केरल में एक हिन्दू युवती
के कथित धर्मान्तरण और मुस्लिम से शादी के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच के आदेश के बाद अब सुप्रीम
कोर्ट ने दो अलग धर्मों में होने वाली शादी को केरल हाईकोर्ट की ओर से अमान्य करार
दिए जाने पर सवाल उठाया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने युवती के पिता की ओर से उसे
बीते कई महीनों से अपनी ‘हिरासत’ में रखने की वैधता पर भी सवाल किया है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य
न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की
खंडपीठ ने सवाल किया कि कैसे 24 मई को केरल हाईकोर्ट नेएक बालिग महिला की शादी को
अमान्य घोषित किया, वो भी अनुच्छेद 226 के न्याय अधिकार क्षेत्र के तहत, जिसका
इस्तेमाल बुनियादी अधिकारों, वैधिक अधिकारों और अन्य मूल अधिकारों के उल्लंघन को
चुनौती देने के लिए होता है.
मुख्य न्यायाधीश ने इस
मुद्दे पर अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय की. मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने कहा- ‘हम दो मुद्दों पर तार्किक
और वैधिक तर्कों को सुनेंगे. क्या हाई कोर्ट अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत्त अधिकार
क्षेत्र में शादी को अमान्य करार दे सकता है? ओर क्या NIA जांच जरूरी है?’
मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने
फिर युवती के पिता के वकील को देख कर कहा- ‘वो 24 साल की महिला है. आप उस पर नियंत्रण नहीं
रख सकते.’ सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक वो या तो माता-पिता के स्थान पर युवती का कोई
संरक्षक नियुक्त कर सकता है या उसे किसी सुरक्षित जगह पर भेज सकता है. मुख्य
न्यायाधीश ने व्यवस्था दी कि पिता ऐसा नहीं कह सकता कि उसे युवती की 24 घंटे
निगरानी मिलनी चाहिए.
NIA की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मौजूदा मुख्य
न्यायाधीश के पूर्ववर्ती जस्टिस (अब रिटायर्ज) जे एस खेहड़ ने बीती 16 अगस्त को इस
केस को केरल पुलिस से NIA को ट्रांसफर कर दिया था. केरल में ऐसे धर्मान्तरणों और
शादियों में एक तरह का पैटर्न पाए जाने के बाद ऐसा किया गया था.
मुस्लिम शख्स शफीन जहान की
ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने NIA जांच संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सख्त
आपत्ति दर्ज कराई. दवे ने ये भी कहा कि शफीन जहान की ओर से दाखिल याचिका में इस
आदेश को वापस लिए जाने की मांग की गई है.
दवे ने कहा- ‘NIA जांच का आदेश बहु धार्मिक
समाज की बुनियाद पर ही चोट करता है... युवती को यहां बुलाया जाए, उससे पूछा जाए.’
केरल सरकार इस मामले में
हलफनामा दाखिल करने के लिए इच्छा जताई है. बता दें कि केरल सरकार पहले जांच पुलिस
से NIA को ट्रांसफर करने पर सहमति जता चुकी है.
शफीन जहान की याचिका में
सुप्रीम कोर्ट से संबंधित घटनाक्रम की रोशनी में NIA जांच वापस लेने की गुहार लगाई गई है. याचिका मे
साथ ही युवती की ओर से खुद अपनी इच्छा से धर्मान्तरण करना और उसे अभिभावकों की ओर
से बंधक बनाकर रखने और ‘प्रताड़ित’ करने जैसे हवाले दिए गए हैं.
याचिका में शफीन जहान ने ये
मांग भी की है कि केरल के पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) को युवती को
सुप्रीम कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया जाए. वकील हैरिस बीरान के जरिए दाखिल
याचिका मे शफीन जहान ने कार्यकर्ता राहुल ईश्वर के बनाए वीडियो का हवाला भी दिया
जिसमें युवती अपनी ‘हाउस-अरेस्ट’ का विरोध करते देखी जा सकती है.
याचिका में दावा किया गया
है कि केरल मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष पी मोहनदास ने बयान दिया है कि ‘युवती अपने घर में
मानवाधिकारों के भारी उल्लंघन का सामना कर रही है.’ याचिका में केरल महिला आयोग की अध्यक्ष एम सी
जोसेफिन को भी ये कहते उद्धृत किया है कि ‘युवती के मामले में मानवाधिकारों का भारी
उल्लंघन हो रहा है और महिला आयोग शिकायत पर कार्रवाई करने को तैयार है.’
याचिका में कहा गया है कि
रिटायर्ड जज जस्टिस आर वी रविंद्रन. जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की जांच पर
नजर रखने के लिए कहा था, ने ये जिम्मेदारी संभालने से इनकार कर दिया है. याचिका
में कहा गया है कि जस्टिस रविंद्रन के इनकार करने के बाद NIA जांच रोक देनी चाहिए
क्योंकि ऐसा करना उचित नहीं होगा.
याचिका मे कहा गया है, ‘NIA पहले से ही जांच शुरू कर चुकी
है और उसने संपर्क भी ढूंढ लिया है, ये जस्टिस रविन्द्रन के निर्देशों के बिना किया
गया. ये घटनाक्रम याचिकाकर्ता के बुरे ख्वाब का हक़ीक़त बनने जैसा है. ऐसी जांच
निश्चित रूप से उचित नहीं होगी और ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है.’
याचिका में कहा गया है कि
लड़की को उसकी इच्छा के विपरीत हिरासत में रखना, जहां वो अपनी मुक्त इच्छा से चुने
गए धर्म को अभ्यास में नहीं ला सकती, स्पष्ट तौर पर उसके बुनियादी अधिकारों का
उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि NIA जांच की जरूरत नहीं है और ये रिस्पॉन्डेंट नंबर 1 (युवती के पिता) की ओर से
युवती की स्वतंत्रता और सही दिमाग वाले बालिग की सोचने की आजादी में खुल्लमखुल्ला
दखल है.
क्या है पूरा मामला?
ये मामला मुस्लिम युवक की
ओर से हिन्दू युवती के साथ शादी जुड़ा है जो युवती की ओर से इस्लाम धर्म अपनाने के
बाद हुई. केरल हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर 24 मई 2017 को दिए अपने
आदेश में अमान्य करार दिया था. ये शादी 19 दिसंबर 2016 को केरल के कोल्लम के पास
पुथुर जुमा मस्जिद में हुई थी. युवती होम्योपैथी की छात्रा थी जिसने इस्लाम धर्म
अपना कर नाम बदल लिया था. शफीन जहान अपने परिवार के साथ युवती से अगस्त 2016 में
मिला था. ऐसा युवती की ओर से मैरिज वेबसाइट पर दिए विज्ञापन के जवाब में किया गया
था.
उसके बाद क्या हुआ?
शफीन जहान ने हाईकोर्ट के
फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. साथ ही युवती के पिता को उसे कोर्ट में पेश
करने का आदेश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया. शफीन जहान ने दावा किया कि
युवती के पिता ने केरल हाईकोर्ट की ओर से ‘मनमाने’ तौर पर शादी को अमान्य करार दिए जाने और ‘लव जिहाद’ के तौर पर आलोचना किए जाने
के बाद से युवती को अवैध तौर पर बंधक बना कर रखा गया है. शफीन जहान ने सुप्रीम कोर्ट
से कहा, अगर बालिग हिंदू महिला, अपनी इच्छा से इस्लाम अपनाने के बाद मुस्लिम शख्स
से इस्लामी रिवाज से शादी करती है तो ये ‘लव जिहाद’ नहीं होता.
युवती के पिता का क्या कहना है?
युवती के पिता का कहना है
कि युवती असहाय पीड़ित है जो सुगठित रैकेट की ओर से जाल में फांसी गई, ये रैकेट
लोगों को मनोवैज्ञानिक तरीकों से दीक्षा देकर इस्लाम धर्म अपनवा देता है. युवती के
पिता का कहना है कि शफीन जहान अपराधी है और उसकी बेटी को एक नेटवर्क की ओर से
फांसा गया है जिसका संपर्क पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और यहां तक कि इस्लामिक स्टेट
से है. युवती के पिता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक बार मेरी बेटी ने मुझे
बताया था कि वो सीरिया में जाकर भेड़े चराना चाहती....उदार से उदार पिता को भी ये
सुनकर झटका लगेगा. लड़की के पिता ने ये भी कहा कि केरल में इस तरह के धर्मान्तरण
और शादियां दुर्लभ नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना
है?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले NIA से इस मामले की जांच का आदेश दिया, फिर केरल
हाईकोर्ट की ओर से शादी को अमान्य करार दिए जाने और युवती के पिता की ओर से उसे
पिछले कई महीनों से अपनी हिरासत में रखने की वैधता पर ही सवाल उठा दिए.
NIA का क्या कहना है?
NIA ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
कि शादी कोई अलग-थलग घटना नहीं है और उसने केरल में इस तरह के पैटर्न की पहचान की
है. NIA के मुताबिक उसने ऐसे ही लोगों को इस युवती के धर्मान्तरण और शादी के पीछे भी
पाया. एक ही तौर-तरीके हैं. लड़की धर्मान्तरण करती है और अपने रिश्तेदारों के साथ
रहने से इनकार कर देती है. ये लोग ऐसे वक्त में उसे साथ ले जाते हैं और उसी दौरान
शादी करा देते हैं. इस मामले में आगे जांच की जरूरत है.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 94वीं पुण्यतिथि : कादम्बिनी गांगुली और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी पूर्ण पोस्ट।
जवाब देंहटाएं