पंच परमेश्वरों का निष्कर्ष है कि लेखन का सबसे अच्छा स्टाइल है कि कोई स्टाइल ही न हो...यानि फ्री-स्टाइल...आपकी सलाह सर माथे पर...आज इस माइक्रोपोस्ट में उसी फ्री-स्टाइल के साथ सिर्फ स्लॉग ओवर...
स्लॉग ओवर
कहते हैं बुढ़ापे का इश्क भी गजब होता है...ऐसा ही गजब ढाया हमारे एक नवाब साहब ने...टीवी पर जिस तरह के सीरियल आजकल आते हैं...आप सब जानते हैं...सब घर वालों का साथ बैठकर इन्हें देखना मुश्किल होता है...नवाब साहब और बेगम घर पर अकेले थे...ऐसे ही एक रोमांटिक सीरियल पर नवाब साहब की नज़र पड़ गई...नवाब साहब को अपना गुजरा जमाना याद आ गया...नवाब साहब ने हिम्मत करके झट से बेगम को किस कर लिया...
किस के बाद बेगम ने नवाब साहब से पूछा...क्या बबलगम खाई थी...
नवाब साहब ने कहा...बबलगम तो थी...बस बबलगम का पहला 'ब' उड़ा दो...
hahahaha........bahut badhiya raha .....yeh slog over........hahahahaha...........
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plz meri aaj ki post dekhiyega.... Sir....
काग़ज़ पर स्वीमिंग पूल .......
JAI HIND
भैया काहे बेगमो को नवाबों के माईनस पाईंट बता रहे हो।
जवाब देंहटाएंअरे बाप रे..........
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी ! फ्री स्टाइल तो अच्छी हैं लेकिन जब रिंग में दो पहलवान लडते हैं तो हालत क्या होता हैं, आपने जरूर देखा है ,मार तो दोनों को पडती हैं ,दशक तो मजा लेता हैं ,हड्डी -पसली पहलवानों का टुटता हैं .... इसलिए फ्री स्टाइल का खेल सोच समझ कर खेले तो अच्छा हैं ।
जवाब देंहटाएंपंच परमेश्वर भी इस देश में पहले रहा होगा , आज तो पंच परमेश्वर ढुढते रह जाओगे वाली बात साबित हो रहा है । जिसे पंच परमेश्वर मान कर देश के सर्वोच्च सत्ता पर आसीन किया जाता हैं ,उन लोगों का हाल आपसे छिपी नहीं हैं ...
एस के राय साहब,
जवाब देंहटाएंमैं आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा अपनी पिछली पोस्ट...बस भौंकना ही भौंकना... पर कर रहा था...वक्त मिले तो पढ़िएगा ज़रूर...
जय हिंद...
मज़ेदार
जवाब देंहटाएंEWWWWWWWWWWW......!!
जवाब देंहटाएंDhatt....
आज से हम अपनी बेगम के साथ टी.व्हीं सीरियल देखना छोड़ दिया! :-)
जवाब देंहटाएंजोरदार!
बहुत खूब............ क्या कहने !!
जवाब देंहटाएंहाय मुई बेगम ने ...क्यूं पूछा ..नवाब साहब ने सच का सामना करवा दिया ..
जवाब देंहटाएंsir
जवाब देंहटाएंaapko kai saal se khoj raha tha
muje apna no mail kijyega
mr.rajeevjain@gmail.com
rajeev jain