मक्खन का हाल कैसा है पता भी है आपको...खुशदीप



देश का माहौल गर्म है...आतंकवाद के मुंबई पर फिर वार से हर भारतीय के दिल में उबाल है...लेकिन वो उबलने के सिवा और कर भी क्या सकता है....जिन्हें करना है वो खुद ही एक-दूसरे की टांग-खिंचाई में लगे हैं...और तो और, महाराष्ट्र सरकार के दो मुख्य धड़ों में खुद ही जूतम-पैजार हो रही है...सीएम पृथ्वीराज चव्हाण (कांग्रेस) खामियों का ठीकरा एनसीपी से जुड़े गृह मंत्री आर आर पाटिल (जनाब 26/11 हमले के वक्त भी महाराष्ट्र के गृह मंत्री थे) के सिर पर फोड़ रहे हैं तो एनसीपी की पृथ्वीराज को ही सलाह है पहले आइना देख ले...जिस वक्त धमाके हो रहे थे दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय फैशन शो में रैम्प पर मॉडल-बालाओं को थिरकते देखने की महत्ती ज़िम्मेदारी निभा रहे थे...अब धमाकों की खबर मिलने पर शो बीच में छोड़ देते तो फैशन इंडस्ट्री की तौहीन नहीं हो जाती...सहाय के इस कारनामे की निंदा बीजेपी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने की...लेकिन जब पता चला फैशन शो बीजेपी के ही राष्ट्रीय सचिव अशोक प्रधान की डिजाइनर बेटी के कलेक्शन को प्रमोट करने के लिए था तो बीजेपी को भी काटो तो खून नहीं...सहाय और प्रधान रैंप के साथ बिल्कुल अगली पंक्ति में ही कंधे से कंधा मिलाए बैठे थे...क्या नज़ारा था, सारे मतभेद भुलाकर कांग्रेस-बीजेपी साथ-साथ और आम आदमी का मुकद्दर आतंकवादियों के हाथ...

खैर छोड़ो ये सब टंटे मैं तो आपको मक्खन का किस्सा सुनाने चला था...

ढक्कन मक्खन से...कि गल, बड़ा उदास लग रहा है...

मक्खन....घर में दो पैसे की इज़्ज़त नहीं...

बीवी कोई गल सुनदी नहीं...

मुंडा कोई काम करदा नहीं...

कुड़ी (बेटी) दे लछण ठीक नहीं...


नौकर डरदा नहीं...

ड्राइवर नू रास्ते नहीं पता...


वॉचमैन नौकरी छडन दी धमकी देता रहता है...

मक्खन का दर्द सुनकर ढक्कन ठंडी सांस लेकर बोला....

मक्खणां तेरा हाल ते बिल्कुल मनमोहन सिंह वरगा (जैसा) हो गया वे...

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TRUTH OF KEY COUNTRIES OF THE WORLD...KHUSHDEEP

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12 टिप्पणियाँ
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  1. हा हा हा बेचारा मक्‍खन .. भूलता भागता एक बार मेरे ब्‍लॉग पर भी आ गया था .. बहुत दिन से इधर भी नहीं दिखा !!

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  2. कांग्रेस-बीजेपी साथ-साथ और आम आदमी का मुकद्दर आतंकवादियों के हाथ...

    इसे सुधारकर इस प्रकार लिखिये कांग्रेस बीजेपी साथ-साथ हर इंसान का मुकद्दर इन दोनों के शर्मनाक भ्रष्टाचार से उपजी आतंकवाद की राजनीती के हाथ...

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  3. राजनीति में सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं.

    जो भी 'बेचारे' किसी का नाम लेना हो तो
    बस 'मनमोहनसिंह' का नाम समझ में आता है .
    जैसे मजबूरी का नाम 'महात्मा गांधी'
    अब 'बेचारगी' का नाम 'मनमोहनसिंह'.

    खुशदीप भाई,यकीन मानियेगा मेरे ब्लॉग पर आपके दर्शन के बैगर मेरे ब्लॉग की कोई कीमत नहीं है.जबतक आप नहीं आते,मुझे बेसब्री से इंतजार रहता है.
    न आने की कभी सोचियेगा भी नहीं.

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  4. सत्ता तो कांग्रेस के पास है, जो आम आदमी के साथ होने का दावा करती है. आज दिग्विजय का बयान बता रहा है कि कौन किसके साथ है.

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  5. ये जीना भी कोई जीना है लल्लू...

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  6. बेचारा मक्खन करे तो क्या करे?

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  7. सब क्षमा माँग कर बाहर आ सकते थे, एक उदाहरण होता देश के लिये।

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  8. हा हा हा ! मक्खन की हालत तो देशवासियों से भी गई गुजरी हो गई है .

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  9. मक्खणां तेरा हाल ते बिल्कुल मनमोहन सिंह वरगा (जैसा) हो गया वे...

    हा...हा...हा... मनमोहन सिंग वरगा....:):):) लाजवाब ढक्कन भाई बहुत ही लाजवाब.

    रामराम.

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  10. हा हा!! बेचारा मख्खन....हालत जानकर दुख हुआ...:)

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  11. बेचारे मक्खन का हाल के बारे में अब क्या कहे....

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