आज एक बदमाश पोस्ट...खुशदीप

पहले मैं अपनी इस पोस्ट का शीर्षक...आज एक नॉटी पोस्ट...लगाने वाला था...फिर सोचा नॉटी का सही मतलब क्या होता है...चंचल, शैतान, बदमाश, पंगेबाज़...देखने में इन सब शब्दों में बदमाश सबसे असंसदीय लगता है...लेकिन तभी सामने टीवी पर शाहिद कपूर की नई फिल्म बदमाश कंपनी का प्रोमो चलता नज़र आया...फिल्म यशराज चोपड़ा जैसे सम्मानित निर्माता के बैनर पर बनी है...यानि अब फिल्मों के हीरो-हीरोइन भी खुद को बदमाश कहलाने से परहेज़ नहीं कर रहे हैं...तो फिर मैं अपनी पोस्ट में बदमाश शब्द डालते हुए क्यों हिचकूं...चलिए शीर्षक की बात तो हो गई अब आता हूं पोस्ट के मूल विषय पर...

हम हिंदुस्तानियों में बहुत आग़ होती है...इसीलिए कहीं दूसरे के यहां आग़ लगी हुई दिखने का मौका मिलना चाहिए...फिर देखिए हम कैसे आग़ में घी या पेट्रोल डालते हैं...कोई पानी डालने आएगा तो उसके पीछे ऐसे हाथ धो कर पड़ेंगे कि बेचारा खुद ही पानी-पानी हो जाएगा...

अब यहां मुझे एक सवाल परेशान कर रहा है...अगर हम हिंदुस्तानियों के अंदर इतनी ही आग़ होती है तो हम खुद क्यों नहीं इसमें सिक कर तंदूरी चिकन हो जाते...कभी आपने इस बारे में सोचा...कभी सोचा कि हमारे अंदर की ये आग रोज़ बुझती कैसे है...प्रकृति कहिए या ऊपर वाला, उसने बहुत सोच समझकर इसका भी इंतज़ाम कर रखा है...कैसे भला...बताता हूं, बताता हूं...ऐसी भी क्या जल्दी है...चलिए इसका जवाब आप एक किस्से में ढूंढिए...किस्सा इस तरह है...

एक बार एक अंग्रेज़ हिन्दुस्तान घूमने आया...उसने इंडियन करी, स्पाइसी इंडियन फूड के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था...दिल्ली आते ही उसने अपने मेज़बान दोस्त से कहा कि सबसे पहले मेरी इच्छा यहां का स्पाइसी फूड खाने की है...जहां सबसे अच्छा मिलता हो वहां ले चलो...मेज़बान को पता था कि जामा मस्जिद के इलाके में करीम जैसे होटल बड़ा लज़ीज़ मुगलई खाना पेश करते हैं...वो अंग्रेज़ को वहीं ले गया...अब ज़ायके ज़ायके के चक्कर में अंग्रेज़ कबाब, मुर्ग मुस्सलम, रोगन जोश, हैदराबादी बिरयानी जो जो पेश किया गया सब चट करता गया...



अंग्रेज़ स्पाइसी फूड से तृप्त हो गया...पैग-वैग पहले से ही लगा रखे थे...अंग्रेज़ थका हुआ था, मेज़बान के घर लौटने के बाद जल्दी ही सो गया... सुबह अंग्रेज़ टॉयलेट गया...टॉयलेट की सीट पर ही अंग्रेज़ को वो दिव्य ज्ञान हुआ, जिसकी खोज आज तक बड़े बड़े स्कॉलर नहीं कर पाए थे...अंग्रेज को पता चल गया कि हिंदुस्तानी टॉयलेट में टिश्यूज़ (टॉयलेट पेपर) की जगह धोने के लिए पानी का ही इस्तेमाल क्यों करते हैं...





अरे जनाब टिश्यूज़ क्या आग़ नहीं पकड़ लेंगे...

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44 टिप्पणियाँ
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  1. अरे मान गये जनाब... तुस्सी ग्रेट हो.

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  2. uffff,,,,,,,,,
    itne achche kahne ki pic lagane ke baad neech wali pic . lagani jaruri thi? :)

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  3. हा हा हा
    जलन कुछ ज्यादा ही है
    बहुत दांत भींच के जोर लगा रहा है।
    काफ़ी स्पाईसी खिला दिया है,
    दिव्य ज्ञान सारा उतर ही गया।
    बैदराज को बुलाना ही पड़ेगा।

    जय हो

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  4. हा हा हा ! सही है वाकई में बदमाश पोस्ट
    वैसे भ कहते है चटपटा खाना दो बार मज़ा देता है

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  5. कायम चूरन खिला के देखे, खुशदीप भाई ?? शायद कोनो फायेदा हो जाये साहब के !!

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  6. ही ही ही ही ही ही.... वाकई में बदमाश पोस्ट भैया... बेचारा ...अँगरेज़.... कमोड़ पर बैठ कर संजय कपूर की पहली फिल्म का गाना गायेगा... "आती नहीं... आती नहीं...."

    जय हिंद..

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  7. पोस्‍ट तो वाकई में बदमाश है
    परंतु एक राज हम भी खोल दें
    कि अविनाश को भाई लोग
    बदमाश भी बुलाते हैं और
    यशराज चोपड़ा जी को यह
    आ‍इडिया अविनाश कंपनी नहीं
    बदमाश कंपनी बनाने का
    इसी नाम से मिला है।

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  8. पोस्‍ट तो वाकई में बदमाश है
    परंतु एक राज हम भी खोल दें
    कि अविनाश को भाई लोग
    बदमाश भी बुलाते हैं और
    यशराज चोपड़ा जी को यह
    आ‍इडिया अविनाश कंपनी नहीं
    बदमाश कंपनी बनाने का
    इसी नाम से मिला है
    उन्‍हें शाहिद कपूर ने

    बतलाया था।

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  9. हा हा!! बड़ी आग है भई...

    मगर आप लाख डरा लो, हम तो फिर भी आपके साथ करीम के यहाँ चलेंगे जामा मस्ज़िद वाले में. हज़रत निजामुद्दीन वाले में नहीं. :)

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  10. @शिखा वार्ष्णेय जी,

    अगर नीचे वाली फोटो नहीं लगाता तो फिर तो इस पोस्ट का टाइटल...आज एक शरीफ़ पोस्ट...न रखता...

    जय हिंद...

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  11. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  13. @कुमार जलजला
    भाई अगर आप महिलाओं के लिए इस तरह की प्रतियोगिता चलाना चाहते हैं तो इसे कृपया अपने ब्लॉग से ही प्रचारित करें...नहीं हैं तो बना लें...कृपया मेरे ब्लॉग पर मेरी पोस्ट के विषय तक ही अपनी प्रतिक्रिया सीमित रखें...मेरे बारे में जो आलोचना करना चाहते हैं, मुझे बर्दाश्त होगी...लेकिन मेरे ब्लॉग को अपनी योजना का प्रचार मंच न बनाएं...वैसे मेरी शुभकामनाएं आपकी योजना के साथ हैं...एक बात और महिलाओं को अलग करके न देंखे. वो पुरुषों से भी श्रेष्ठ हो सकती हैं...

    जय हिंद...

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  14. ओअफ्ले तो आपने इतने लज़ीज़ खाने की तस्वीर लगा कर बहुत जी जलाया और फिर उसके बाद जब पूरा लेख पढ़ा तो हंसी का फब्बारा फूट पड़ा.. चित्र देख कर तो ५ मं.. पेट पकड़े हँसता रहा.. कमाल कर दित्ता तुस्सी भाई जी.. sach badee hee badmaash post haigee ji

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  15. मगर इतना खा के कई बार आग नहीं निकलती .तो कब्ज हो जाती है ..

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  16. अँग्रेज़ भाई अँग्रेज़ी भाषा में कहीं यह तो नहीं कह रहे..
    अरे ज़ालिम बाहर निकल,
    मैं तुझे खा जाऊँगा क्या ?

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  17. अपने दिलबर का , अपने हमदम का, अपने जानम का इंतज़ार,
    पास आँखों के सब्ज़ मंज़र है
    दिल का मौसम तो फिर भी बंज़र है
    महकी महकी सी कुछ हवाओं का
    भीगी-भीगी सी कुछ घटाओं का
    इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
    अपने बादल का अपनी बारिश का अपने सावन का इंतज़ार
    अपनी धड़कन का अपनी साँसों का अपने जीने का इंतज़ार
    jaane kyon ye geet yaad aa gaya...
    ha ha ha ha

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  18. सचमुच बड़ी आग है . इत्ता सारा खा पीकर बेचारा खूब जोर लगाकर कमोड में बैठा है हा हा हा हा . मजेदार

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  19. महफूज जी
    बेचारा दांत किटकिटा कर गा रहा है जाने वाला कोई अब जायेगा.. दूसरा गाना ये गायेगा.. इस दिल में बड़ी आग है ...

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  20. सच में बहुत आग है .....हिंदुस्तानियों में ........बेहतरीन पोस्ट

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  21. आपने तो नाकरण स्वयं ही कर दिया है!
    हम क्या कहें?

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  22. आपने तो नामकरण स्वयं ही कर दिया है!
    हम क्या कहें?

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  23. मजा और सजा एक दूसरे के पूरक हैं! लज़ीज़ खाना खाते समय जितना मजा आता है दूसरे दिन उतनी ही सजा भी भोगनी पड़ती है। :)

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  24. पिछले आठ घंटे से तो यहीं बैठा हुआ कमोड पर , अब तक करीम का इंस्टालमेंट बाहर आया नहीं लगता ....

    मेरे ख्याल से अब करीम को अपने यहां एक योजना चलानी ही चाहिए अंग्रेजों के लिए ..करीम की प्लेट के साथ वापसी में एक कमोड .....फ़्री फ़्री फ़्री ..........

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  25. खुशदीप जी इसी तरह की कुछ बदमाश पोस्ट,इन भ्रष्ट और हरामी नेताओं पे भी उनके भ्रष्ट और कुकर्म खाने पर जरूर लिखिए /

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  26. @honesty project democracy
    खुशदीप जी इसी तरह की कुछ बदमाश पोस्ट,इन भ्रष्ट और हरामी नेताओं पे भी उनके भ्रष्ट और कुकर्म खाने पर जरूर लिखिए....

    नेताओं के खाने पर मुलाहिज़ा फ़रमाना है तो दिसंबर में मैंने एक पोस्ट लिखी थी...लिंक ये रहा...
    http://deshnama.blogspot.com/2009/12/blog-post_24.html

    जय हिंद...

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  27. हे भगवान, इस फ़िरंगी से १९४७ से पुरानी दुश्मनी निकाली क्या?)

    रामराम.

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  28. अजी साहब, रसोई से लेकर गुसलखाने तक धावा॥

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  29. Shah Nawaz said...
    अंजुम जी, यह कोई नई बात नहीं है, दर-असल, यही घिनौनी राजनीति का सच है. जहाँ तक नकारात्मक वोट की बात है, तो यह पोल खोलती है इन तथाकथित राष्ट्रवादियों की. अभी अगर यही पोस्ट किसी और मुस्लिम महिमा लेखक ने मुसलमानों के विरोध में बनाई होती, तब आप देखती की कमेंट्स की बाड़ आजाती. इस सब के बाद भी यह लोग अपने आप को सही साबित करने में लगे रहते हैं. दरअसल इस तालाब की कोई मछली नहीं बल्कि पूरा तालाब ही गन्दा है. सब के सब मुखौटा लगा कर बैठे हुए हैं. बाहर से दूसरों को हमेशा गलत ठहराते हैं, और अन्दर से सब के सब खुद गलत हैं.

    'दंगे के धंधे की कंपनी' श्रीराम सेना पैसे पर कराती है हिंसा?

    http://anjumsheikh.blogspot.com

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  30. उफ़्………हद ही कर दी…………………बेचारा अंग्रेज्………………हा हा हा।

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  31. :) :) ....बढ़िया दिव्य ज्ञान मिला अँगरेज़ को ..

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  32. एक बार धोखे से शाहजहा रोड पर स्पलाई के भल्ला पापडी खाई . जो कई दिन तक याद दिलाती रही कुछ खाया

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  33. पंगा ले किया अंग्रेज ने!
    दिव्य ज्ञान अलग से मिला!!

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  34. हा हा हा हा...
    गुरु आज तो हंस हंस कर पेट दर्द हो गया....

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  35. जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_601.html और जलजला गुजर गया।

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  36. "आग" पर एक कविता पढ़ें " ना जादू ना टोना " पर
    असली आग वहीं होती है .....।

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  37. आज बहुत दिनों बाद इधर आना हुआ, और आपकी पोस्ट पढ़कर अपनी सुबह याद आ गई :)

    हम ठहरे हरी मिर्ची प्रेमी क्या करें।

    पर खुशदीप भाई आजकल अनर्गल टिप्पणियों बढ़ती जा रही हैं, इधर ऊपर ही देखा जा सकता है।

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