अनार एक, बीमार अनेक। कुछ यही कहा जा सकता है दिल्ली यूनिवर्सिटी के अच्छे कॉलेजों में दाखिले के लिए। कट-ऑफ लिस्ट, पर्सन्टेज़, ऑनलाइन फार्म, ओरिएन्टेशन प्रोग्राम, सब्जेक्ट का चुनाव। ये बातें बच्चों की नींद तो उड़ाए रखती हैं लेकिन बड़ों को भी तनाव कम नहीं होता। इस सारी टेंशन से मुक्त होने के लिए देश की शिक्षा के कर्णधारों ने अब रामबाण इलाज निकाला है।
आखिर डिग्रियों पर इतना ज़ोर क्यों? केंद्र में शिक्षा के महकमे के सीनियर-जूनियर मंत्री हों या दिल्ली की केजरीवाल सरकार के क़ानून मंत्री वो आपको डिग्री (?) विषयक मुद्दों पर ज़्यादा अच्छी तरह प्रकाश डाल सकते हैं।
और अब ज़्यादा फ़िक्र की ज़रूरत ही क्या है। ऑनलाइन पर हर मर्ज़ की दवा आईआईएन जो आ गया है। बच्चों को भविष्य के लिए कैसे तैयार किया जाए, ये जानना है तो आपको इस लिंक पर जाकर पढ़ना होगा।
आखिर डिग्रियों पर इतना ज़ोर क्यों? केंद्र में शिक्षा के महकमे के सीनियर-जूनियर मंत्री हों या दिल्ली की केजरीवाल सरकार के क़ानून मंत्री वो आपको डिग्री (?) विषयक मुद्दों पर ज़्यादा अच्छी तरह प्रकाश डाल सकते हैं।
और अब ज़्यादा फ़िक्र की ज़रूरत ही क्या है। ऑनलाइन पर हर मर्ज़ की दवा आईआईएन जो आ गया है। बच्चों को भविष्य के लिए कैसे तैयार किया जाए, ये जानना है तो आपको इस लिंक पर जाकर पढ़ना होगा।
100 से ऊपर % आने कब से शुरु होने वाले हैं ? कुछ जानकारी मिले तो बताइयेगा । ईरानी जी भी बता सकती हैं शायद ।
जवाब देंहटाएंसुशील जी, 100 परसेंट से ज़्यादा तो IIN में पढ़ कर ही आ सकते हैं...
हटाएंजय हिंद...