4. यह सिलसिला भी जोरदार है. इसे जारी रखो, मजा आया.

    ----

    हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

    लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

    अनेक शुभकामनाएँ.

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  5. ज़बरदस्त !
    हंसी रोके नहीं रुक रही है !
    हाहा..

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  6. इस तरह की व्याख्या और उसके सन्दर्भ को प्रायोजित करने में आपका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा. आपकी मीमांसा के बाद नवीन कोई व्याख्या संभव ही नहीं है.
    धन्यवाद

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  7. जी करदा भई जी करदा....
    एक बंदरिया के नाम लिखे एक समझदार एक्टर की इस
    काव्य रचना पर
    जी क्या करदा, उसका जिक्र न ही हो तो अच्छा

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  8. बहुत खूब .......आपकी ये नयी रचनाये नए पाठ्यक्रम में अवश्य रखे जायेंगे .

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  9. बहुत सही नजरिया, शो मस्ट गो आन....:)

    रामराम.

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  10. " मैया मैं नहिं माखन खायो..
    ....................................
    सूरदास तब विहँसि जसोदा लै उर कँठ लगायो "

    अपुन ने हाई स्कूल में ही इसकी सटीक व्याख्या कर दी थी,
    यानि.. मक्खन को लेकर चल रहे इस तकरार को देख ( तब ) सूरदास जी हँस पड़े और यशोदा को गले से चिपटा कर उड़ चले !
    इसके लिये मुझे कालिदास उष्ट्र-पुरुस्कार से नवाज़ा भी गया था । जो भी है.. इसे ही गुरु फुरसतिया कहते हैं कि, जिसकी जितनी समझ होती है, वह उतना ही सोचता है । अब याद न दिलाओ.. ऊँकड़ू झुका कर पीठ पर ईँटों का टीला बना कर ऊँट की मुद्रा में दौड़ाना ही उष्ट्र-पुरुस्कार कहलाता था !

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  11. जय हो……………॥अगर यही हाल रहा तो कल्याण पक्का है।

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  12. काश हमारा पाठ्यक्रम भी इतना रोचक और ऐसे चित्रों से भरा होताअगला पाठ कब आयेगा जी ;-)

    प्रणाम

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  13. अत्यंत रोचक और मधुर व्याख्या प्रस्तुत की है अपने
    very good

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  14. परम पूज्य श्री श्री 8001 राजीव तनेजा जी महाराज तथा एम वर्मा जी महाराज के एक्सपर्ट कमेंट के अनुसार

    कालजयी रचना -जी करदा भई जी करदा, तैनू झप्पियां पावां, जी करदा....

    की
    बहुत ही बढ़िया एवम सटीक व्याख्या आपने खुद ही कर दी है। इससे आगे कुछ लिखना सूर्य को दिए की रौशनी दिखाने के समान होगा।
    आपकी मीमांसा के बाद नवीन कोई व्याख्या संभव ही नहीं है।

    अत: आने वाले सभी रसिकों से करबद्ध निवेदन है कि वे उत्साहपूर्वक इस कालजयी रचना का रसास्वादन करे और आनंद के सागर में गोते लगाएं...तथा देवी कैटरीना व संत अक्षय का जयघोष करें

    बी एस पाबला

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  15. अदा जी के बाद कोई भी जानदार कमेन्ट नहीं मिला ... रेडियो मिर्ची पर यह प्रयोग काफी सफल रहा था और यहाँ आपके ब्लॉग पर इसे पढना खासा आनद दायक रहा :) आपको सिर्फ सवाल देकर छोड़ देना चाहिए था... व्याख्या मैं लेता :) खुद को अक्षय की जगह रख कर :)

    कुछ महीने पहले एक और प्रोग. आया था.. "कवी की कल्पना देखिये" उसमें आज कल गीतों में शब्दों के प्रयोग पर गीतकार का टांग खिंचा जाता था...
    बहरहाल, मस्त पोस्ट...

    आपका
    सागर
    कृते निदेशक
    फॉर सागर एंड सन्स नौटंकी कम्पनी

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  16. जी करदा भई जी करदा।
    मैन्नूं होर घूमणा जी करदा
    हमे तो जी होर कुछ दिखता ही नही है

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  17. जब देवी कैटरीना ने संत अक्षय कुमार जी से निवेदन किया कि हे प्रभु दिव्य वस्त्र कैसे होते हैं हमारा भी जी करदा है उन्हें देखने और पहनने का ..तो प्रभु बोले ..हे देवी इसमें कौन बडी बात है आजकल संत लोग तरह तरह के वस्त्र से रिलेटेड काम कर रहे हैं कोई वस्त्रहरण में लगा है तो कोई ..खैर छोडो ..ये लोग हमरा छोटा सा गुलाबी रुमाल ..इसमें से तुम्हरा फ़्राक बन जाएगा घघरी बाला ...उस घघरी वाला के घूमा घूम में सलमान भी घूमता रह जाएगा ...और ई पहिन के तुम हमारे साथ नृत्य कर सकोगी ..पब्लिक को भी ..कपाल भारती का मजा आएगा ।
    ये कह कर प्रभु अक्षय कुमार ....खतरों के खिलाडी ..खेलने लगे ..

    अजय कुमार झा

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  18. आज नो कमेन्ट ....
    मैं रसास्वादन कर रहा हूँ.......

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  19. ओफ्फ्फोह......हद कर दी आपने.........! अप्रतिम सुंदरी के लिए फ़िल्मी दिलफेंक शायर की यह रचना......बेजोड़ है उस पर आपका सन्दर्भ-प्रसंग-व्याख्या भी कुछ कम नहीं.

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  20. bhai khushdeep...mere student kee copy saarvjanik karne ke jurm me tumhen kya saza dee jaaye?

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  21. खुशदीप भाई , हमें तो ये गाना इसलिए पसंद है , क्योंकि इसे देखकर एक बात समझ में आती है कि जब कैट डांस कर सकती है तो हम जैसे अनाड़ी भी कर सकते हैं। आखिर फिल्मों में डांस करना कितना आसान है ना।

    वैसे मस्ती भरा गाना है यार।

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  22. भई खुशदीप जी आपका कोई जवाब नहीं, आपकी कई रचनाएं पढ़ी। अच्छा लगा।

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  23. विषय चुनाव गज़ब के करते हो भाई जी ! शुभकामनायें !

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  24. wow! aisi books ban gayi to main phd chod phir se school mein aa jau.

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  25. आपकी साहित्य की भावी अमूल्य धरोहर स्वरूप यह व्याख्या इतिहास में अपना स्थान बनायेगी और साथ ही तीन विशेषज्ञों की सारगर्भित समीक्षाएँ भी- परमपूजनीया अदा जी, श्री श्री १००८ बी.एस. पाबला जी और ब्लॉग जगत के कुछ गिने-चुने रत्नों में से एक कुँवर अजय झा जी. इस रससिक्त व्याख्या का रसास्वादन करवाने के लिये कोटिशः धन्यवाद!!!

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  26. क्या बात है....भई हमें देखने से फुरसत मिले तो न कुछ व्याख्या करें....

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  27. क्या बात है । यह पंजाबी के लोक गीत की धुन पर आधारित है । मस्ती और उत्साह जिसका उत्स है । शब्दो पर यदि वहाँ के परिवेश मे ध्यान दिया जाये तो यह मनुष्य को आपसी प्रेम और सौहार्द्र की प्रेरणा देता है ।
    इस तरह के गीत विश्व बन्धुत्व के परिचायक हैं ।
    ठीक है ना भैया ..यह व्याख्या ?

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